पूरे 30 सालों तक अनगिनत हादसों ने मेरी, नैना और जरी की जिंदगी को कई दर्दीले पड़ावों तक पहुंचा दिया.
2 बच्चों के बाद मेरी बेहद अहंकारी और खर्चीली पत्नी कमर से धनुष की तरह मुड़ कर पलंग के साथ पैबस्त हो गई. नैना के पति को लकवा मार गया और वह नौकरी करने के लिए मजबूर हो गई. जरी के पति भोपाल गैस कांड के शिकार हो गए. 2 मासूम बच्चों के साथ रोजीरोटी की जुगाड़ ने उसे भी दहलीज के बाहर कदम रखने को मजबूर कर दिया.
जरी के अम्मीअब्बू जिंदा थे. हर गरमी की छुट्टियों में बच्चों के साथ अपने शहर आती तो नैना अपने दुखदर्द में, शिकवेशिकायतें करने में जरी के अलावा किसी को शामिल नहीं करती.
मेरी पत्नी धनुषवात रोग को लंबे समय तक झेल नहीं सकी. दोनों बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी नौकरी के अतिरिक्त मुझे ही संभालनी पड़ती. पूरा दिन भागदौड़, व्यस्तता में कट तो जाता मगर रात, जैसे कयामत की तरह आग बरसाती. पनीली आंखों में जरी का चेहरा तैरने लगता. उस की नरम, नाजुक हथेली का हलकाहलका दबाव अकसर अपने माथे पर महसूस करता. रोज रात आंखें बरसतीं. तकिया भिगोतीं और तीसरे पहर कहीं आंख लगती तो जरी ख्वाब में आ जाती. मैं शादी के बाद भी एक पल के लिए उसे भूला नहीं.
6 कमरों की कोठी खाने को दौड़ती थी, इसलिए नैना को अपने पास बुला लिया. बच्चे बूआ से हिलमिल गए. गोया नैना ने मेरी गृहस्थी संभाल ली.
दूसरे दिन नाश्ते की टेबल पर मैं ने नैना के हाथों में जरी का कार्ड थमा दिया था.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन