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पूर्व कथा

प्रवीण से अचानक मुलाकात होते ही अर्पिता की कालेज के दिनों की यादें ताजा हो गईं. तब वह प्रवीण को चाहने लगी थी. उधर प्रवीण के दिल में भी उस के लिए प्यार उमड़ने लगा था. मगर प्रवीण के पिता के ट्रांसफर की खबर ने 2 दिलों को एक होने से पहले ही जुदा  कर दिया. कालेज की पढ़ाई के बाद अर्पिता की शादी आनंद के साथ हो गई. शादी के बाद आनंद का अकसर टुअर पर रहना उसे बेहद खलता था. मगर प्रवीण से मिल कर उस के दिल में दबी प्यार की चिनगारी भड़क उठी. एक रोज प्रवीण ने उसे सांस्कृतिक कार्यक्रम में आमंत्रित किया तो वह मना न कर पाई. प्रवीण का साथ पा कर वह बेहद खुश थी.

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रात के लगभग 12 बजे दोनों वहां के गैस्ट हाउस वापस आ गए. चौकीदार दरवाजा बंद कर के अपने कमरे में सोने चला गया. अर्पिता अपने कमरे में जाने लगी तो प्रवीण भी उस के पीछे आ गया और दरवाजा बंद कर के उस ने अर्पिता को अपनी बांहों में भर लिया. अर्पिता के अंगअंग में पलाश की कलियां चटक कर फूल बनने लगीं और वह पलाश के दहकते फूलों की तरह पलंग पर बिछ गई.

2 दिन और 2 रातें प्यार की बड़ी खुमारी में बीत गईं. अर्पिता को लग रहा था कि जैसे वह हनीमून पर आई है. प्यार क्या होता है, कितना रोमांचक और सुखद होता है यह तो उस ने पहली बार ही जाना है. उस का अंगअंग निखर आया. तीसरे दिन सुबह प्रवीण और वह वापस आ गए.

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