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‘‘महेश तो आज छुट्टी पर है. गांव गया है.‘‘

‘‘फिर तो बहुत अच्छा है. हम दोनों आज शाम तक निकल जाते हैं. सब को लगेगा कि हम तीनों चले गए.‘‘

‘‘ठीक है, मैं ड्राइवर को बोल दूंगा."

‘‘नहीं, नहीं, अंकल, आप के ड्राइवर के साथ नहीं."

‘‘हां, ठीक कह रहे हो. मैं टैक्सी बुला दूंगा.‘‘

‘‘जी."

दोपहर में तीनों लड़के नीचे आए तो विमला देवी की सूजी आंखें उन के दिल का भेद खोल रही थीं.

‘‘पापा मुझे माफ कर दीजिए. मैं आज के बाद कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाऊंगा," कहते हुए विशेष पिता के पैरों में गिर पड़ा. वह फूटफूट कर रो रहा था.

निशब्द उन्होंने उठा कर बेटे को गले लगा लिया.

‘‘रिचा... पापा रिचा... मुझे कुछ याद नहीं है..." वह हिचकियों के साथ बोला.

‘‘मैं हूं ना बेटा... सब संभाल लूंगा... और फिर तुम इतने भाग्यशाली हो कि तुम्हारे इतने अच्छे दोस्त हैं."

‘‘अंकल, हम दोनों दिन में ही निकल जाते हैं. हम ने ऊपर सब ठीक कर दिया है."

‘‘मैं ने दूसरा ड्राइवर बुला रखा है. वह तुम्हें छोड़ आएगा. और हां बेटा, जैसे विशेष वैसे ही तुम लोग. इसलिए यह छोटी सी भेंट है. तुम्हारे मकान के लिए पच्चीस लाख का यह चेक है. और तुम्हारे बिजनेस के लिए पच्चीस लाख का यह चेक है.‘‘

‘‘अरे अंकल...‘‘

‘‘बस रख लो बेटा, मुझे खुशी होगी,‘‘ बिना आंखें मिलाए सेठजी बोले.

कालोनी में इस बात की चर्चा जाने कैसे फैल गई कि सेठ मदन लाल के घर रात में गोली चली थी. सफाई देदे कर दोनों परेशान थे. विमला देवी ने तो सब से मिलना ही बंद कर दिया. सेठ मदन लाल तनाव में रहने लगे. ऊपर से रिचा की गुमशुदगी की रिपोर्ट के चलते पुलिस जांच करने उन के घर आ धमकी. बड़ी मुश्किल से लेदे कर सेठजी ने मामला निबटाया.

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