कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

शहनाई बजी और चारुल अपने पिया की मनभावन दुलहन बन कर पायल छनकाती ससुराल आ गई.

यश के पिता वृद्ध हो चले थे. बढ़ती उम्र के कारण फैक्टरी का काम अच्छी तरह से न संभाल पाते. इसलिए यश ने पिता के जमेजमाए बिजनैस में हाथ आजमाने का निर्णय लिया.

चारुल ने एक प्रतिष्ठित एमएनसी जौइन कर ली.

विवाह के बाद के शुरुआती दिन मानो मदहोश भरी खुमारी में बीते.

चारुल एक सहृदय, साफ दिल की मृदु स्वाभाव की लड़की थी. वक्त के साथ वह ससुराल के तौरतरीके सीखती गई. अपनी नरमदिली और मीठे व्यवहार से उस ने धीरेधीरे ससुराल के सभी सदस्यों के मन में जगह बना ली.

किसी के मन में कोई खलिश न थी. उन के विवाह की पहली वर्षगांठ बेहद धूमधाम से मनी. शानदार पार्टी आयोजित की गई. इस आयोजन के कुछ ही दिन बीते थे कि यश की तबीयत अचानक गिरने लगी. उसे निरंतर थकान, पैरों में सूजन, उबकाई, सीने में दर्द और भारीपन की शिकायत रहने लगी.

डाक्टरों ने सभी टेस्ट करवाए जिस से पता चला कि उस की किडनी फेल होने की कगार पर है. 1 वर्ष की अवधि में उस का किडनी फंक्शन 30% तक रह गया.

उसे अब सप्ताह में एक बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ने लगी. इस बीमारी की वजह से वह अपनेआप को फैक्टरी का कामकाज सुचारु रूप से संभाल पाने में असमर्थ पाने लगा. उस के पिता भी कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे.

 

कुछ ही दिनों में फैक्टरी के कर्मचारियों के भरोसे चलने पर व्यापार में गिरावट आने लगी. इसलिए यश और चारुल ने मिलजुल कर निर्णय लिया कि चारुल को नौकरी छोड़ कर फैक्टरी से जुड़ जाना चाहिए, जिस से घर का व्यापार सही ढंग से चलता रहे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...