अर्थोरिटिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जोड़ों में दर्द और सूजन आने लगती है. अगर बात करें भारत की तो यहां 40 – 50 साल की महिलाएं सबसे ज्यादा इस बीमारी की गिरफ्त में आती हैं. खासकर के वो जो मोटापे से ग्रसित हैं. इस बीमारी में सबसे ज्यादा घुटनों , हिप व हाथ के जोइंट प्रभावित होते हैं. अभी हाल के वर्षों में इस बीमारी में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई  है, जिसके पीछे हमारे इनएक्टिव लाइफस्टाइल व मोटापे को जिम्मेदार माना जा रहा है. जबकि इसके अन्य कारणों में जोड़ों में खराबी होना, बढ़ती उम्र, जेनेटिक व ऑटो इम्यून डिसऑर्डर्स आदि को जिम्मेदार माना जाता है. इसलिए इसे समय रहते लाइफस्टाइल व इलाज से कंट्रोल करना जरूरी है, वरना स्थिति को गंभीर होने में देर नहीं लगती. इस संबंध में बता रहे हैं बेंगलुरु के यशसवंतपुर स्तिथ  मणिपाल होस्पिटल के कंसलटेंट ओर्थोपेडिक सर्जन डाक्टर किरण चौका.

एक्सरसाइज का महत्व 

एक्सरसाइज जहां हमें फ्रेश, एक्टिव व हैल्दी रखने का काम करती है, वहीं ये हमारी मांसपेशियों व हड्डियों को भी मजबूती प्रदान करने में मददगार है. कई बार जब सर्जरी व दवाइयों से भी आराम नहीं मिलता है, तब डाइट व खुद को शारीरिक रूप से एक्टिव रखने पर अर्थोरिटिस के मरीजों को बहुत आराम मिलता है. इसलिए एक्सपर्ट भी मरीज की स्थिति को देखते हुए हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट योग, रेंज ओफ मोशन , एरोबिक करने की सलाह देते हैं , ताकि शरीर फ्लेक्सिबल बने व हड्डियों को मजबूती मिले. बता दें कि अर्थोरिटिस के मरीजों के लिए एक्सरसाइज करने के और भी कई फायदे हैं , जो इस प्रकार से हैं.

–  कार्टिलेज की हैल्थ बहुत हद तक एक्सरसाइज करने या फिर चलनेफिरने पर निर्भर करती है. क्योंकि इसके कारण जोड़ों को जरूरत के मुताबिक ओक्सीजन व जरूरी न्यूट्रिएंट्स जो मिल पाते हैं.

– एक्सरसाइज मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने के साथ उन्हें लचीला बनाने का काम करती है. साथ ही इससे जोड़ों में दर्द की शिकायत भी कम महसूस होती है.

–   रोजाना एक्सरसाइज करने से वजन कम होता है, जिससे जोइंट्स पर पड़ने वाला तनाव खुद ब खुद कम होने लगता है.

– इससे अच्छी नींद आने के साथसाथ थकान महसूस नहीं होती है.

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अर्थोरिटिस में ओवर एक्सरसाइज  के नुकसान 

अर्थोरिटिस में एक्सरसाइज करना अच्छी बात है. लेकिन अगर जरूरत से ज्यादा व बिना सोचेसमझे एक्सरसाइज करेंगे तो इसका नुकसान भी आपको भुगतना पड़ सकता है. इसलिए सही डाइट , जिससे हड्डियों को मजबूती मिले और वजन कम करने के लिए सही तरह से व्यायाम करना लाभकारी साबित होता है. जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने से दर्द में बढ़ोतरी, सूजन व जोड़ों की हालत और ख़राब हो सकती है. यही नहीं बल्कि आपको लंबे समय तक चलने वाली थकान , कमजोरी, चलने में दिक्कत महसूस होना व जोड़ों में सूजन की शिकायत महसूस हो सकती है. अर्थोरिटिस के मरीजों को कई बार तो अधिक एक्सरसाइज करने से फ्रैक्चर, सर्जरी या फिर परमानेंट विकलांगता की स्थिति भी आ सकती है. इसलिए ओवर एक्सरसाइज से बचें.

टिप्स फोर एक्सरसाइज 

एक्सपर्ट की सलाह लें परिस्थिति में सुधार लाने हेतु एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार ही जोड़ों की हेल्थ के अनुसार ही एक्सरसाइज करें. जिससे आपको इम्प्रूवमेंट दिखे. अगर आप हैल्थ केयर प्रोवाइडर या फिर फिजिकल थेरेपिस्ट की मदद लेकर उनकी सलाह के मुताबिक एक्सरसाइज करेंगे तो आपको ज्यादा फायदा मिलेगा. आपके डाक्टर अर्थोरिटिस की स्थिति में विशेष तरह का स्कैन जिसे डेक्सा कहते हैं , करवाने की सलाह देते हैं. क्योंकि इस स्कैन के द्वारा आपके बोन मिनरल डेंसिटी को समझ कर आपको फ्रैक्चर होने का कितना खतरा है, इसके आधार पर ही एक्सरसाइज बताई जाती है.

धीरेधीरे बढ़ें याद रखें कि हर एक दूसरा दिन आपको चांस मिलता है, जो सुधार के लिए होना चाहिए न की दर्द या फिर खुद के शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिए.  इसलिए एक्सरसाइज को धीरेधीरे बढ़ाएं, जिससे आपके शरीर को इन बदलावों की आदत हो जाए. केवल खुद से वजन घटाने का निर्णय लेकर सीढ़ियां चढ़ने , उतरने जैसी एक्सरसाइज करके आप अर्थोरिटिस की स्तिथि में अपने जोइंट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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–  पहले वार्मअप करें एक्सरसाइज करने से पहले अपनी मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने के लिए शरीर को वार्मअप जरूर करें.

लो इम्पेक्ट एक्सरसाइज का चयन करें  वॉक , साइकिलिंग, स्विमिंग, योगा , स्ट्रेचिंग इत्यादि अर्थोरिटिस के लिए बेस्ट एक्सरसाइज हैं. जबकि ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों के लिए हलकी एक्सरसाइज ही सही रहती है. क्योंकि उनके लिए इंजरी काफी घातक साबित हो सकती है.

अपनी डाइट का भी खयाल रखें  कैलोरी को कम करने से न सिर्फ जोड़ों से लोड कम होता है, बल्कि इससे आपको ज्यादा वर्कआउट की भी जरूरत नहीं होती है. इसके अलावा हेल्दी डाइट के साथ एक्सरसाइज करने से बोन डेंसिटी इम्प्रूव होने के साथ मांसपेशियों को मजबूती मिलती है. खाने में फल, सब्जियां , ओमेगा 3 फैटी एसिड रिच फ़ूड जैसे सीड्स इत्यादि लेने से सूजन व दर्द को कम करने में मदद मिलती है. साथ ही विटामिन सी युक्त चीजों के सेवन से कोलेजन के बढ़ने में मदद मिलती है. वहीं कैल्शियम व विटामिन डी अर्थोरिटिस की स्थिति में हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में काफी मददगार होता है.

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