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जो चंदन उस की नजरों में गंवार और ऐं वैं ही था, आज उस की बातों से अत्यंत सुलझा हुआ व समझदार दिखाई पड़ रहा था. उस के बात करने के ढंग और उस की मदद के लिए उठे हुए उस के हाथ को देख कर वह गदगद हो उठी थी. उस के व्यवहार ने उस के दिल को छू लिया था.

चंदन का अनुमान सही निकला था...निशीथ ने लौ ट्रिब्यूनल में कंपनी का नाम बदल कर अपने नाम कर लेने की एप्लीकेशन लगा रखी थी और निश्चल के शेयर्स पर अपना कब्जा करने के लिए बोर्ड औफ डाइरैक्टर्स को अपनी तरफ मिलाने के लिए उन को तरहतरह का प्रलोभन देने में लगा हुआ था.

पावर औफ एटौर्नी के कैंसिल होते ही निशीथ के कान खड़े हो गए थे और अब उस के सुर बदलने लगे. लेकिन वह अंदर ही अंदर बोर्ड मैंबर्स से मिल रहा था और अपने को निश्चल का सक्सेर बता रहा था. निश्चल की जगह वह खुद मैनेजिंग डाइरैक्टर बनने के लिए गुटबंदी की कोशिश में लगा हुआ था. लोगों के सामने निभा को अयोग्य बता कर समय बिताने के प्रयास में लगा हुआ वह चाह रहा था कि किसी तरह लौ ट्रिब्यूनल में कंपनी उस के नाम रजिस्टर हो जाए. फिर एकएक को वह देख लेगा...

इधर, घर में निभा को अपनी तरफ मिलाने के लिए उस की चापलूसी करता रहता. अब भैया तो लौट कर आएंगें नहीं. अब सबकुछ उसे ही करना है.

वह सब से कहता फिर रहा था कि निभा भाभी तो एक घरेलू महिला हैं, वे भला कंपनी की एबीसीडी क्या जानें. इसीलिए तो उन्होंने पावर औफ एटौर्नी मुझे दे रखी है.

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