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आज औफिस का काम जल्दी निबट गया, तो नकुल होटल न जा कर जुहू बीच आ गया. बहुत नाम सुन रखा था उस ने मुंबई जुहू बीच का. यहां आते ही उसे एक अजीब सी शांति महसूस हुई. लोगों की भीड़भाड़ से दूर वह एक तरफ जा कर बैठ गया और आतीजाती लहरों को देखने लगा. कितना सुकून, कितनी शांति मिल रही थी उसे बता नहीं सकता था.

सब से बड़ी बात यह कि यहां उसे कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था और न ही कोई सिर पर सवार रहने वाला. यहां तो बस वह था और उस की तनहाई. उस का मन कर रहा था यहां कुछ दिन और ठहर जाए या पूरी उम्र यहीं गुजार दे तो भी कोई हरज नहीं है. अच्छा ही है न, कम से कम ऐसे इंसान से तो छुटकारा मिल जाएगा जो हरदम उस के पीछे पड़ा रहता है. लेकिन यह संभव कहां था.

खैर, एक गहरी सांस लेते हुए नकुल आतेजाते लोगों को, भेलपूरी, पानीपूरी, सैंडविच का मजा लेते देखने लगा. अच्छा लग रहा था उसे. वहीं उधर एक जोड़ा दीनदुनिया से बेखबर अपने में ही मस्त नारियल पानी का मजा ले रहा था. वे जिस तरह से एकदूसरे की आंखों में आंखें डाले एक ही स्ट्रो से नारियल पानी शिप कर रहे थे, उस से तो यही लग रहा था दोनों एकदूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं. आंखों ही आंखों में दोनों जाने क्या बातें करते और फिर हंस पड़ते थे.

अच्छा है न, लोगों को पता भी नहीं चलता और 2 प्यार करने वाले आंखों ही आंखों में अपनी बातें कह देते हैं. मुसकराते हुए नकुल ने मन ही मन कहा, ‘चेहरा झठ बोल सकता है पर आंखें नहीं. यदि किसी व्यक्ति की बातों का सही और गहराई से अर्थ जानना हो तो उस के चेहरे को विशेष तौर पर आंखों को पढ़ना चाहिए. यदि 2 प्यार करने वाले आपस में एकदूसरे को अच्छी तरह समझते हैं तो उन्हें बोलने की कुछ भी जरूरत नहीं पड़ती.

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