आयुषी सब काम खत्म कर के लैपटौप खोल कर बैठ गई थी. आयुषी ने देखा घड़ी में 1 बज रहे थे. अभी सायशा के आने में 1 घंटा शेष था. उस ने बहुत दिनों बाद फेसबुक पर लौगइन किया था. स्क्रौल करतेकरते अचानक से एक फ्रैंड रिक्वैस्ट को देख कर आयुषी का दिल धक से रह गया. तरंग की फ्रैंड रिक्वैस्ट आई हुई थी. उस नाम पर हाथ रखते हुए भी उस की उंगलियां कांप रही थीं.

10 साल बीत गए थे. एक तरह से वह इस नाम को भूल चुकी थी. पर जब कभी भी उस की अपने पति से अनबन होती थी तो रहरह कर उसे तरंग की याद आती थी. आयुषी को लगता था कि यह तरंग का संताप है जिस की वजह से इतने सालों बाद भी उसे अपने घर में सुकून नहीं मिलता है.

बहुत देर तक वह तरंग की प्रोफाइल पिक्चर को देखती रही थी. गुलाब का फूल था और कोई जानकारी नहीं थी. इतने साल तो बीत गए हैं, अब कहां तरंग को उस की याद होगी. फिर एक मीठी सी शरारत भरी मुसकान उस के चेहरे पर आ गई. कितने अच्छे दिन थे वे. आयुषी को पता था कि तरंग उस का दीवाना था पर न जाने क्यों आयुषी कभी हिम्मत ही न जुटा पाई कि वह अपने परिवार के खिलाफ जा कर तरंग के प्यार को स्वीकार कर पाए.

न जाने क्या सोचते हुए उस ने तरंग नामक प्रोफाइल की फेसबुक रिक्वैस्ट ऐक्सैप्ट कर ली. फिर आयुषी
खो गई साल 2000 में...

आयुषी उन दिनों कालेज के फाइनल ईयर में थी. वह और उस की दोस्त अनुपम प्रैक्टिकल क्लास के बाद वापस घर की ओर जा रहे थे. तभी उस ने ध्यान दिया कि एक लंबा, सांवला और पतला लड़का बारबार मोटरसाइकिल से उस के इर्दगिर्द घूम रहा है. आयुषी का उस के परिवार में कहीं भी सुंदरता में नंबर न लगता था, इसलिए उस ने विचार को झटक दिया और तेजी से घर की तरफ कदम बढ़ा दिए.

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