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वहां पहुंच कर रजत एक सोफे में धंस गया उस ने सुनयना को अपनी गोद में ले कर उसे अपनी बांहों में भींच लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा. फिर बोला, ‘‘अगर तुम राजी हो जाओ तो यह घर हमारा ‘लव नैस्ट’ बन सकता है. हम दोनों यहां एक कबूतरकबूतरी की तरह गुटरगूं करेंगे.’’

सुनयना ने रजत की गिरफ्त से अपनेआप को छुड़ाने की कोशिश की तो रजत ने उसे और कस लिया, ‘‘क्यों न तुम मेरे साथ रशिया चली चलो. वहीं हनीमून मनाएंगे,’’

‘‘बगैर शादी के हनीमून?’’

‘‘फिर वही शादी की रट. तुम पर तो शादी का भूत सवार है. मैं तो सुनसुन कर बोर हो गया.’’

‘‘रजत तुम इस विषय में मेरे विचार भलीभांति जानते हो. मैं मध्यवर्गीय लड़की हूं. मेरी कुछ मान्यताएं हैं. मैं लीक से हट कर कुछ करना नहीं चाहती. मेरे मातापिता के दिए कुछ संस्कार हैं जिन्हें मैं नकार नहीं सकती. हम जिस समाज में रहते हैं उन के नियमों को मैं नजरअंदाज नहीं कर सकती. मु?ो लोकलाज का भय है, लोगों के कहने की चिंता है.’’

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि तुम्हें मुझ से ज्यादा औरों की परवाह है.’’

‘‘तुम मेरी बातों का गलत मतलब क्यों लगाते हो? तुम अच्छी तरह जानते हो कि मैं तुम्हें अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हूं.’’

‘‘सच?’’

‘‘हां, चाहो तो आजमा कर देखो.’’

‘‘तुम सचमुच मुझ से बेइंतहा प्यार करती हो?’’

‘‘कहा तो. अब तुम्हें कैसे यकीन दिलाऊं. कहो तो अपना कलेजा चीर कर दिखा दूं, चाहो तो इस 8वीं मंजिल से कूद जाऊं.’’

‘‘ओ नो. तुम अपनी जान दे दोगी तो मेरा क्या होगा? तुम्हारा यह सुंदर शरीर बेजान हो जाएगा तो मैं कैसे जियूंगा?’’

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