Sad Story: शाम का वक्त था. पार्क में बच्चे खेल रहे थे. छोटी सी अनुष्का झूले पर बैठी हंस रही थी और राहुल उसे धक्का दे रहा था. प्रिया दूर बैंच पर बैठी अपनी बेटी को मुसकराते हुए देख रही थी.
‘‘मम्मी, देखो अंकल कितना ऊंचा झुला रहे हैं,’’ अनुष्का ने खुशी से पुकारा.
प्रिया पास आई और बोली, ‘‘धन्यवाद राहुल, आप रोज अनुष्का के साथ खेलते हो. उसे बहुत अच्छा लगता है.’’
राहुल हलकी मुसकान के साथ बोला, ‘‘दरअसल, मुझे भी अच्छा लगता है. अकेला रहता हूं तो बच्चों की हंसी सुन कर दिल हलका हो जाता है. आप के पास तो अपना परिवार है.’’
धीरेधीरे दोनों के बीच बातें बढ़ने लगीं और एक दिन प्रिया ने अपने जीवन की हकीकत बताई, ‘‘राहुल, सच तो यह है कि मेरी जिंदगी आसान नहीं है. मेरे पति हमें छोड़ कर चले गए. तब से मैं अकेली ही इस घर और बेटी को संभाल रही हूं.’’
यह सुन कर राहुल ने सहानुभूति भरे अंदाज में कहा, ‘‘आप बहुत हिम्मत वाली हैं, प्रिया. एक औरत का अकेले घर संभालना आसान नहीं.’’
प्रिया की आंखें थोड़ी भीग गईं. बोली, ‘‘कभीकभी बहुत अकेलापन महसूस होता है. कोई साथी नहीं, कोई सहारा नहीं.’’
राहुल ने सिर हिलाया. फिर बोला, ‘‘जानती हो प्रिया मेरी हालत भी कुछ ऐसी ही है. आप तो शादी कर के गृहस्थी बसा चुकी थीं, भले ही बीच में ही सब छीन लिया पर मेरे जीवन में तो अभी तक शादी का सुख आया ही नहीं. मैं तो अभी तक अकेला ही भटक रहा हूं. कभीकभी लगता है मेरे हिस्से में ऐसे रहना ही लिखा है. मातापिता तो कब के गुजर चुके हैं. मैं भी बिलकुल अकेला हूं.’’
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