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पूर्व कथा

रश्मि की सोच है कि किसी भी बच्चे का भविष्य खराब न हो. जैसे ही उसे पता चलता कि किसी बच्चे के परिवार में समस्या है, वह उस की मदद करने को तैयार हो जाती. न जाने कितने ही विद्यार्थियों की फीस, किताबें, यूनीफार्म आदि का वह इंतजाम करती, जिस का हिसाब नहीं. नतीजतन, वह स्वयं पैसों के अभाव में रहती.
एक दिन रश्मि ने मिहिर की मां वर्षा को नसीहत दी तो उस ने बेटे को पीटना बंद कर दिया और वह आदर्श मां बन गई. रश्मि से प्रभावित हो कर वर्षा उस के काफी करीब हो गई. वर्षा ने रश्मि को दूसरे बच्चों, परिवारों के लिए पैसा खर्च करने से बारबार रोका लेकिन रश्मि अपनी धुन में बढ़ती ही रही.

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रुद्र से ही जाना था कि रश्मि ने अपनी जिंदगी में कभी भी अपने दोनों बच्चों पर हाथ नहीं उठाया. हाथ उठाने की बात तो दूर, कभी ऊंची आवाज में डांटा तक नहीं. शायद यही वजह थी कि उस के दोनों बेटे रुद्र और आदित्य शांत प्रकृति के साथ ही साथ पढ़ने में होनहार और तेजस्वी विद्यार्थी हैं. रुद्र वाणिज्य में स्नातक बनने के बाद एम.बी.ए. कर रहा है. आदित्य गत 2 साल से आस्टे्रलिया में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है.

शायद ये सब उस की नेकनियती की ही बदौलत है कि वह आर्थिक, सामाजिक एवं पारिवारिक दृष्टिकोण से एकदम सुखी है. उस के घर में उसे किसी बात की कमी नहीं. शायद उस ने अपने हिस्से का सारा अभाव भरा जीवन पहले ही जी लिया था और यही वजह है कि वह दूसरों की मदद करने को सदा तत्पर रहती है. मेरी सास के अचानक गुजर जाने के कारण कुछ दिन तक मेरा रश्मि से मिलना नहीं हो सका. वैसे वह उन दिनों मुझे सांत्वना देने के लिए कम से कम 4 बार मेरे घर आई लेकिन उस माहौल में उस से ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई थी.

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