नव्या के यों हंसने से नैवेद्य को लगा वह फिर से अपना कौन्फिडैंस खोने लगा, लेकिन अगले ही क्षण अपनी पूरी हिम्मत बटोर बोल पड़ा, ‘‘नव्या, मैं मजाक नहीं कर रहा. मैं बहुत सीरियसली कह रहा हूं. मुझे वाकई में
तुम से प्यार हो गया है.’’
‘‘कम औन किड्डो. ग्रो अप. यह प्यारव्यार कुछ नहीं. तुम्हें मुझ पर क्रश हो गया है, और कुछ नहीं. यह क्रश का बुखार कुछ ही दिन
रहता है. इस का पारा जैसे चढ़ता है, वैसे ही उतर भी जाता है,’’ नव्या ने मंदमंद मुसकराते हुए उस से कहा.
‘‘ओह नव्या, यह क्रश नहीं, डैम इट, प्यार है
प्यार. पिछले वीक की सेल्स कौन्फ्रैंस के बाद से मैं तुम्हें दिल दे बैठा हूं. सोतेजागते, उठतेबैठते मुझे तुम ही तुम दिखती हो. मेरी फीलिंग का मजाक तो कम से कम
मत उड़ाओ.’’
इस पर नव्या बोली, ‘‘मैं तुम्हारा मजाक नहीं उड़ा रही किड, लेकिन मेरी और तुम्हारी दुनिया में जमीनआसमान का अंतर है.’’
‘‘अंतर, कैसा
अंतर?’’
‘‘यह तुम्हारा ऐप्पल का आईफोन और वाच, नाइके के जूते, प्रीमियम ब्रैंड के कपड़े और परफ्यूम बताते हैं तुम्हारी बैकग्राउंड बेहद रिच है. मुझे देखो, यह
मेरा ऐंड्रौइड फोन, जरूरत भर सामान के साथ यह मेरा छोटा सा स्टूडियो अपार्टमैंट. मेरी बैकग्राउंड तुम से बहुत कमतर है बच्चे. मेरे पापा एक रिकशा चलाने वाले हैं.
बोलो एक रिक्कशा चलाने वाले की बेटी के साथ इनवौल्व होना पसंद करोगे?’’
‘‘ओह नव्या, सब से पहले तो मुझे यह किड कहना बंद करो. और हां मुझे इस
बात से बिलकुल कोई फर्क नहीं पड़ता?’’
‘‘ओह, तुम्हारी क्या उम्र है, नैवेद्य?’’
‘‘मैं पूरे 25 साल का हूं.’’
‘‘मैं पूरे 30 की हूं. तुम से पूरे 5 साल
बड़ी.’’
‘‘तो क्या हुआ? प्यार में ये बातें माने
नहीं रखतीं.’’
‘‘रखती हैं नैवेद्य, मेरीतुम्हारी दुनिया
2 पोल्स हैं. मेरातुम्हारा कोई मेल नहीं.’’
‘‘मैं तुम्हें कैसे
विश्वास दिलाऊं कि मैं तुम्हें दिलोजान से चाहने लगा हूं.’’
‘‘नहींनहीं, मैं कभी अपने से कम उम्र इंसान को अपनी जिंदगी में शामिल नहीं कर सकती.’’
‘‘ओह
नव्या, प्लीज, ये दकियानूसी बातें करना बंद करो. अच्छा चलो मेरा प्यार कबूल करना नहीं चाहती, तो न सही. मेरी दोस्ती ही ऐक्सैप्ट कर लो यार. चलो, यह
ट्यूलिप्स तुम्हारीमेरी दोस्ती के नाम.’’
‘‘ओके, बहुत प्यारे ट्यूलिप्स हैं,’’ नव्या ने उन्हें हाथ से सहलाते हुए कहा, ‘‘ओके डन, औनली फ्रैंडशिप, नो प्यारव्यार
ओके?’’
‘‘ठीक है भई, ठीक है.’’
दोनों को बातचीत करतेकरते रात के
10 बजने को आए. यह देख कर नव्या
ने उस से कहा, ‘‘नैवेद्य 10 बजने वाले हैं. घर
नहीं जाना?’’
‘‘तुम्हें छोड़ कर घर जाने का मन ही नहीं कर रहा. यार भूख लग रही है डिनर ही करवा दो.’’
‘‘नैवेद्य, अब मेरा तो खाना बनाने का मन ही
नहीं कर रहा. चलो रेस्तरां चलते हैं.’’
‘‘अरे नव्या, मैं बाहर का खाना अवौइड करता हूं. और हां बाई द वे, मैं बहुत अच्छा कुक भी हूं. क्या आज मैं तुम्हें अपने
हाथों से खाना बना कर खिला सकता हूं? इजाजत है तुम्हारी किचन में घुसने की? बोलो तुम्हें क्या खाना है?’’
‘‘अरे नैवेद्य, तुम मेरी किचन में क्या बनाओगे?
अब इतनी देर से मेरा तो किचन में पैर रखने तक का मन नहीं कर रहा.’’
‘‘औल द बेटर. चलो तुम्हें पकौड़े पसंद हैं?’’
‘‘बेहद. प्याज के पकौड़े मेरे पसंदीदा
हैं. क्या तुम पकौड़े बना लेते हो?’’
‘‘मैडम, बस आप मुझे पकौड़े बनाने की सारी चीजें दे दीजिए, बेसन, प्याज, अदरक, हरीमिर्च और बस तसल्ली से बाहर बैठ
जाइए. और हां, मुझे मसालादानी भी चाहिए.’’
नव्या ने उसे बेसन और मसालदानी थमाई. फिर प्याज, अदरक और हरीमिर्च
प्लैटफौर्म पर रख कर बोली, ‘‘चलो,
मैं ये सब धो कर काट देती हूं.’’
‘‘नहीं मैडम, मुझे अपनी किचन में कोई नहीं चाहिए. किचन में बस मैं और मेरी तनहाई. यहां किसी तीसरे की गुंजाइश नहीं,’’
कहते हुए उस ने नव्या के हाथ से चाकू छीना और उसे कंधों से थाम लगभग धकेलते हुए ओपन किचन के प्लेटफौर्म की दूसरी ओर एक स्टूल पर बैठा दिया और
फिर उस से कहा, ‘‘आप बस यहां बैठिए और मुझ से बातें कीजिए. अगले 1 घंटे तक किचन में आप की नो ऐंट्री है.’’
लगभग आधे घंटे में पकौड़े बन गए.
गरमगरम पकौड़े एक प्लेट में रख कर नैवेद्य ने प्लेट नव्या को थमाई, ‘‘चलो नव्या, ऐंजौय दी…’’
खातेखाते रात के 12 बजने को आए.
नैवेद्य ने नव्या से
विदा ली. उस रात नैवेद्य को सी औफ कर के वह नैवेद्य के बारे में ही सोचती रही.
उस का खयाल करते ही उस का मासूम सा चेहरा आंखों के सामने आ गया और
कानों में उस के शब्द गूंजने लगे कि मुझे तुम से प्यार हो गया है. उस के चेहरे पर बरबस एक उदास मुसकराहट तिर आई और वह मन ही मन में बुदबुदाई कि
नैवेद्य, तुम्हें मेरी असलियत नहीं मालूम. मैं जिस दिन तुम्हें अपनी वास्तविकता बता दूंगी उसी दिन तुम मेरी दुनिया से दूर चले जाओगे, दूर बहुत दूर.
उस की आंखें
नम हो आईं कि तभी नींद का एक झोंका आया और कुछ ही देर में वह नींद के आगोश में गुम हो गई.
अगली सुबह वह उठी तो उस ने अपना फोन चैक किया. फोन
पर नैवेद्य का मैसेज आया था, ‘गुड मौर्निंग लव. गुड डे,’ साथ में एक हार्ट की सुर्ख इमोजी भी थी.
नैवेद्य का यह मैसेज पढ़ कर उस के मन में गुदगुदी हुई. यह
एहसास मन को बेहद भला लगा कि कोई तो है इस दुनिया में जो उसे चाहने लगा है, उसे पसंद करने लगा है.
दिन यों ही कैसे घर के कामों, कुकिंग, सफाई में बीत
गया, उसे पता ही नहीं चला.
शाम हो आई थी. वह कंबल में सिकुड़ी टीवी देख रही थी कि तभी अचानक फोन पर नैवेद्य का मैसेज फ्लैश हुआ. स्क्रीन पर हार्ट की
बहुत सारी सुर्ख इमोजी लगातार आए जा रही थीं. उन्हें देख वह बरबस मुसकरा उठी कि तभी अचानक उस के घर की घंटी बजी.
उस ने दरवाजा खोला. एक बार फिर
अपने हाथों में सुर्ख ट्यूलिप्स का बेहद खूबसूरत बुके थामे नैवेद्य उस के सामने खड़ा था.
‘‘गुड मौर्निंग माई लव. यह उस स्वीट सी लड़की के लिए, जिस ने मेरा
दिल चुरा लिया है.’’
जवाब में नव्या ने उसे एक उदास दृष्टि से देखा, जिसे लक्ष्य कर नैवेद्य ने उस से कहा, ‘‘क्या हुआ नव्या, कोई परेशानी?’’
‘‘नहींनहीं,
कुछ नहीं. भीतर आओ, बैठो.’’
तभी नैवेद्य अपने चिरपरिचित अंदाज में चहका, ‘‘आज घर में रहने का बिलकुल मन नहीं है. आज मौसम बहुत सुहाना हो रहा
है… आज रिवर वौक चलते हैं. तुम्हारे घर के पास भी है. कल ही मेरा एक दोस्त इस के बारे में बता रहा था कि बहुत बढि़या जगह है.’’
‘‘ठीक है नैवेद्य, वहीं
चलते हैं. मुझे तो वहां जाना बहुत अच्छा लगता है. मैं तो कई बार शाम को जौगिंग के लिए वहां जाती हूं. वहां कहींकहीं घास पर कुरसियां भी पड़ी हैं. किसी शांत
कोने में बैठ कर अपने मन की बातें भी कर लेंगे. मैं आज अपने बारे में तुम्हें सबकुछ साफसाफ बताना चाहती हूं.’’
‘‘मैं तुम्हारे पास्ट के बारे में कुछ नहीं जानना चाहता. कितनी बार कह चुका हूं कि मुझे उस से कोई मतलब नहीं.’’
‘‘पर मैं तो तुम्हें सबकुछ बताना चाहती हूं. ठीक है, तुम बैठो मैं तैयार हो कर आती हूं.’’
‘ ‘ओके यार, देर मत करना.’’
‘‘हांहां, बस अभी आई.’’