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वैशाली समझ नहीं पा रही थी कि पार्टियों में लोग उस की तारीफ करते हैं और उस के चारों तरफ मंडराते हैं वहीं दूसरी ओर सुधीर खुद को उपेक्षित महसूस कर हीनभावना में डूब जाता है और फिर उस का दिल पार्टी में नहीं लगता था. पिछले दिनों ऐसी ही किसी पार्टी में दोनों निमंत्रित थे. गहरी नीली शिफान की खूबसूरत सी साड़ी और सितारों से बनी चमकदार चोली और मैचिंग ज्वेलरी से सजी सब के आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी.

‘वाह, क्या बात है. लगता ही नहीं कि आप 1 बच्चे की मां हैं और आप की शादी को 6 साल हो गए हैं. क्या राज है आप की खूबसूरती का?’ मिसेज चंदेल वैशाली से पूछ रही थीं.

‘इन का क्या है, ये तो एवरग्रीन हैं. इस का क्या राज है जरा हमें भी तो बताएं,’ मिसेज शर्मा मन में ईर्ष्या के साथ पूछ रही थीं.

‘अरे, राज की क्या बात है. नो टेंशन, सुकून की जिंदगी और भरपूर नींद, बस,’ वैशाली मन ही मन खुश होती बोली.

‘केवल इतना? यानी नो एक्सरसाइज, नो डायटिंग, न पार्लर के चक्कर?’ मिसेज चंदेल हैरान थीं.

‘अरे, और क्या?’ वैशाली साफ झूठ बोल गई. हालांकि अपनी खूबसूरती में चारचांद लगाए रखने के लिए वह नियम से महंगे ब्यूटीपार्लर में जाती थी. कम कैलोरी वाला संतुलित खाना और एक्सरसाइज सबकुछ उस के दैनिक जीवन में शामिल था.

‘किस्मत वाले हैं सुधीरजी, जो ऐसी खूबसूरत बीवी मिली.’

‘पता नहीं क्या देख कर शादी कर ली वैशाली ने सुधीर से?’

‘अरे, मर्दों का पैसा और साख देखी जाती है. बाकी बातों से क्या फर्क पड़ता है?’ ऐसी ही कुछ बातें चल रही थीं महिला मंडली में, जहां उस का ध्यान भी नहीं गया कि कब करीब से गुजर रहे सुधीर के कानों में ये बातें पड़ गईं और वह तरसता रह गया कि कब वैशाली उन को ऐसी बातों के लिए झिड़क दे या उस की तारीफ में कुछ कहे. और ऐसी ही बातों पर कई दिनों तक सुधीर का मूड उखड़ा ही रहता था.

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