‘‘तू ने वह डायरी पढ़ी?’’ प्राची ने नताशा से पूछा.

‘‘हां, बस 2 पन्ने,’’ नताशा ने जवाब दिया.

‘‘क्या लिखा था उस में?’’

’’ज्यादा कुछ नहीं. अभी तो बस 2 पन्ने ही पढ़े हैं. शायद किसी लड़के के लिए अपनी फीलिंग्स लिखी हैं उस ने.’’

‘‘फीलिंग्स? फीलिंग्स हैं भी उस में?‘‘ प्राची ने हंसते हुए पूछा.

‘‘छोड़ न यार, हमें क्या करना. वैसे भी डायरी एक साल पुरानी है. क्या पता तब वह ऐसी न हो,’’ नताशा ने कुछ सोचते हुए कहा.

‘‘अबे रहने दे. एक साल में कौन सी कयामत आ गई जो वह ऐसी बन गई. तू ने भी सुना न कि उस के और विवान के बीच क्या हुआ था. और अब उस की नजर तेरे अमन पर है. मैं बता रही हूं उसे तान्या के साए से भी दूर रख, तेरे लिए अच्छा होगा.’’

‘‘हां,’’ नताशा ने हामी भरी.

‘‘चल तू यह डायरी जल्दी पढ़ ले इस से पहले कि उसे डायरी गायब होने का पता चले. कुछ चटपटा हो तो मु झे भी बताना,’’ कहते हुए प्राची वहां से निकल गई.

नताशा कुछ सोचतेसोचते लाइब्रेरी में जा कर बैठ गई. 2 मिनट बैठ कर वह तान्या के बारे में सोचने लगी. उस के मन में तान्या को ले कर कई बातें उमड़ रही थीं. आखिर तान्या की डायरी में जो कुछ लिखा था उस की आज की सचाई से मिलताजुलता क्यों नहीं था? क्यों तान्या उसे कभी भी अच्छी नहीं लगी. वह एक शांत स्वभाव की लड़की है जो किसी से ज्यादा मतलब नहीं रखती. लेकिन, विवान के साथ उस का जो सीन था वह क्या था फिर.

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