कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कभीकभी   प्यार जीवन में अप्रत्याशित रूप से दस्तक देता है, यह चंद्रमा समान है, जिस की शीतल चांदनी संसार की दग्ध अग्नि को शांत करती है. इस की बौछार के नीचे भीगने के लिए बस निरुपाय अंतर्भाव में रिक्त पात्र सहित खड़े रहना होता है. जिंदगी अनूठे, अप्रत्याशित स्वाद देती है और हम उन को कोई संज्ञा नहीं दे पाते. बाहरी तल पर हमें बारबार खो देना होता है एकदूसरे को लेकिन अंदर के तलों पर असंख्य कथाएं लिखी होती हैं.

अनंत यात्राओं की महागाथा के रूप में. अनीता के आसपास यही दुनिया थी, तिलिस्मी दुनिया, प्रेम की दुनिया. 48 वर्षीय संभ्रांत वर्ग की महिला, थिएटर से जुड़ी हुई. इस उम्र में भी बहुत दिलकश और हसीन, सूरज और चंद्रमा के बराबरबराबर हिस्सों से बनीं अनीताजी.

शिमला की एक शांत सी सड़क पर बड़ा सा उन का दोमंजिला घर, हरी छत वाला और सामने छोटीछोटी पहाडि़यां और पूर्व से पश्चिम की ओर विस्तारित होती हुई महान पर्वत शृंखला हिमालय.

यह वही क्षेत्र है जहां रहस्य कभी भी सर्वोच्च चोटियों को नहीं छोड़ता. अनीता अपने खयालों में गुम थीं कि मैक्स अलसाते हुए आगे आया और खुशी से गुर्राया. यह सफेद हस्की कुत्ता ही एकमात्र साथी था उन का. अनीताजी के जीवन में हस्की के अलावा कोई नहीं था.

नीचे का फ्लोर पिछले 1 साल से किराए पर दिया था, नोएडा से लड़का है अनिरुद्ध, लगभग 30 वर्ष का, वर्क फ्रौम होम करता है, यहीं शिमला में रह कर. लेकिन बिलकुल एकांत प्रेमी है, सिर्फ अपने काम से मतलब और जब खाली होता है तो बाहर बैठ कर सामने फैली हुई वृहत् शृंखलाओं को देखता रहता है डूब कर और कभीकभी पहाड़ों के स्कैच भी बनाता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...