Sad Hindi Story: ‘‘तूने मनोज का नाम भी लिया तो हमारी दोस्ती टूट जाएगी. मैं फिर कभी तुझ से बात नहीं करूंगी. तुझे याद है न,’’ नेहा ने गुस्से से कहा. ‘‘हां, मैं पिछले 4 सालों से यह बात बहुत बार सुन चुकी हूं. मगर अब दोस्ती टूटती है तो टूट जाए. मुझे जो कहना है वह मैं कह कर ही रहूंगी. इन 4 सालों से तू हर महीने अपने पिताजी के लिए गुमशुदा की तलाश में यह आर्टिकल भेज रही है, कुल 48 बार भेज चुकी है.

इस का हमें कोई जवाब नहीं मिला है. तूने अपनेआप को जीतेजी मार डाला है.’’ ‘‘मरने जैसी बात भी तो है, यह जिंदगी बेकार ही हो गई. जो लड़की अपने पिता के गुमशुदा होने की जिम्मेदार है और अपनी मां की मृत्यु का कारण भी वही बनी है, उस के भाई को लंदन से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर आना पड़ा और अब वह बेमन से हमारा बिजनैस देख रहा है, इतने सारे गुनाह सिर पर ले कर एक इंसान जिंदा नहीं रहता है, जीतेजी लाश बन जाता है. बस, मुझ में हिम्मत नहीं है, खुद का गला घोट लेने की, शायद इसीलिए मैं जिंदा हूं. एक आस भी है, किसी दिन पापा लौट आएं और मैं उन्हें देख सकूं?’’ ‘‘उन्हें देख सकेगी या नहीं, इस का जवाब आज तक कोई नहीं दे पाया है पर जो तेरी राह देखतेदेखते 4 साल से 1-1 पल गिन रहा है उस का क्या? तूने हर महीने पर अपनी आस टिकाई है उस ने तो 1-1 पल पर खुद को रोका हुआ है.

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