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फिर कुछ इधरउधर की बातें कर मारिया ने थैंक्स कहते हुए फोन रख दिया. मारिया को सुजन से भी कुछ खास जानकारी न मिल सकी. अब वह और परेशान थी. तभी मार्गरेट के जोर से चिलाने की आवाज आई. मारिया दौड़ कर कमरे में पहुंची, मार्गरेट को देखा एक जगह सुन्न सी खड़ी रही. मार्गरेट अपने कपड़ों को अपने ही हाथों से नोचनोच कर अलग कर रही थी. बालों का एक गुच्छा जमीन पर पड़ा था. मार्गरेट की हालत और हरकतें कुछ पागलों जैसी थीं... मारिया ने खुद को फिर संभाला और मार्गरेट के पास जा उसे प्यार से सहलाने की कोशिश की तो मार्गरेट ने उस का हाथ झटकते हुए कहा, ‘‘डौंट टच मी,’’ और फिर जोरजोर से चिल्लाने लगी...

मार्गरेट की हालत देख कर मारिया को यह तो समझ आ गया था कि मार्गरेट किसी मानसिक समस्या से जूझ रही है. बड़ी मुश्किल से मारिया ने मार्गरेट को संभाला. किसी तरह खाना खिला उसे सोने के लिए छोड़ कमरे से बाहर गई. काफी रात हो चुकी थी, पर उस से रहा न गया. अपने फैमिली डाक्टर को फोन मिलाया और सारा ब्योरा देते हुए पूछा, ‘‘डाक्टर अमन बताएं मैं क्या कंरू? प्लीज मेरी मदद कीजिए. मैं ने अपनी बेटी को पहले कभी ऐसी हालत में नहीं देखा है.’’ डाक्टर ने धैर्य बंधाते हुए कहा, ‘‘मेरे खयाल से डाक्टर राजन आप की मदद कर सकते हैं, क्योंकि वे साइकिएट्रिस्ट हैं. मेरे अच्छे दोस्त हैं. तुम्हारी मदद जरूर करेंगे...डौंट वरी... सब ठीक हो जाएगा. तुम्हारी कल की अपौइंटमैंट फिक्स करवा देता हूं.’’

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