कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

अजय ने परेशान होते हुए कहा, ‘‘चलो, डाक्टर को दिखा लेते हैं.’’ ‘‘नहीं, बस ऐसे ही तबीयत बहुत सुस्त रहती है आजकल...यों ही मन घबरा जाता है.’’

‘‘हां, मां भी कह रही थीं, ये सब प्रैगनैंसी की वजह से ही होगा, ठीक हो जाएगा. तुम आराम करो.’’ शिवानी आखें बंद कर चुपचाप लेटी रही. अजय उस का सिर सहलाता रहा. अजय ने मन ही मन शिवानी को खुश करने के लिए उसे एक सरप्राइज देने की सोची. वह शिवानी के सब दोस्तों को जानता था. अपने विवाह में सब से अच्छी तरह मिल चुका था. बाद में भी अकसर मिलते रहे थे. उस के पास रमन का फोन नंबर भी था. उस ने उसे ही फोन पर कहा, ‘‘भई, तुम्हारी फ्रैंड खुशखबरी सुनाने वाली है... एक पार्टी हो जाए?’’

‘‘वाह, बधाई हो, बिलकुल हो जाए पार्टी.’’ ‘‘चलो, तुम बाकी सब से बात कर लो. शिवानी के लिए सरप्राइज है सब का आना. सब हमारे घर पर संडे को डिनर के लिए आ जाओ, शिवानी अभी कुछ सुस्त चल रही है. बाहर जाने पर शायद उसे परेशानी हो.’’

‘‘हांहां, मैं सब से बात कर लूंगा.’’ ‘‘अपनी पत्नी और रीता के पति को भी इन्वाइट करना मेरी तरफ से.’’

‘‘हां, ठीक है. सब आएंगे.’’ रमन की पत्नी मंजू भी इस पार्टी का कारण सुन कर खुश हुई. रमन ने अपने पूरे गु्रप को इस पार्टी की सूचना दे दी. सब तैयार थे. अजय ने घर में सब को बता दिया था पर शिवानी को कुछ पता न था. गौतम के कुछ मेहमान आएंगे, उसे यही पता था. वह लता और उमा के साथ हलकेफुलके काम करती रही.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...