चेरापूंजी यानी भारत में सबसे ज्यादा बारिश होने वाली जगह. चेरापूंजी को सोहरा और चुर्रा भी कहते हैं. यह मेघालय की राजधानी शिलांग के खासी हिल्स में स्थित है. इस क्षेत्र में सर्वाधिक बारिश के लिए यहां की भौगोलिक स्थितियां जिम्मेदार हैं. चेरापूंजी 4869 फुट की ऊंचाई पर खासी हिल्स के दक्षिणी पठार पर स्थित है जहां मानसूनी हवाओं का हर समय जोर बना रहता है. यहां पूर्वोत्तर और दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं आती हैं जिसकी वजह से हर समय मानसून रहता है. सर्दी के दिनों में ब्रह्मपुत्र की तरफ से आने वाली पूर्वोत्तर हवाएं भी बारिश का एक कारण हैं. ज्यादातर लोगों को लगता है कि यहां बारिश अधिक होती है तो पानी की कमी नहीं होती होगी लेकिन ऐसा नहीं है. नवंबर के दिनों में यहां लोगों को पानी के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है. यहां घूमने के लिए मार्च से मई और जून से सितम्बर का समय अच्छा है.

बारिश के अलावा भी यहां क्या खास है

लाइव ब्रिज : बायो-इंजीनियरिंग प्रैक्टिस का बेहतरीन नमूना

चेरापूंजी लाइव ब्रिज के लिए भी मशहूर है जो यहां के लोगों द्वारा बनाए गए बायो-इंजीनियरिंग प्रैक्टिस का बेहतरीन नमूना है. एक समय में इस पर 50 लोगों गुजर सकते हैं. इस दो-मंजिला ब्रिज की बनावट काफी आकर्षक है. खासी और जैन्तिया हिल्स में काफी नमी और नदियों वाला क्षेत्र है. यहां भारतीय रबर के पेड़ काफी पाए जाते हैं. जिनकी जड़ें काफी लंबी और मजबूत होती हैं. मेघालय के वर-खसिस और वर-जैंनियास दो आदिवासी ने नदियों के पास निकलने वाली इन पेड़ों की जड़ों को देखा और इनसे ब्रिज तैयार किया था. जो धीरे-धीरे बढ़ती रहीं और ब्रिज मजबूत होता गया.

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