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शादी के बाद हनीमून मना कर वे घर में दाखिल हुए तो कैथरीन की सास जानकी ने उस से कहा, ‘देखो कैथरीन, अब तुम इस घर की बहू हो. पर एक बात मैं तुम्हें साफसाफ बता देना चाहती हूं. मेरी रसोई में प्रवेश न करना. मेरी सास छुआछूत बहुत मानती हैं और किसी का छुआ नहीं खातीं.’

‘जी,’ कैथरीन बोली. पर उस का सर्वांग सुलग उठा.

‘एक बात और सवेरे जब उठो तो अपनी नाइटी बदल कर सलवारकमीज या साड़ी पहन कर बाहर आना. घर के बड़ेबूढ़ों का थोड़ाबहुत लिहाज तो करना ही पड़ेगा.’

‘जी,’ कैथरीन बोली.

उस ने मन ही मन अपने दांत पीसे. घर में घुसते ही इतनी हिदायतें, बंदिशें. घर भी क्या था एक खंडहर. बदरंग दीवारें, जगहजगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ. दड़बे जैसे कमरे. उसे और अभि को सब से अच्छा कमरा दिया गया था. कमरा क्या एक कोठरी थी.

एक बात उसे बहुत अखरती थी. देर रात तक घर के लोग जागते रहते थे. अभि के पिता दमे के मरीज थे और निरंतर खांसते रहते थे. सवेरे 5 बजे सास उठ जातीं और किचन में खटरपटर करने लगतीं.

अभि कैथरीन को अपनी बांहों में लेता तो वह उसे परे धकेलती, ‘रुको, अभि, घर में सब जाग रहे हैं.’

‘तो क्या हुआ, हम पतिपत्नी हैं और अपने कमरे में बंद हैं. हमें किसी से क्या लेना?’

‘नहीं, मुझे शर्म आती है.’

‘ओहो, यह क्या गंवारों जैसी बातें कर रही हो. कम औन यार, वक्त जाया न करो. मेरी बांहों में आओ. आज रविवार है,’ अभि ने कहा.

‘तो?’

‘आज का दिन तुम्हारे नाम. हम पूरा दिन साथ बिताएंगे. पहले एक बढि़या से रेस्तरां में तुम्हें खाना खिलाएंगे. उस के बाद पिक्चर देखेंगे और शाम को पार्क में टहल कर घर लौटेंगे.’

कैथरीन उस से लिपट गई, ‘ओह अभि, तुम कितने अच्छे हो.’

पार्क में बैठेबैठे उस ने अभि के कंधे पर सिर रख दिया.

‘अभि, आज का दिन कितना अच्छा गुजरा. काश हमें एकांत खोजने के लिए घर से बाहर न आना होता. क्यों अभि, क्या हम अलग मकान में शिफ्ट नहीं कर सकते? छोटा सा 1 बैडरूम वाला, किराए का ही सही.’

‘यह कैसे संभव है डार्लिंग? 2 घर चलाना मेरे लिए मुमकिन नहीं और मैं एकएक पैसा अपनी बहनों की शादी के लिए जोड़ रहा हूं. किराए के घर के लिए भी डिपौजिट की जरूरत पड़ती है. वह कहां से लाएंगे?’

‘ओह,’ कैथरीन ने एक ठंडी सांस भरी, ‘तो सारा खेल पैसों का है.’

अगर उस का बस चलता तो वह अभि के परिवार को घर से चलता कर देती. घर मकान मालिक को लौटा कर बदले में एकमुश्त पैसे ले कर एक अलग घर बसाती, जहां वह और अभि आनंद से रहते. पर यह सब एक आकाश कुसुम जैसा था.

‘तो कम से कम मुझे ही कोई नौकरी कर लेने दो,’ उस ने कहा, ‘घर पर तो अम्मां मुझे किसी काम को हाथ लगाने नहीं देतीं और मैं दिन भर बैठी बोर होती रहती हूं.’

‘तुम नौकरी करोगी?’

‘हां, इस में हरज ही क्या है. मैं ग्रैजुएट हूं और मैं ने सैके्रेटरी का कोर्स भी किया हुआ है. उस रोज मेरी सहेली शीला मिली थी. वह बता रही थी कि वरली में एक प्राइवेट कंपनी में रिसेप्शनिस्ट की पोस्ट खाली है. वेतन भी ठीक है और काम भी हलका है. क्या कहते हो?’

‘ठीक है. तुम्हें जंचे तो कर लो.’

कैथरीन अपनी नई नौकरी पर गई तो उसे बहुत अच्छा लगा. उस के सहकर्मी बड़े मिलनसार थे. पर अपने बौस चौधरी को ले कर वह तनिक उलझन में पड़ गई. उस के बौस जरा रंगीन मिजाज के थे. उन की आदत थी कि दफ्तर में घुसते ही स्टाफ की लड़कियों को छेड़ते, उन से चुहल करते. सब से हायहैलो करते. वे कैथरीन की मेज पर रुकते, उस से थोड़ी देर बतियाते, फिर अपने कैबिन में दाखिल होते.

‘इस रोमियो से जरा बच कर रहना,’ उसे उस के सहकर्मियों ने आगाह किया, ‘यह सब लड़कियों से फ्लर्ट करता है, उन के करीब आने की कोशिश करता है. इस से दूरी बनाए रखना.’

एक दिन चौधरी ने उसे बुलाया,

‘मिस कैथरीन, मुझे मालूम हुआ है कि तुम ने सैके्रटरी का कोर्स किया हुआ है. मेरी स्टैनो छुट्टी पर गई हुई है. अगर कुछ दिन तुम उस का काम भी संभाल लो तो मैं तुम्हारा आभारी होऊंगा.’

भला वह कैसे इनकार कर सकती थी. जबतब उस का इंटरकौम बज उठता, ‘कैथरीन, मेरे कैबिन में आना. एक लैटर डिक्टेट करना है.’

एक बार तो वह लिफ्ट से नीचे जा रही थी कि चौधरी भी लिफ्ट में आ गया.

‘तुम घर ही जा रही हो न. कहो तो मैं तुम्हें ड्रौप कर दूं.’

‘नहीं सर, मैं चली जाऊंगी.’

लेकिन चौधरी ने उस की एक न सुनी.

यहां तक तो ठीक था पर एक दिन लिफ्ट में उसे अकेली पा कर चौधरी ने उसे चूम लिया. वह हड़बड़ा गई.

‘सौरी डियर, तुम जब मुसकराती हो तो तुम्हारे गालों में जो गड्ढे पड़ते हैं वे इतने प्यारे लगते हैं कि मैं खुद को रोक न सका,’ चौधरी ने सफाई दी.

वह कैंटीन में बैठी घर से लाया हुआ सैंडविच खा रही थी कि उस के सहकर्मियों ने प्रवेश किया.

‘हैलो कैथरीन, कैसा चल रहा है?’

‘ठीक है.’

‘क्या बात है, तुम कुछ परेशान सी लग रही हो?’ शुक्ला ने कहा, ‘लगता है अपने दिलफेंक आशिक ने कोई गुस्ताखी की है.’

कैथरीन की आंखों में आंसू छलक आए.

‘मैं यह नौकरी छोड़ दूंगी,’ वह बोली.

‘तुम क्यों नौकरी छोड़ोगी? नौकरी तो उसे छोड़नी होगी.’

‘हां, हम सब उस के बरताव से तंग आ गए हैं,’ बनर्जी ने कहा, ‘हम उसे ऐसा सबक सिखाना चाहते हैं कि वह दोबारा कभी लड़कियों को छेड़ने की हिम्मत नहीं करेगा.’

‘हम ने एक प्लान बनाया है,’ गोडबोले ने कहा, ‘तुम साथ दो तो ही इसे अंजाम दिया जा सकता है.’

‘क्या मतलब?’

उन्होंने उसे बताया.

वह सोच में पड़ गई.

‘ओह, मुझे नहीं लगता कि मैं यह सब कर पाऊंगी,’ वह बोली.

‘सोच लो. हम तुम्हें इस काम के लिए 2 लाख रुपए देंगे.’

‘2 लाख?’ वह चकित हुई.

‘हां, हम ने ये रुपए चंदा मांग कर इकट्ठे किए हैं. हम किसी भी कीमत पर चौधरी को यहां से भगाना चाहते हैं. उस ने मेरी बहन का जीवन बरबाद कर दिया. वह इस की चिकनीचुपड़ी बातों में आ गई और इसे दिल दे बैठी. वह सोचती थी कि यह अपनी पत्नी को तलाक दे कर उस से शादी कर लेगा. पर इस ने उसे धोखा दिया. मेरी बहन अपना मानसिक संतुलन खो बैठी है.’

‘लेकिन इस काम में बड़ा जोखिम है,’ उस ने आपत्ति की.

‘बिलकुल नहीं. बात हम चारों के बीच रहेगी. किसी और को कानोंकान खबर भी न होगी, सोच लो. 5 मिनट के काम के लिए 2 लाख मिल रहे हैं.’

वह उधेड़बुन में पड़ी रही. बड़ी विषम परिस्थिति थी. पैसा उस की कमजोरी था. इतने सारे पैसे हाथ आ गए तो उस की सारी मुश्किलें दूर हो जाएंगी. वह और अभि एक अलग मकान किराए पर ले लेंगे और जिंदगी का भरपूर आनंद उठाएंगे. काफी सोचविचार के बाद उस ने निश्चय कर लिया.

हमेशा की तरह चौधरी ने उसे बुलाया. वह शौर्टहैंड की नोटबुक ले कर गई. फिर चौधरी ने साथ कौफी पीने की फरमाइश की. वह उसे कौफी का प्याला थमा रही थी कि प्याला छलक गया और गरमगरम कौफी उस के हाथों पर गिर गई. प्याला उस के हाथ से छूट कर छन्न से जमीन पर जा गिरा. उस के मुंह से चीख निकली.

‘अरे, जरा सी कौफी ही तो गिरी है. इस में इतना परेशान होने की क्या बात है?’ चौधरी ने कहा.

पर उस पर तो जैसे पागलपन सवार हो गया था. वह फिर जोर से चीखी.

‘क्या हुआ, हाथ जल गया क्या? देखूं तो,’ चौधरी ने उस का हाथ थामा.

उस ने उस का हाथ झटक दिया, ‘मुझे हाथ मत लगाना. मुझ से दूर रहो बदमाश कहीं के.’

चौधरी हक्काबक्का रह गया.

‘यह क्या बक रही हो? तुम होश में तो हो?’

तभी अचानक कैबिन का द्वार खुला और 4 लोग अंदर घुस आए.

‘क्या बात है? यह हंगामा कैसा है?’

कैथरीन उन लोगों को देख कर रोते हुए बोली, ‘इस आदमी ने मुझे रेप करने की कोशिश की.’

चौधरी का चेहरा पीला पड़ गया.

‘यह झूठ है. मैं ने इसे हाथ भी नहीं लगाया.’

‘इस ने मुझ से हाथापाई की. मुझे अपनी बांहों में लेना चाहा. मेरे कपड़े फाड़ दिए.’

‘झूठ, सरासर झूठ,’ चौधरी ने सिर हिलाया.

कैथरीन फूटफूट कर रोने लगी.

कैबिन में भीड़ इकट्ठा हो गई थी. कुछ के हाथों में कैमरे थे. वे धड़ाधड़ तसवीरें ले रहे थे. दरअसल, वे टीवी और अखबार वाले थे.

‘हम ने पुलिस को खबर कर दी है,’ किसी ने कहा.

‘नहीं, पुलिस मत बुलाओ,’ चौधरी गिड़गिड़ा रहा था, ‘आप लोग जानते हैं कि यह इलजाम सरासर झूठा है. आप जो चाहें मैं करने के लिए तैयार हूं. मैं इज्जतदार आदमी हूं.’

कैथरीन जब घर पहुंची तो घर के लोग टीवी के इर्दगिर्द बैठे थे. अभि का चेहरा उतरा हुआ था.

 

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