रात 10 बजे जब गरिमा ने घर के सब काम समेटने के बाद अपना मोबाइल औफ करते हुए कहा, ‘‘चलो भई, इसे भी बंद कर देती हूं, अब सोया जाए,’’

यह सुन कर ड्राइंगरूम में बैठे उस के पति आलोक और बच्चों सोनू, पिंकी ने हैरतभरी खुशी से एकसाथ कहा, ‘‘वाह, क्या बात है.’’

गरिमा हंसी, ‘‘चलो, अब तुम लोग अपनी पढ़ाई कर लो, हम लोग सोते हैं.’’

सोनू ने पूछा, ‘‘आप अपना सीरियल नहीं देखेंगी मौम?’’

‘‘नहीं भई, बकवास सीरियल और गोदी मीडिया के न्यूज चैनल देखने छोड़ दिए,’’ दोनों में भक्तिभरी पड़ी है.

पिंकी भी बोल पड़ी, ‘‘बकवास सीरियल? मौम, वह सीरियल तो आप

5 साल से लगातार देख रही हैं... नानी के यहां से आते ही छोड़ दिए सब सीरियल.’’

आलोक मुसकराए, ‘‘भई,

1 हफ्ता मायके रह कर तुम में इतने अच्छे बदलाव आ सकते हैं तो जाती रहा करो. इतने बढि़या बदलाव के लिए ट्रेन छोड़ो मैं तुम्हें प्लेन से भेजा करूंगा?’’

गरिमा खुल कर हंसी, ‘‘इस की जरूरत नहीं पड़ेगी, अब तुम भी अपना लैपटौप बंद करो और चलो सोते है,’’ कह कर गरिमा आलोक को बैडरूम में चलने का

इशारा करते हुए शरारत से मुसकरा दी तो आलोक ने झठ से गोद में रखा हुआ लैपटौप बंद किया और उठ गए.

सोनू बोला, ‘‘मौम, आप इस बार नानी के यहां से कितनी खुश, कितनी फ्रैश लौटी हैं न? हमेशा ऐसे ही रहा करो आप... पहले कैसी बोरिंग सी शक्ल ले कर

रात 12 बजे तक बेकार सीरियल देखती रहती थीं और पापा लैपटौप पर आंखें गड़ाए रहते थे.’’

‘‘हां बेटा, अब तो छोड़ दिया न बोर होना. गुडनाइट बच्चो,’’ कह कर सोनू, पिंकी को प्यार करती हुईर् गरिमा बैडरूम में चली गई और दरवाजा बंद कर दिया.

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