एकबार यों हुआ कि हमारे पासपड़ोस में धड़ाधड़ चोरियां होने लगीं. चोरियां किसी योजनाबद्ध ढंग से होतीं तो किसी को ताज्जुबन होता. किंतु चोर इतने बौखलाए हुए थे कि एक दिन जिस घर में चोरी कर जाते तीसरे दिन फिर उसी घर में सेंध लगाने पहुंच जाते. परिणामस्वरूप वहां उन्हें उसी माल से साबिका पड़ता जिसे 2 दिन पहले वे रद्दी सम?ा कर छोड़ गए थे. उदाहरण के लिए दीवाने गालिब, गीतांजलि आदि.

अत: हमारे महल्ले के एक महानुभाव ने एहतियात के तौर पर अपने मकान के बाहर गत्ते पर यह लिख कर लटका दिया, ‘इस घर

में एक बार पहले चोरी हो चुकी है. कृपया अब कोई और घर देखें. सितारों से आगे जहान और भी है.’

मैं ने उन महानुभाव से पूछा, ‘‘आप ने हिंदी और अंगरेजी में लिखा, उर्दू में क्यों नहीं लिखा?’’

वे बोले, ‘‘अजी, वह शेरोशायरी की भाषा है, चोरों के पल्ले क्या खाक पड़ती? जो

भी हो, चोरों ने चोरी की भी डैमोके्रसी समझो कर जब उस का बिना खटके प्रयोग शुरू कर दिया तो मेरी एकमात्र अद्वितीय बीवी ने माथे पर दोहत्थड़ मार कर कहा, ‘‘हाय, इस घर में आ कर तो मेरे भाग्य फूट गए.’’

मैं ने कहा, ‘‘जनाब, यह तो बीवियों का शताब्दियों पुराना वाक्य है. नई कविता के लहजे में ताकि उसे बिना समझे दाद दी जा सके और सम?ाने का कार्य आने वाली शताब्दियों पर छोड़ा जा सके.’’

वह बोली, ‘‘मैं ने आप से शादी की है और आप मुझो से मजाक कर रहे हैं.

मैं ने उत्तर दिया, ‘‘मजाक बिलकुल आगे नहीं. शादी तो मजाक की कब्र है. अब फरमाइए?’’

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