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वह कालेज पहुंचा और अपनी कैंटीन में जा कर बैठ गया. उस का अब क्लास में जाने का भी मन नहीं था. कुछ मिनटों बाद ही सुमित वहां आ गया.

‘‘यार, बड़ी गड़बड़ हो गई,’’ कनिष्क ने कहा.

‘‘क्या हो गया?’’ सुमित ने पूछा.

‘‘वह लड़की याद है कल वाली, उस से मिला आज मैं.’’

‘‘ओहहो, यह कैसे हो गया, कैसा रहा सब. नाम क्या है उस का? नंबर लिया या नहीं?’’ सुमित एक के बाद एक सवाल करने लगा.

‘‘रीतिका नाम है उस का और नंबर मांगता मैं आज लेकिन... यार उस का चेहरा... यह देख,’’ कनिष्क ने फोन खोल रीतिका की इंस्टा पर जितनी तसवीरें थीं सुमित को दिखाईं.

तसवीरें देख कर सुमित का मुंह भी खुला का खुला रह गया. उस के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा, ‘‘भाईसाहब यह क्या है, कैसे, क्यों, मतलब यह कैसे हुआ?’’

‘‘यार, मुझे क्या पता. मैं बस उस की शक्ल नहीं देख पा रहा अब. मुझे कल ही उस की शक्ल दिख जाती तो ऐसा नहीं होता न.’’

‘‘तो कल तू ने शक्ल कैसे नहीं देखी? इंस्टाग्राम पर तो तुझे कल भी शक्ल दिख ही गई होगी.’’

‘‘उस ने मुझे फंसाया है,’’ कनिष्क बोल उठा.

‘‘क्या मतलब?’’ सुमित ने पूछा.

‘‘पहले तो उस ने मेरी रिक्वैस्ट एक्सैप्ट नहीं की ताकि मैं उस की शक्ल न देख पाऊं, फिर इतनी मीठीमीठी बातें कीं मुझ से, लेकिन यह नहीं बताया कि उस की शक्ल ऐसी है. अब तो मुझे लग रहा है कल मेरे बगल में भी वह जानबूझ कर ही बैठी होगी और अपना यूजरनेम भी जान कर ही दिखाया होगा. आजकल की लड़कियां इतनी चालाक हैं न कि क्या बताऊं...’’ कनिष्क लगातार बोले ही जा रहा था कि उस के फोन पर इंस्टाग्राम का नोटिफिकेशन आ गया.

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