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पूर्व कथा

सूरजकुंड मेले में उदय शंकर अपने परिवार के साथ घूमने गए तो संयोगवश वहां रूपा बूआ और उन के मुंहबोले जेठ शंभु दयाल का परिवार मिल गया. बातोंबातों में उदयशंकर की बेटी निक्की ने अपनी बहन अर्पिता की शादी का प्रस्ताव शंभु दयाल के लेक्चरर बेटे ओमी के साथ करवाने का प्रस्ताव रख दिया. बात सब को जंच गई और आननफानन में अगले दिन ओमी और अर्पिता का रिश्ता पक्का हो गया क्योंकि उन्हें उसी रात 3 माह के लिए लंदन जाना था. एक दिन अर्पिता अपने सहकर्मी प्रणय के साथ घर आई और सब को कुछ बताने लगी...

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‘‘ड्राइंगरूम में नौकरों के सामने मैं बताना नहीं चाहती थी कि मैं ने और प्रणय ने आज कोर्ट में शादी कर ली है,’’ अर्पिता ने मैरिज सर्टिफिकेट पिता की ओर बढ़ाया.?

अनीता ने हैरानी से बेटी की सूनी मांग को देखा. निक्की भी भौचक्की सी खड़ी थी लेकिन उदय शंकर ने संयत स्वर में कहा, ‘‘चुपचाप कोर्ट मैरिज की क्या जरूरत थी बेटी? हम से कहतीं तो हम धूमधाम से तुम्हारी शादी प्रणय से कर देते...’’

‘‘अगर ओमी वाला ड्रामा होने से पहले कहती तो,’’ अर्पिता ने बात काटी, ‘‘मैं और प्रणय शादी इसलिए टाल रहे थे कि इस का असर हमारे कैरियर पर पड़ेगा. जब सरला ने, जो स्वयं एक सफल सौफ्टवेयर इंजीनियर है और एक बच्चे की मां भी है, बताया कि यदि पतिपत्नी के बीच सही तालमेल हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. वह बच्चे को सास और पति के पास छोड़ कर यहां आई हुई थी, तो मुझे बात समझ में आई और फिर यह डर था कि कहीं आप लोग निक्की के शोशे को गंभीरता से न ले लो. सो, मैं ने रात को प्रणय को सब बताया. इस ने कहा कि कल मिलने पर बात करेंगे लेकिन इस से मिलने के पहले ही ‘रोका’ हो गया.’’

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