मेसी मुझे जयपुर से पुष्कर जाने वाली टूरिस्ट बस में मिला था. मैं अकेला ही सीट पर बैठा था. उस वक्त वे तीनों बस में प्रविष्ट हुए. एक सुंदर विदेशी लड़की और 2 नवयुवक अंगरेज. लड़की और उस का एक साथी तो दूसरी सीट पर जा कर बैठे, वह आ कर मेरे बाजू वाली सीट पर बैठ गया. मैं ने उस की तरफ मुसकरा कर देखा तो उस ने भी जबरदस्ती मुसकराने की कोशिश करते हुए देखा.

‘‘यू आर फ्रौम?’’ मैं ने सवाल किया.

‘‘स्पेन,’’ उस ने उत्तर दिया, ‘‘मेरा नाम क्रिस्टियानो मेसी है. वह लड़की मेरे साथ स्पेन से आई है. उस का नाम ग्रेटा अजीबला है और उस के साथ जो लड़का बैठा है वह अमेरिकी है, रोजर फीडर.’’

लड़की उस के साथ स्पेन से आई थी और अब अमेरिकी के साथ बैठी थी. इस बात ने मुझे चौंका दिया. मैं ने गौर से उस का चेहरा देखा. उस का चेहरा सपाट था और वह सामने देख रहा था. मैं ने लड़की की तरफ नजर डाली तो रोजर ने उसे बांहों में ले रखा था और वह उस के कंधे पर सिर रखे अपनी जीभ उस के कान पर फेर रही थी. विदेशी लोगों के लिए इस तरह की हरकतें सामान्य होती हैं. अब हम भारतीयों को भी इस तरह की हरकतों में कोई आकर्षण अनुभव नहीं होता है बल्कि हमारे नवयुवक तो आजकल उन से भी चार कदम आगे हैं.

रोजर और गे्रटा आपस में हंसीमजाक कर रहे थे. मजाक करतेकरते वे एकदूसरे को चूम लेते थे. उन की ये हरकतें बस के दूसरे मुसाफिरों के ध्यान का केंद्र बन रही थीं. लेकिन मेसी को उन की इन हरकतों की कोई परवा नहीं थी. वह निरंतर उन की तरफ से बेखबर सामने शून्य में घूरे जा रहा था. या तो वह जानबूझ कर उन की तरफ नहीं देख रहा था या फिर वह उन्हें, उन की हरकतों को देखना नहीं चाहता था. मेसी का चेहरा सपाट था मगर चेहरे पर एक अजीब तरह की उदासी थी.

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