किसी भी रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी होता है आपसी प्यार और विश्वास. जबकि पैसा आपसी प्यार और विश्वास पर चोट करता है, एकदूसरे के प्रति शक और दूरियों की वजह बनता है. तभी तो किसी भी रिश्ते के बीच अगर पैसा आ जाए तो समझिए रिश्तों में खटास का सिलसिला शुरू हो गया.

1. संबंधों पर पड़ता है प्रभाव

दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट के वकील आलोक शर्मा का मानना है कि पैसा किसी भी मजबूत रिश्ते को कमजोर बना सकता है. वे कहते हैं, ‘‘पैसा शुरू से ही व्यक्ति की कमजोरी रहा है. यह पैसा ही है, जिस के लालच में व्यक्ति अपनों से भी विश्वासघात करने में कोई गुरेज नहीं करता.

‘‘बुजुर्ग मांबाप खुद के घर से बेटे द्वारा बेदखल किए जाने के बाद जब न्याय की आस लिए कोर्ट की शरण में आते हैं, तो पता चलता है कि पैसा किस तरह रिश्तों में खटास की वजह बनता है. कोर्ट में आएदिन लोग चैक बाउंस का केस दायर करने भी आते हैं और बताते हैं कि किस तरह उन्होंने मुसीबत के वक्त अपने करीबी को पैसे दिए और जब लौटाने की बारी आई तो विश्वासघात के शिकार बन बैठे. कल तक जिस रिश्ते में शहद घुला रहता था, पैसे के लेनदेन के कारण उस में खटास आ जाती है और बात कोर्टकचहरी तक पहुंच जाती है.’’

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2. खुद का विवेक जरूरी

ऐसे में सवाल यह उठता है कि पैसा और रिश्ते में से किसे ज्यादा अहमियत देनी चाहिए? मनोचिकित्सक समीर पारीख कहते हैं, ‘‘पैसों को ज्यादा अहमियत देना रिश्तों में दूरी की वजह बनता है. जब किसी विषम परिस्थिति में कोई दोस्त या नजदीकी रिश्तेदार पैसा उधार मांगे और पास में पैसे हों तो इनकार करना मुश्किल होता है. अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति के लिए पैसा ज्यादा अहमियत रखता है या रिश्ता? हां, इस में कोई दोराय नहीं कि जो व्यक्ति सिर्फ पैसे को अहमियत देता है उस का जीवन और समाज को देखने का नजरिया बदल जाता है. मगर वक्त और परिस्थिति के मुताबिक पैसों का लेनदेन किसी व्यक्ति को खुद के विवेक से करना चाहिए.’’

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