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लेखक- नीरजा श्रीवास्तव

स्वरा का नंबर तो मिला, पर वह अब प्रयाग में नहीं दिल्ली में थी. उस ने सीधे कहा, ‘‘अब क्या फायदा उन का डिवोर्स भी हो गया. उस समय तो कोई आया भी नहीं. मलय ने तो उस की जिंदगी ही तबाह कर दी थी. उस की मम्मी भी उस के गम से चल बसीं. अब तो अपने पति शशांक के साथ कनाडा में बहुत खुश है. आप लोग उस की फिक्र न करें तो बेहतर होगा.’’

‘‘ऐसा नहीं हो सकता स्वरा.’’

‘‘डिवोर्स हो गया और क्या नहीं हो सकता?’’

‘‘वही तो, मैं हैरान हूं. मुझे मालूम है कि वह बहुत प्यार करती थी मलय से,

इस घर से, हम सब से. मेरी भाभी ही नहीं, वह मेरी सहेली भी थी. यकीन नहीं होता कि उस ने बिना कुछ बताए डिवोर्स भी ले लिया और दूसरी

शादी भी कर ली. दिल नहीं मानता. कह दो स्वरा यह झूठ है. मैं पति के साथ सालभर के लिए न्यूजीलैंड क्या गई इतना कुछ हो गया.तुम उस का नंबर तो दो, मैं उस से पूछूंगी

तभी विश्वास होगा. प्लीज स्वरा,’’ हिमानी ने रिक्वैस्ट की.

‘‘नहीं, उस ने किसी को भी नंबर देने के लिए मना किया है.

‘‘क्या करेंगी दी, मौली बस हड्डियों का ढांचा बन कर रह गई है. उस की हालत देखी नहीं जाती. उसी ने... कोई उस के बारे में पूछे तो यही सब कहने के लिए कहा था,’’ स्वरा फूटफूट कर रो पड़ी. हार कर दे ही दिया मौली का नया नंबर स्वरा ने.

‘‘यह तो इंडिया का ही है,’’ हिमानी आश्चर्यचकित थी.

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