जून के पहले सप्ताह में हमें लक्षद्वीप जाने का अवसर मिला. दिल्ली से हवाई मार्ग द्वारा रात को कोच्चि पहुंचने पर, कोच्चि में ही विश्राम करना पड़ा क्योंकि कोच्चि से लक्षद्वीप के लिए प्रतिदिन एअर इंडिया की एक ही घरेलू फ्लाइट है और फिर वही फ्लाइट दोपहर को वापस कोच्चि आ जाती है. इसलिए हम कोच्चि से एअर इंडिया की घरेलू फ्लाइट से लक्षद्वीप के लिए रवाना हुए. कोच्चि से लक्षद्वीप पहुंचने में लगभग 2 घंटे का समय लगा. हमारा विमान लक्षद्वीप के एक छोटे से द्वीप अगाती हवाई अड्डे पर जब उतरा तो विमान से बाहर आते ही बड़ा ही रोमांचकारी दृश्य देखने को मिला. हम ने अपनेआप को समुद्र के बीच एक द्वीप पर पाया. 3 ओर से समुद्र की लहरें हिलोरे मार रही थीं. हवाई पट्टी के एक ओर पवन हंस का एक हैलीकौप्टर भी आ कर खड़ा हो गया.

पूछने पर पता चला कि यह हैलीकौप्टर लोगों को लक्षद्वीप की राजधानी कावाराती से ले कर आ रहा है और अभीअभी जो यात्री विमान से उतरे हैं और कावाराती जाने वाले हैं, यह उन्हें ले कर भी जाएगा. यात्रियों को यहां से हैलीकौप्टर द्वारा सिर्फ कावाराती द्वीप पर ही ले जाया जाता है और यात्रियों को यह सुविधा दिन में एक ही बार मिलती है. शनिवार और रविवार को यह हैलीकौप्टर सेवा छुट्टियों के कारण बंद रहती है.

वास्तव में 32 किलोमीटर लंबी भूमि वाला लक्षद्वीप 36 छोटेछोटे द्वीपों से मिल कर बना है, जिन में आबादी केवल 10 द्वीपों पर ही है.

लक्षद्वीप भारत का केंद्र शासित राज्य है. इस के सभी द्वीपों पर जलवायु सामान्य है. यहां की मिश्रित भाषा है जिस में मलयालम, तमिल और अरेबिक इत्यादि भाषाओं का मिश्रण है, जिसे ‘जिसरी’ कहा जाता है.

दर्शनीय स्थल

अगाती द्वीप : यह कोच्चि से 459 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. हवाई जहाज से यहां पहुंचने में 2 घंटे का समय लग जाता है. यह द्वीप 7 किलोमीटर लंबा है. सब द्वीपों में लंबा होने के कारण ही यहां एअरपोर्ट बनाना संभव हो पाया, इसलिए इस द्वीप का अपना ही महत्त्व है. उत्तर में इस द्वीप की चौड़ाई आधे किलोमीटर से भी कम है. द्वीप के बीचोंबीच एक पक्की सड़क बनी हुई है जहां से दोनों ओर का समुद्र दिखाई देता है.

जब हम इस द्वीप पर पहुंचे, वहां वर्षा ऋतु का आगमन हो चुका था. समुद्र और मौसम के बदले तेवर के कारण यहां से अन्य द्वीपों पर जाने का एकमात्र साधन पानी के जहाज बंद हो चुके थे, इसलिए हम कुछ दिन अगाती में ही रुक कर वापस कोच्चि के लिए रवाना हो गए. इसी दौरान इस द्वीप पर बसे गांव को बड़े नजदीक से देखने का अवसर मिला.

यहां टूरिज्म विभाग भी कार्यरत है और यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस उन का गैस्ट हाउस और एक पुराना डाकबंगला भी है. यहां वाटर स्पोर्ट्स, स्कूबा डाइविंग, केनोइंग, कांच के तल वाली नावों से समुद्र के अंदर कोरल व समुद्री जीवजंतुओं को देखने व हट्स इत्यादि जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.

समुद्र के किनारे बहुत ही साफसुथरे हैं. नारियल के पेड़ों की सूखी टहनियों और खोलों को बड़े ही करीने से ढेर लगा कर रखा जाता है. यहां लोगों के आनेजाने का मुख्य साधन साइकिल लोकप्रिय है, इसलिए प्रदूषण की समस्या नहीं है. इस द्वीप की एक बड़ी खासीयत यह भी है कि बिजली आपूर्ति के लिए सोलर स्टेशन बनाया गया है. सड़कों पर सोलर लाइटें लगी हुई हैं. पीने के पानी के लिए घरघर में वर्षाजल संचित किया जाता है.

कावाराती द्वीप : कोच्चि से 440 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, कावाराती द्वीप लक्षद्वीप की राजधानी है. इस द्वीप का क्षेत्रफल 4.22 वर्ग किलोमीटर है और जनसंख्या 25 हजार से भी अधिक है, इसलिए भीड़भाड़ भी ज्यादा है. अगाती से कावाराती हैलीकौप्टर या शिप द्वारा आया जा सकता है. हैलीकौप्टर से 20-25 मिनट और शिप से यहां पहुंचने के लिए 6 घंटे लगते हैं. वर्षा ऋतु में मौसम खराब हो जाने पर शिप बंद कर दिए जाते हैं. यहां भी अगाती की तरह स्थानीय लोगों के लिए जीवनयापन की सभी सुविधाएं मौजूद हैं. पर्यटकों के लिए सभी सुखसुविधाओं से लैस गैस्ट हाउस बने हुए हैं. यहां के खूबसूरत समुद्री किनारे पर्यटकों को लुभाते नजर आते हैं इसीलिए पर्यटक यहां वाटर स्पोर्ट्स और तैराकी का लुत्फ उठाते हैं.

मिनीकाय द्वीप : कोच्चि से इस द्वीप की दूरी 398 किलोमीटर है. इस का क्षेत्रफल 4.80 वर्ग किलोमीटर है. यह दूसरा सब से बड़ा द्वीप है. पहला बड़ा द्वीप अन्द्रोथ है. मिनीकाय, लक्षद्वीप के दक्षिण में स्थित है. इस द्वीप पर रहने वाले लोगों की संस्कृति उत्तरी द्वीपों के लोगों से भिन्न है. यहां की बोलचाल की भाषा माही है. यहां वर्ष 1885 का बना सब से पुराना लाइटहाउस भी  है. पर्यटकों को लुभाने हेतु खूबसूरत समुद्री किनारे हैं.

किल्टन द्वीप : फारस की खाड़ी और श्रीलंका के साथ व्यापार करने के लिए यह एक अंतर्राष्ट्रीय मार्ग के नाम से भी जाना जाता है. यह द्वीप बहुत गरम है. गरमी अधिक होने के कारण लोग बाहर सोते हैं. यह पहला द्वीप है जिस की ‘बीचेस’ पर ऊंची तूफानी लहरें उठती रहती हैं. इस द्वीप की मिट्टी बहुत उपजाऊ होने के कारण यहां बहुत अधिक वनस्पतियां उगाई जाती हैं. यहां के समुद्री किनारे लोकनृत्यों के लिए प्रसिद्ध हैं.

कादमत द्वीप : यह द्वीप कोच्चि से 407 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस के पश्चिम में खूबसूरत व उथला समुद्र होने के कारण वाटर स्पोर्ट्स के लिए यह बहुत उत्तम समुद्री किनारा है. पूर्व में तंग लैगून है और लंबा बीच है. शहर से दूर यहां आ कर सैलानी वाटर स्पोर्ट्स, पैडल बोट्स, स्वीमिंग, सी डाइविंग, सेलिंग के अतिरिक्त शीशों के तल वाली नावों में समुद्र में जा कर, समुद्री जीवजंतुओं को देखने का आनंद भी उठाते हैं. इस के अतिरिक्त स्कूबा डाइविंग पर्यटकों के लिए यहां का विशेष आकर्षण है.

एडमिनी द्वीप : कोच्चि से इस द्वीप की दूरी 407 किलोमीटर है. यह द्वीप आयताकार है. यहां के समुद्र में भवन निर्माण हेतु कोरल्स और रेतीले पत्थर बहुतायत मात्रा में पाए जाते हैं. यहां के निवासी कुशल शिल्पकार हैं जो कछुए के खोल और नारियल के खोलों से छड़ी बनाने के लिए मशहूर हैं.

अन्द्रोथ द्वीप : कोच्चि से इस द्वीप की दूरी 293 किलोमीटर है. यह लक्षद्वीप का सब से बड़ा द्वीप है. यह द्वीप घनी हरियाली के लिए भी जाना जाता है, विशेषकर घने नारियल के पेड़ों के कारण. जूट और नारियल यहां के मुख्य उत्पादन हैं.

चेतला द्वीप : कोच्चि से इस द्वीप की दूरी 432 किलोमीटर है. यहां नारियल कम होता है इसलिए जूट यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय है. नारियल के पत्तों की चटाइयां बनाई जाती हैं. 20वीं शताब्दी में यहां समुद्री जहाज, नावें बनाने का यहां का उद्योग बहुत प्रसिद्ध रहा है जिस की अन्य द्वीपों पर जाने वाले लोगों द्वारा मांग की पूर्ति की जाती थी.

कल्पेनी द्वीप : कोच्चि से यह द्वीप 287 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह द्वीप भी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. सब से पहले इस द्वीप पर लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया गया था. वर्ष 1847 में इस द्वीप पर बहुत बड़ा तूफान आया था जिस में बहुत बड़ेबड़े पत्थर भी यहां आ कर गिरे थे. वाटर स्पोर्ट्स, रीफ वौक, तैराकी जैसी सुविधाएं पर्यटकों के लिए यहां उपलब्ध हैं.

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