बच्चे बेहद सेंसिटिव और मासूम होते हैं. ऐसे में किसी भी ट्रॉमा के संपर्क में आने से उनके बचपन की सुंदरता कम हो सकती है और उनके विकास में भी समस्या हो सकती है. लेकिन, अगर एक्सपर्ट्स की मानें, तो 18 से कम उम्र के बहुत से बच्चे जीवन में कभी न कभी किसी ट्रॉमा का अनुभव अवश्य करते हैं. अगर आपका बच्चा किसी ट्रॉमा से गुजरता है तो आप उसके व्यवहार में बदलाव का अनुभव कर सकते हैं. अगर इस समस्या का सही समय पर समाधान न किया जाए, तो बच्चा तनाव का शिकार भी हो सकता है. ऐसे में, अपने बच्चे के व्यवहार में बदलाव को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. आइए जानें कि बच्चों में ट्रॉमा के संकेत कौन से हो सकते हैं?

बच्चों में ट्रॉमा के संकेत

अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों में ट्रॉमा के लक्षणों को समझ नहीं पाते हैं. इससे पीड़ित बच्चों को भी अपने इमोशंस को एक्सप्रेस करने में समस्या आती है. लेकिन, बच्चों में इसके संकेत इस प्रकार हो सकते हैं:

बच्चों में ट्रॉमा के इमोशनल संकेत

  • -बच्चों में ट्रॉमा के इमोशनल संकेत इस प्रकार हो सकते हैं:
  • -उदास महसूस करना
  • -अधिक गुस्सा या अग्रेशन शो करना
  • -बहुत जल्दी ड़र जाना
  • -शर्म महसूस होना
  • -तनाव या अकेला महसूस करना
  • -अपने माता-पिता से दूर होते हुए डरना
  • -अधिक रोना और चिल्लाना

बच्चों में ट्रॉमा के बिहेवियर संकेत

ट्रॉमा से बच्चे के दिमाग पर असर हो सकता है. बच्चों में कुछ बिहेवियर संकेत इस प्रकार हैं:

  • -स्कूल के काम, प्रोजेक्ट आदि पर फोकस न करना
  • -बड़े बच्चों का बेड गीला करना या अंगूठा चूसना
  • -स्कूल जानें से मना करना
  • -लगातार रोना
  • -सोने में परेशानी होना
  • -वजन का बहुत अधिक बढ़ना या कम होना
  • -ईटिंग हैबिट्स में बदलाव या ईटिंग डिसऑर्डर
  • -सेल्फ हार्म के लक्षण दिखना

बच्चों में ट्रॉमा के शारीरिक संकेत

जब बच्चा ट्रॉमा के लक्षण महसूस करते हैं इसका असर उनके इम्यून सिस्टम फंक्शन पर भी बढ़ता है. जिससे वो मेटाबॉलिक सिंड्रोम, अस्थमा और इंफेक्शंस आदि का शिकार हो सकते हैं. कॉम्प्लेक्स ट्रॉमा के शिकार बच्चे बॉडी डिसरेगुलेशन का सामना भी कर सकते हैं. जिसके कारण बच्चे आवाज, टच, लाइट और स्मेल आदि के प्रति हाइपरसेंसिटिव हो सकते हैं. यही नहीं, बच्चे शरीर में दर्द की शिकायत भी कर सकते हैं.

हर बच्चा अलग होता है और वो ट्रॉमा के प्रकति कैसे रिस्पॉन्ड करता है, यह कई कारकों पर निर्भर करता है जिसमें इवेंट की गंभीरता, बच्चे की उम्र, बच्चे के डेवलपमेंट स्टेज, एन्वॉयरमेंट आदि शामिल है।

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