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उच्च मध्य परिवारों की तरह संपन्न सा ड्राइंगरूम में बिछा मोटा कालीन, दीवार पर शोभा बढ़ातीं आकर्षक पेंटिंग्स, काफी कीमती सोफा, साइड टेबल पर कलात्मक राधाकष्ण की सुंदर चमचमाती पीतल की मूर्ति, वहां पर रहने वालों की सुरुचि और संपन्नता को दशा रही थी.

 

चारों ओर नजरें घुमाकर देखने के बाद श्री ज्वैलर्स के यहां से आया मैनेजर रजत

थोड़ा सकपका सा उठा परंतु अपनी ड्यूटी के कारण मजबूर था.

‘‘सर, मैं श्री ज्वैलर्स के यहां से आया हूं,’’ कुछ भी बोलने में उस की जबान तालू से चिपकी सी जा रही थी.

सजल ने गिलास में पानी दे कर कहा, ‘‘बिना संकोच बोलिए, वैसे शायद आप गलत जगह आ गए हैं. मेरी गोल्ड या सिल्वर में इन्वैस्टमैंट की रुचि नहीं है. सर, आप की पत्नी नीराजी 3 नवंबर को मेरे शोरूम में एक महिला के संग आई थीं और गलती से शायद डायमंड की रिंग अपनी उंगली में पहन कर आ गई हैं. सर, सीसीटीवी में हम लोगों ने रिकौर्डिंग देखने के बाद आधार कार्ड से आप का पता निकाला, तब मैं यहां आ पाया हूं. सर मेरे यहां तो एक लाख के ऊपर की चीजों पर तुरंत थाने में एफआईआर की जाती है, लेकिन इस केस में हम लोगों ने पहले एक बार कोशिश कर लेने के विचार से आप के घर आए हैं.’’

सजल पत्नी नीरा की छोटीछोटी चीजों

की चोरी कर लेने की आदत से परिचित थे, इस वजह से वे कई बार उन्हें खूब अच्छी तरह डांटफटकार और लताड़ भी चुके थे, परंतु इतनी बड़ी चीज इसलिए

उन का चेहरा तमतमा उठा था.

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