यह आश्चर्य की बात है जिस समाज और देश में महिलाओं को हमेशा आगे रखने की बात कही जाती है. आज के समय में भी महिलाएं अनेक ऊंचे पदों पर नहीं है. यह कुछ ऐसा है कि पर्दे के पीछे कुछ और पर्दे के बाहर का प्रहसन कुछ और. बड़ा ही खेद होता है जब ऐसे समाचार आते हैं जिन्हें पढ़कर लगता है कि हमारा देश आज भी दुनिया के अन्य देश से बहुत-बहुत पीछे है. हम भले ही ढोग करते रहें मगर नीचे बताएं गए कथानक को आप पढ़ेंगे तो यही सोच विचार करेंगे.

दरअसल, देश भर में आज “अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय को आखिरकार एक महिला कुलपति मिल ही गई” खबर पर विमर्श हो रहा है. और खबर में बताया जा रहा है कि इसके लिए कुर्सी को 104 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा.

हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति का आदेश जारी किया है. बताते चलें कि वर्ष 1920 में बने एएमयू में अब तक 21 कुलपति हो चुके हैं और ये सब पुरुष थे. हालांकि दिलचस्प बात यह है कि जिस विश्वविद्यालय को अपनी पहली महिला वीसी पाने में 104 साल लगे उसकी पहली कुलाधिपति सुल्तान जहां बेगम (बेगम भोपाल) खुद एक महिला थीं.

लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग की सशर्त मंजूरी के बाद नईमा खातून की नियुक्ति हुई है. बाकी इसके पीछे भी एक राजनीति को समझा जा सकता है मगर यह बीजेपी एक खेल कर गई है. इससे पहले नवंबर, 2023 में तीन उम्मीदवारों का पैनल जिसमें प्रोफेसर नईमा खातून, प्रोफेसर एमयू रब्बानी और प्रोफेसर फैजान मुस्तफा का नाम राष्ट्रपति (विजिटर, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज) द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा गया था.राष्ट्रपति ने प्रोफेसर नईमा खातून के पक्ष में फैसला किया.

एएमयू की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी को देखें तो हम पाते हैं कि नईमा खातून मूल रूप से आदिवासी बाहुल्य ओड़ीशा राज्य की हैं.उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई ओड़ीशा से ही की. और अप्रैल 1998 से एसोसिएट प्रोफेसर और जुलाई 2006 से प्रोफेसर रहीं. प्रोफेसर नईमा खातून जुलाई 2014 में महिला कालेज की प्राचार्य बनीं.

इन्होंने मध्य अफ्रीका के रवांडा के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में एक साल पढ़ाया. आपके पास राजनीतिक मनोविज्ञान में पीएचडी की डिग्री है.वश आप अक्टूबर 2015 से सेंटर फार स्किल डेवलपमेंट एंड करिअर प्लानिंग, एएमयू, अलीगढ़ के निदेशक के रूप में भी कार्यरत रहीं.उन्होंने मनोविज्ञान विषय पर कई किताबें लिखी हैं और उनके 31 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं.

प्रोफेसर खातून ने लुइस विले विवि अमेरिका, चुलालोंगकोर्न विवि बैंकाक, हालिंग्स इस्तानबुल, लूलिया सेंटर अल्बा विवि रोमानिया और हालिंग्स सेंटर फार इंटरनेशनल में भी दौरा किया है और लेक्चर दिए हैं.नईमा खातून ने छह पुस्तकों लिखी हैं. वह महिला कालेज छात्र संघ के लिए दो बार चुनी गई. उन्होंने अब्दुल्ला हाल और सरोजिनी नायडू हाल के साहित्यिक सचिव और वरिष्ठ हाल मानिटर का पद भी संभाला है.

नईमा खातून ने यह पद कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज से लिया हैं जो उनके पति भी हैं.प्रोफेसर गुलरेज से पहले एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर थे. प्रोफेसर तारिक मंसूर ने दो अप्रैल 2023 को कुलपति का पद त्याग दिया था जिसके बाद से ही प्रोफेसर गुलरेज कार्यवाहक कुलपति के तौर पर काम कर रहे थे. इस्तीफा देने के बाद प्रोफेसर मंसूर भाजपा में शामिल हो गए.

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