कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मोबाइल की रिंगटोन सुन कर मान्या की नींद खुली. उस ने उनींदी सी आंखों से देखा, मां का फोन था.

‘‘हैलो मां,’’ मान्या फोन उठा कर नींद भरे स्वर में बोली.

‘‘क्या बात है मान्या बेटा, तुम्हारी आवाज भारीभारी क्यों लग रही है? क्या तबीयत ठीक नहीं है?’’ मां का चिंतित स्वर सुनाई दिया.

‘‘नहीं मां. मैं सो रही थी. आप ने इतनी सुबह क्यों फोन किया?’’ मान्या खीज कर बोली.

‘‘सुबहसुबह?’’ मां के स्वर में आश्चर्य था, ‘‘अरे, 9 बज रहे हैं.’’

‘‘ओह मां तो क्या हुआ आज छुट्टी है. एक ही दिन तो मिलता है सोने के लिए बाकी के 6 दिन तो सुबह से ले कर रात तक भागतेदौड़ते बीतते हैं. अच्छा आप बताओ फोन क्यों किया?’’

‘‘तुम्हारे लिए तुम्हारी दीदी की जेठानी के भाई का रिश्ता आया है. उन लोगों को तुम्हारा फोटो पसंद आया है. लड़का भी बहुत अच्छा है मान्या और देखाभाला परिवार है. न इस बार कोई मीनमेख निकालना और न ही फुजूल के बहाने बनाना. बस जल्दी औफिस में छुट्टी की अर्जी दे और जल्द से जल्द घर आ जा. तुम दोनों एकदूसरे को आमनेसामने देख लो और अपनी रजामंदी दे दो. हम बड़ों की ओर से तो बात पक्की ही है. लड़का जयपुर में रहता है. वहां तुम्हें भी आराम से नौकरी मिल जाएगी,’’ मां खुशी में एक ही सांस में पूरी बात कह गईं.

‘‘आप ने फिर मेरी शादी का पुराण शुरू कर दिया. मां, मैं ने कितनी बार कहा है कि मुझे अभी शादी नहीं करनी है,’’ मान्या खीज कर बोली.

‘‘2 महीने बाद 27 साल की हो जाओगी... और कब तक शादी नहीं करोगी? पहले पढ़ाई, फिर कैरियर अब और क्या बहाना बचा है? 1-2 साल और शादी नहीं की तो कुंआरे लड़कों के रिश्ते आने बंद हो जाएंगे. फिर तो तलाकशुदा या विधुर अधेड़ों के ही रिश्ते आएंगे,’’ मां गुस्से से भुनभुनाईं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...