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अब प्रसून पुणे बहुत कम समय के लिए जाता. मान्या कभी उस के संग लहंगा पसंद करने जाती तो कभी उस की शेरवानी. पता ही नहीं चला कि समय कब बीत गया. कार्ड भी छप कर आ गए.

मगर अभी तक उस ने अपने स्कूल में किसी को अपनी सगाई की बात नहीं बताई थी. उस की उंगली में अंगूठी देख उस की साथी टीचर्स ने उसे छेड़ा था तो उस ने साफ मना कर दिया.

लेकिन भला ऐसी बातें कहीं छिप पाती हैं. स्कूल की ओनर को उस की सगाई की खबर लग चुकी थी. उन्होंने उसे अपने कैबिन में बुला कर कहा, ‘‘मान्या, नए जीवन के लिए तुम्हें बहुतबहुत बधाई. शादी कर के कहां जाने वाली हो?’’

उस ने शरमाते हुए कहा, ‘‘पुणे.’’

‘‘मुझे सुन कर बहुत खुशी हुई, क्योंकि मैं भी अपने जीवन में एक बार धोखा खा चुकी हूं. लेकिन अक्षय के प्यार में जीवन के उस कड़वे दौर को बिलकुल भूल चुकी हूं.’’

‘‘मैडम, प्रसून भी बहुत अच्छे इनसान हैं. आयुष को तो बहुत ही प्यार करते हैं. उसी के भविष्य के बारे में सोच कर तो मैं शादी के लिए तैयार हुई हूं.’’

‘‘क्या नाम बताया तुम ने? जरा फिर से बताओ तो?’’

‘‘जी, प्रसून. उन की पुणे में प्लेसमैंट एजेंसी है. बहुत अच्छा काम है.’’

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‘‘चलो, शादी में तो मिलना होगा ही.’’

फिर कुछ देर सोच कर बोलीं, ‘‘अपनी सगाई का फोटो यदि मोबाइल में हो तो दिखाओ. हम भी तो तुम्हारे होने वाले हमसफर को देखें.’’

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