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पूर्व कथा

केशवन का प्रस्ताव सुन कर मालविका चौंक उठी थी. उस ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इस उम्र में कोई उस के सामने शादी का प्रस्ताव रखेगा. उस के सामने पूरा अतीत नाच उठा, जब दहेज की वजह से बरात दरवाजे से लौट गई थी. फिर मालविका के लिए कोई वरघर न मिला तो वह अपनी मां के साथ बारीबारी से तीनों भाइयों के पास रह कर नाव की तरह डूबउतरा रही थी.

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मालविका के बड़े भाई सुधीर की बेटी उषा की शादी हो गई और वह अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में जा बसी. जब वह गर्भवती हुई तो उसे मालविका की याद आई, तो वह अपने पापा से बोली, ‘पापा, आप किसी तरह बूआजी को यहां भेज दो तो मेरी मुश्किल हल हो जाएगी. वे घर भी संभाल लेंगी और बच्चे को भी देख लेंगी. यहां के बारे में तो पता है न आप को? बेबी सिटर और नौकरानियां 1-1 घंटे के हिसाब से चार्ज करती हैं. इस से हमारा तो दीवाला ही निकल जाएगा.’

‘हांहां तुम्हारे लिए मालविका कभी मना नहीं करेगी. पर कुछ दिनों से वह गठिया के दर्द से परेशान है. अगर तुम लोग उस के लिए मैडिकल इंश्योरैंस करा लो तो अच्छा रहेगा. सुना है कि उस देश में बीमार पड़ने पर अस्पताल और डाक्टरों के इलाज में बड़ा भारी खर्च होता है.’

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‘हांहां क्यों नहीं. ये कौन सी बड़ी बात है. बूआ का बीमा करा लिया जाएगा. बस आप उन्हें जल्द से जल्द रवाना कर दें.’

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