लेखिका- डा. मंजरी अमित चतुर्वेदी

फ्लाइट बेंगलुरु पहुंचने ही वाली थी. विहान पूरे रास्ते किसी कठिन फैसले में उलझ था. इसी बीच  मोबाइल पर आते उस कौल को भी वह लगातार इग्नोर करता रहा. अब नहीं सींच सकता था वह प्यार के उस पौधे को, उस का मुरझ जाना ही बेहतर है. इसलिए उस ने मिशिका को अपनी फोन मैमोरी से रिमूव कर दिया. मुमकिन नहीं था यादों को मिटाना, नहीं तो आज वह उसे दिल की मैमोरी से भी डिलीट कर देता सदा के लिए.

‘सदा के लिए... नहींनहीं, हमेशा के लिए नहीं, मैं मिशी को एक मौका और दूंगा,’ विहान मिशी के दूर होने के खयाल से ही डर गया.

‘शायद ये दूरियां ही हमें पास ले आएं,’ यही सोच कर उस ने मिशी की लास्ट फोटो भी डिलीट कर दी.

इधर  मिशिका परेशान हो गई थी, 5 दिनों से विहान से कोई कौंटैक्ट नहीं हुआ था.

‘‘हैलो दी, विहान से बात हुई क्या? उस का न कौल लग रहा है न कोई मैसेज पहुंच रहा है, औफिस में एक प्रौब्लम आ गई है, जरूरी बात करनी है,’’ मिशी बिना रुके बोलती गई.

‘‘नहीं, मेरी कोई बात नहीं हुई. और प्रौब्लम को खुद सौल्व करना सीखो,’’ पूजा ने इतना कह कर फोन काट दिया.

मिशी को दी का यह रवैया अच्छा नहीं लगा, पर वह बेपरवाह सी तो हमेशा से ही थी, सो उस ने दी की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

मिशिका उर्फ मिशी मुंबई में एक कंपनी में जौब करती है. उस की बड़ी बहन है पूजा, जो अपने मौमडैड के साथ रहते हुए कालेज में पढ़ाती है. विहान ने अभी बेंगलुरु में नई मल्टीनैशनल कंपनी जौइन की है. उस की बहन संजना अभी पढ़ाई कर रही है. मिशी और विहान के परिवारों में बड़ा प्रेम है. वे पड़ोसी थे. विहान का घर मिशी के घर से कुछ ही दूरी पर था. 2 परिवार होते हुए भी वे एक परिवार जैसे ही थे. चारों बच्चे साथसाथ बढ़े हुए.

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