तू नहीं तो कोई और सही, कोई और नहीं तो कोई और सही बहुत लंबी है यह जिंदगी, मिल जाएंगे हम को लाखों हसीं.

कुछ ऐसी ही कहानी रही है गुरुग्राम में रहने वाली अनीता की. अनीता एक पंजाबी परिवार की 22 साल की खूबसूरत, लंबी, गोरी लड़की थी जिसे कोई एक बार देख ले तो देखता रह जाए. वह जितनी आकर्षक थी उतनी ही चुलबुली भी. खूब बातें करती थी और नाजुक होने के बावजूद दबंग भी थी. बचपन से उसे अपने लिए इतनी तारीफें सुनने को मिली थीं कि उस के चेहरे से साफ ?ालकता था. उस के पिता बिजनैसमैन थे. घर में पैसों की कोई कमी नहीं थी. मगर एक हादसे में उस के पिता की मौत हो गई. उस वक्त अनीता 17 साल की थी और उस की बड़ी बहन 20 साल की.

पिता के जाने के बाद मां ने अनीता की बहन की शादी जल्दी करा दी ताकि जवान लड़की के साथ कुछ ऊंचनीच न हो जाए. फिर मां अनीता के लिए भी लड़का देखने लगी. पिता के बाद उन की हैसियत किसी बड़े घर में रिश्ते की तो थी नहीं सो मां ने एक साधारण परिवार में उस की शादी करा दी. लड़का प्राइवेट स्कूल में टीचर था. घर में आर्थिक तंगी थी. घर भी छोटा सा था जिस में ननद, देवर और सासससुर समेत कुल 6 प्राणी रहते थे. अनीता ने आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो सास ने मना कर दिया.

प्रैगनैंसी सुखद नहीं रही

अनीता के लिए वहां 1-1 दिन काटना कठिन होने लगा. पति देखने में साधारण था. उसे गुस्सा बहुत जल्दी आता था. छोटीछोटी बात पर दोनों लड़ने लगते. पति मारपीट भी करता था. अंत में अनीता ने उस शादी से निकलना ही बेहतर सम?ा और क्व2 लाख ले कर आपसी सहमति से अलग हो गई.

अनीता ने जल्द ही दूसरी शादी कर ली. दूसरे पति की आर्थिक स्थिति थोड़ी बेहतर थी. पैसों की कमी नहीं थी और घर में सदस्य भी कम थे. सिर्फ देवर और ससुर साथ रहते थे. अनीता उस घर में खुश थी. जल्द ही वह प्रैगनैंट भी हो गई. उस दौरान उस के चेहरे पर हमेशा मुसकान खिली रहती. मगर जल्द ही उस की मुसकान छिन गई जब उस का मिसकैरेज हो गया. कुछ समय बाद वह फिर से प्रैगनैंट हुई. मगर इस बार उस की कोख में एक स्पैशल चाइल्ड था जिसे पति के कहने पर उसे अबौर्ट कराना पड़ा. तीसरी बार की प्रैगनैंसी भी उस के लिए सुखद नहीं रही क्योंकि यह बच्चा भी मैंटली रिटार्डेड था.

मगर इस बार अनीता अड़ गई और बच्चे को जन्म दिया. उसे अपने बच्चे से बहुत प्यार था. मगर घर में और कोई उसे पसंद नहीं करता था. अनीता के पति ने उस से साफसाफ कह दिया कि वह बच्चे को ऐसे संस्थान में भेज दे जहां इस तरह के बच्चे रहते हैं. मगर अनीता की ममता ने यह बात स्वीकार नहीं की. पति द्वारा ज्यादा जोर दिए जाने और मानसिक रूप से टौर्चर किए जाने पर उस ने पति के बजाय बेटे को चुना और दूसरी बार फिर से तलाक ले कर अलग हो गई.

इस बार उसे पति से क्व3-4 लाख मिले जिन्हें उस ने बेटे के नाम जमा करा दिया. इतना कुछ सहने के बाद अब अनीता के चेहरे की चमक कम हो चुकी थी. वह थोड़ी परेशान भी रहने लगी थी, मगर उस ने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से शादी का फैसला लिया. लड़का उस की सहेली का परिचित था जो काफी अमीर और 2 बच्चों का पिता था. अनीता ने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी.

तीसरे पति के साथ भी उस की ज्यादा समय तक निभ नहीं सकी. तीसरे पति की 2 संतानें पहले से थीं. दोनों बच्चे टीनएजर थे और वे अनीता के छोटे बच्चे को काफी परेशान करते थे. अनीता जब इस बात की शिकायत करती तो उस का पति बच्चे को स्पैशल चाइल्ड के स्कूल में भेजने की बात करने लगता. उस के बच्चे के साथ भेदभाव किया जाता. पति प्रौपर्टी डीलर था. घर में  पैसों की कमी नहीं थी. मगर उसे बच्चे पर रुपए खर्च करने से रोका जाता.

छोटीछोटी बातें खटकने लगीं

अनीता को इस तरह की छोटीछोटी बातें खटकने लगीं. एक बार ?ागड़ा शुरू हुआ तो फिर बढ़ता ही गया. बहुत जल्दी अनीता की सम?ा में आ गया कि वह इस शादी को और नहीं खींच सकती. वह अपने आत्मसम्मान और अपने बच्चे का अपमान नहीं देख पाई और अंत में भारी मन से तलाक लेने का फैसला कर लिया.

इस तलाक में अनीता को काफी रुपए मिले जिन्हें उस ने भविष्य के लिए जमा कर लिए. फिर गुरुग्राम की एक अच्छी सोसाइटी में एक किराए का 2 बीएचके फ्लैट ले कर अकेली अपने बेटे के साथ रहने लगी. इनकम के लिए उस ने फ्रीलांस ट्रांसलेटर का काम शुरू किया और अपने बल पर बच्चे का पालनपोषण करने लगी.

तलाक से गुजरने के बाद की मानसिक स्थिति

तलाक से गुजरने वाला शख्स क्या सहता है इस की कल्पना भी नहीं की जा सकती. अनीता के लिए भी वह दौर इतना मुश्किल रहा कि वह भावनात्मक रूप से काफी टूट गई थी. हर बार हालात ऐसे बने कि उसे अलग होने के इस कठिन और कड़वे अनुभव से गुजरने पर मजबूर होना पड़ा. डिवोर्स लेना किसी भी तरह से आसान नहीं होता है क्योंकि एक रिश्ते से प्यार, भावनाएं, यादें, जिम्मेदारियां, परिवार जैसी कई चीजें जुड़ी होती हैं.

हर बार अनीता के अंदर अजीब सी उथलपुथल मची रहती थी. उसे गुस्सा, उदासी और पछतावा सब एकसाथ महसूस होता. कई बार अपनी शादी को निभाने की कोशिश और उसे खत्म करने के फैसले के बीच वह खुद को फंसी हुई भी महसूस करती थी. तलाक के दौरान और उस के बाद कई दफा उसे डिप्रैशन भी महसूस हुआ. वह अंदर ही अंदर दिल के किसी कोने में अपनी शादी को बचाने की उम्मीद रखती पर वास्तव में ऐसा हो पाना संभव नहीं होता. उसे सम?ा आता गया कि वह चाहे कुछ भी कर ले लेकिन अपने रिश्ते को टूटने से नहीं बचा सकेगी. उसे पता था कि उस के पास चीजों को जाने देने के अलावा और कोई चारा नहीं है.

अपने फैसलों से खुश

अनीता ने अपने तीनों तलाक स्वीकार कर लिए थे. वह अब अपने अतीत के दर्दों को भुला कर जीवन के नए पहलू की तरफ आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी और इस में सफल भी हो चुकी है. वह हर वक्त अपने दुखों के बारे में सोचने की जगह बच्चे के साथ अपनी जिंदगी को ऐंजौय करने लगी है. वह अब छोटीछोटी चीजों से हमेशा अपनेआप को खुश रखने की कोशिश करती है. उस ने प्रौपर्टी डीलिंग का बिजनैस भी शुरू कर लिया है और घर से ही काम करती है ताकि बेटे को पूरा समय दे सके. कुछ लोग उस के इस कदम को सही नहीं मानते. मगर वह अपने फैसलों से खुश है.

अगर कोई स्त्री तलाक लेती है तो लोग अकसर उसे ही दोषी करार देते हैं. वे कहने लगते हैं कि वह निभाना नहीं जानती होगी. जरूर उस का चक्कर चल रहा होगा या फिर वह बां?ा होगी. लोग यह नहीं सोच पाते कि समस्या पुरुष या उस के परिवार में भी हो सकती है. मुमकिन है कि उस के साथ अत्याचार हो रहा हो या फिर उस के बढ़ते कदमों को रोका जा रहा हो या वह वहां खुश नहीं हो. आखिर औरत हमेशा अपने आत्मसम्मान को दांव पर लगा कर रिश्ते निभाने की कोशिश क्यों करती रहे? एक बार तलाक तो फिर भी समाज द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है? मगर जब बात 2 या 3 तलाक की हो तब लोग औरतों को ही दोषी मान लेते हैं. उन के फैसले पर उंगली उठाई जाती है. श्वेता तिवारी का उदाहरण भी कुछ ऐसा ही है.

श्वेता तिवारी की 2 शादियां और तलाक

टीवी ऐक्ट्रैस श्वेता तिवारी ने भी 2 शादियां कीं, लेकिन दोनों ही शादियां उन के लिए जी का जंजाल बन गईं. पहली शादी राजा चौधरी से हुई जिस पर श्वेता ने घरेलू हिंसा के आरोप लगाए और तलाक ले लिया. राजा से इन्हें 1 बेटी पालक है. इस के बाद श्वेता ने अभिनव कोहली से दूसरी शादी की और बेटे रेयांश का जन्म हुआ. लेकिन यह शादी भी नहीं टिक पाई. अभिनव पर भी श्वेता ने घरेलू हिंसा, गालीगलौज के आरोप लगाए और अलग रहने लग गईं. मिडल क्लास फैमिली की होने की वजह से उन के परिवार ने हमेशा उन्हें शादी न तोड़ने की सलाह दी और कहा था कि एडजस्ट करो. लेकिन वे ऐसे रिश्ते में नहीं रहना चाहती थीं जिस में सम्मान न मिले.

2 शादियां टूटने के बाद लोग श्वेता को तीसरी शादी न करने की सलाह देते हैं. इस पर श्वेता का कहना है कि अगर आप 10 साल तक लिव इन रिलेशनशिप में रहें तो कोई सवाल नहीं करेगा. लेकिन आप 2 साल में शादी तोड़ दें तो लोग सवाल करेंगे कि तुम कितनी शादियां करोगी? कई लोग मु?ो यह भी सलाह देते हैं कि तुम तीसरी शादी मत कर लेना. मगर क्यों? यह मेरा डिसीजन है. मेरी लाइफ है. इंसान को दूसरी क्या 5वी शादी में भी दिक्कत हो तो उसे अलग हो जाना चाहिए.

सवाल यह उठता है कि हम भला दिक्कतों के साथ क्यों जीएं और ये नंबर्स हैं ही क्यों? आप कई अफेयर्स करें तो ठीक है फिर कई शादियां करने में दिक्कत क्यों? गलत व्यक्ति तो आप को दूसरी या तीसरी शादी में भी मिल सकता है. ऐसे में एक ही व्यक्ति के साथ बारबार समस्याओं का सामना करने से अच्छा है कोई दूसरी समस्या डिस्कवर करो. जहां भी समस्या आए तो छोड़ो और आगे बढ़ो.

क्यों न नई शुरुआत करें

दरअसल, जब औरत समझते के बजाय आजादी चुनती है तो पुरातनपंथी लोगों को बहुत कड़वा लगता है. वे औरत को दोष देने लगते हैं. मगर हकीकत में खुश रहने का हक सब को है. किसी अनहैप्पी मैरिज में बने रह कर परेशान रहने के बजाय क्या यह अच्छा नहीं कि स्त्री उस बंधन को तोड़ कर नई शुरुआत करे? तलाक के बाद जिंदगी खत्म नहीं हो जाती. वह दूसरी या तीसरी बार शादी क्यों नहीं कर सकती? उसे भी हक है कि वह अपने लिए बेहतर लाइफ पार्टनर की तलाश करे ताकि उस की जिंदगी की हर कमी पूरी हो सके. अगर ऐसा नहीं हो पाता और उसे बारबार तलाक लेना पड़ता है तो भी इस में गलत क्या है? आखिर दमघोटू माहौल में रह कर मैंटली, फिजिकली सिक होने से तो अच्छा है कि वह बेहतर औप्शन की तलाश करे. कम से कम उस के पास कोशिश करने का हक तो है ही.

अकसर लोगों को कहते सुना जाता है कि पतिपत्नी का रिश्ता तो 7 जन्मों का होता है. हिंदू विवाह में पति और पत्नी के बीच जन्मजन्मांतरों का संबंध माना जाता है जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता. अग्नि के 7 फेरे ले कर और धु्रव तारे को साक्षी मान कर 2 तन और मन एक बंधन में बंध जाते हैं. हिंदू धर्म में तलाक और लिव इन रिलेशनशिप वगैरह सही नहीं माने जाते हैं. यह मान्यता दृढ़ होती है कि एक बार जिस व्यक्ति का किसी से विवाह हो जाता है तो मृत्युपर्यंत जारी रहता है और उस विवाह में पवित्रता होनी जरूरी होती है.

आंकड़े क्या कहते हैं

यही वजह है कि भारत में तलाक दर  लगभग 1.1त्न होने का अनुमान है जो पूरी

दुनिया में सब से कम है. दुनियाभर में अधिकांश तलाक महिलाओं द्वारा शुरू किए जाते हैं जबकि भारत में ज्यादातर पुरुष ही तलाक की पहल

करते हैं.

एक स्टडी भी कहती है कि दूसरी शादी में तलाक की दर पहली शादी की तुलना में 60त्न से अधिक होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर लोग तनाव में पुनर्विवाह का फैसला करते हैं जो उन्हें कभी भी खुश नहीं रहने देता है. ऐसे में अगर आप भी दूसरी शादी का विचार कर रहे हैं तो कुछ बातों पर पहले से विचार करें:

आप की मरजी या परिवार का प्रैशर

इस में कोई दोराय नहीं कि पार्टनर से अलग होने के बाद की जिंदगी किसी के लिए भी आसान नहीं होती. जिन चीजों की जिम्मेदारी पहले पतिपत्नी मिल कर उठाते थे अलग होने के बाद वह सब अकेले ही मैनेज करना पड़ता है. ऐसे में अगर आप खुद दूसरी शादी करना और पिछला सब भूल कर आगे बढ़ना चाहते हैं तो यह उचित है. लेकिन यदि केवल परिवार के प्रैशर में आ कर दूसरी शादी करने को तैयार होते हैं तो संभव है कि आप आगे चल कर एडजस्ट न कर पाएं. याद रखें परिवार या आप के दोस्त आप को दूसरी शादी के लिए मोटिवेट कर सकते हैं. लेकिन यह आप को खुद तय करना होता है कि आप अपनी लाइफ से क्या चाहते हैं.

पुरानी कड़वाहट साथ ले कर न जाएं

जब लोग पुनर्विवाह करते हैं तो अकसर पुराने रिश्ते की कड़वाहट और कुछ बातों को ले कर पूर्वाग्रह उन के दिलोदिमाग में कायम रहते हैं जो किसी भी नए रिश्ते को मजबूत बनने से रोकने के लिए काफी हैं. इसी तरह अगर आप अभी भी अपने एक्स की यादों से घिरे हुए हैं तो ये कभी आप को नए रिश्ते में बंधने नहीं देंगी. इसलिए खुद को थोड़ा समय दें.

दरअसल, जब हम किसी रिश्ते में अपना 100त्न देते हैं और अचानक से वह रिश्ता खत्म हो जाता है तो वहां कौन्फिडैंस, ऐक्सपैक्टेशंस और सोचनेसम?ाने की क्षमता न के बराबर रह जाती है. ऐसे में सब से जरूरी यही है कि कोई भी फैसला लेने से पहले खुद को थोड़ा समय दें. सोचसम?ा कर फैसला लें और फिर पूरी कोशिश करें कि यह रिश्ता सफल हो जाए.

सोचसमझ कर लें फैसला

दूसरी शादी में डर का होना लाजिम है. लेकिन आप को अपने पार्टनर से अपने विचारों और इच्छाओं को व्यक्त करना होगा. बताना  होगा कि जिंदगी से और लाइफपार्टनर से आप की क्या उम्मीदें हैं. बहुत से लोग अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं जिस की वजह से भी वे दूसरी शादी करने पर विचार करते हैं. हालांकि ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि बिना सही सोचविचार किए पुनर्विवाह से आप की परेशानी कम होने वाली नहीं है.

नए रिश्ते के लिए ईमानदारी

किसी भी नए रिश्ते में बंधने के लिए ईमानदारी का होना बेहद जरूरी है. अगर आप नए रिश्ते की शुरुआत करने की सोच रहे हैं तो खुद से सवाल करिए कि क्या आप वाकई में बच्चों की जिम्मेदारी से ले कर पार्टनर की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए तैयार हैं? पिछले रिश्ते में कहां क्या गलती हुई, इसे जितना खुल कर आप अपने साथी से डिसकस करेंगे उतना ही आप अपने पार्टनर से जुड़ाव महसूस करेंगी.

किन हालात में महिलाओं के लिए तलाक ही अच्छा है

हमारे देश में लड़की और शादी को इस तरह से लिया जाता है जैसे लड़की का जन्म ही शादी करने के लिए हुआ हो. शादी के बंधन में बंध कर ही उस का जीवन सार्थक होता है और ऐसे में अगर वह तलाक ले ले तो यह उस की जिंदगी की एक बड़ी असफलता समझ जाता है. तलाकशुदा महिला को शादीशुदा जितना सम्मान नहीं मिलता. तलाक के बाद महिला मातापिता पर बोझ समझ जाती है. उस के नाम से डिवोर्सी का टैग जुड़ जाता है. तलाक के बाद अलग तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं इसलिए महिलाएं अपनी शादी को हर तरह से निभाने की कोशिश करती हैं. मगर किसी भी चीज की सीमा होती है. इन स्थितियों पर तलाक लेना ही बेहतर है:

दहेज की मांग की जा रही हो: अगर शादी के बाद भी आप को दहेज के लिए बातें सुनाई जाती हैं, रातदिन ताने दिए जाते हैं और आप को नीचा दिखाया जाता है तो ऐसे घर में रहना उचित नहीं. दहेज के लोभियों का क्या भरोसा कब वे हिंसक हो उठें और आप की जान पर बन आए. वैसे दहेज लेना और देना दोनों ही कानूनी जुर्म हैं. फिर भी हमारे समाज में दहेज का लालच खत्म नहीं हुआ है. कई दफा दहेज के बिना शादी तो हो जाती है, लेकिन पैसों की मांग शादी के बाद होती है. लड़की पर दबाव बनाया जाता है कि वह अपने घर से पैसे लाए और जब ऐसा नहीं होता तो उस पर अत्याचार किए जाते हैं. शादी बचाने और मातापिता की इज्जत का खयाल कर लड़कियां सब सहती हैं. मगर याद रखें जिस घर में इंसान से ज्यादा पैसे को अहमियत दी जाए वहां आप सुरक्षित नहीं.

घरेलू हिंसा की जा रही हो: अगर शादी के बाद अगर आप के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा मसलन मारपीट, यौन शोषण या गालीगलौज की जा रही है तो आप को बिना समय गंवाए तलाक का फैसला ले लेना चाहिए. याद रखें शादी कर के पति पत्नी का मालिक नहीं हो जाता. किसी को यह हक नहीं कि आप पर हाथ उठाए. बहुत सी महिलाएं सालों मारपीट सहती हैं. मगर ऐसी जिंदगी का क्या फायदा? घुटघुट कर जीने और रोज मरने से अच्छा है अलग हो जाना.

बेइज्जती की जाती हो: शब्दों के तीर अकसर बहुत गहरे जख्म देते हैं. अगर घर में महिला के साथ दुर्व्यवहार हो रहा हो, पति खुद गलती मानने के बजाय हर बात के लिए पत्नी को ही दोषी ठहराए, उस की कीमत न समझे, उसे हलके में ले, उस के काम को अहमियत न दे, उस पर बारबार चिल्लाए, गाली दे, नीचा दिखाए तो इस रिश्ते को तोड़ देना ही बेहतर है. रोजरोज की मानसिक प्रताड़ना झेल कर कोई खुश नहीं रह सकता. बेहतर है कि अलग हो जाएं.

पति बेवफा हो: अगर किसी महिला को यह पता चलता है कि उस के पति का किसी और के साथ अफेयर है तो एक बार तो वह खुद को समझ कर पति से अपने प्यार की दुहाई देगी. ऐसे में अगर पति अपनी गलती मान कर उस औरत से मिलना छोड़ दे तो बात संभल जाती है. अकसर लड़के घर वालों के दबाव में आ कर शादी तो कर लेते हैं, लेकिन शादी के बाद भी वे अपने प्यार से अलग नहीं हो पाते. कई बार पति अपनी पत्नी से बोर हो कर भी बाहर खुशियां ढूंढ़ता है. ऐसे रिश्तों में बहुत कोफ्त होती है. बेवफाई रिश्तों के भरोसे को खत्म कर देती है और कोई भी रिश्ता बिना भरोसे के चल नहीं सकता. इसलिए महिला के लिए बेहतर यही होता है कि वह ऐसे रिश्ते से अलग हो जाए.

जब रिश्ते में केवल नकारात्मकता हो: अगर आप को पति के साथ नकारात्मकता महसूस होने लगे, आप दोनों हर बात पर झगड़ने लगें और पति का करीब आना भी आप को बरदाश्त न हो तो जाहिर है ऐसा रिश्ता अंदर से खोखला हो चुका होता है. अगर आप को लगता है कि आप के पास अपने साथी से जुड़ी नकारात्मक बातें सकारात्मक बातों की तुलना में ज्यादा हैं तो आप को तलाक की जरूरत है.

 ये 3 कारण बनते हैं कपल्स के बीच तलाक की मुख्य वजह

‘जर्नल औफ सैक्स ऐंड मैरिटल थेरैपी’ में प्रकाशित एक शोध में कपल्स के बीच तलाक की मुख्य वजहों को जानने की कोशिश की गई. इस के लिए 2371 लोगों को शामिल कर उन से कुछ सवाल पूछे गए और उस आधार पर तलाक के कारण बताए गए:

कम्युनिकेशन गैप: ज्यादातर कपल्स में तलाक का कारण कम्युनिकेशन गैप होता है. रिसर्च के अनुसार 44त्न रिलेशनशिप में डिवोर्स का कारण कम्युनिकेशन गैप होता है. दरअसल, बातचीत से ही रिश्तों में मधुरता आती है और मतभेद दूर किए जाते हैं. संवाद की कमी रिश्ते को खोखला कर देती है.

रिश्ते में इंटिमेसी की कमी: रिसर्च में शामिल लगभग 47त्न प्रतिभागियों का कहना था कि लो इंटिमेसी के चलते उन का तलाक हुआ है. इंटिमेसी की कमी सिर्फ उम्रदराज कपल्स में ही नहीं बल्कि युवाओं में भी होती है, जिस का कारण तलाक के रूप में दिख रहा है. इस के पीछे तनाव, खराब खानपान और अनियमित दिनचर्या जैसे कई कारण जिम्मेदार हैं.

पार्टनर के लिए सम्मान, भरोसे या सहानुभूति का अभाव: शोध में शामिल करीब 34त्न महिलाओं ने अपने पति से इन 3 चीजों के अभाव का दावा किया, जिन के चलते उन में से कुछ महिलाओं ने अपने पति से तलाक ले लिया और कुछ ने दूसरी शादी कर ली.

दूसरी शादी करने से पहले खुद से पूछें कुछ सवाल: प्यार, सम्मान, मुसकान, भावनात्मक जुड़ाव, विश्वास और जीवन भर के साथ का इरादा एक शादीशुदा रिश्ते में इन बातों का होना बेहद जरूरी है. कुछ कपल्स जहां जिंदगी में आए हर उतारचढ़ाव को पार करते हुए आगे बढ़ते रहने का प्रयास करते हैं तो कइयों का साथ बीच में ही छूट जाता है. जब प्यार की डोर कमजोर होती है तो जिंदगी की मुश्किलें और गलतफहमियां बड़ी आसानी से रिश्ते में दरार ले आती हैं. इस तरह जब भी कोई रिश्ता टूटता है तो वे सपने भी टूट जाते हैं जिन्हें दोनों ने मिल कर संजोया था.

शादीशुदा रिश्ते के बिखर जाने के बाद जिम्मेदारियों का बो?ा न केवल एक इंसान पर आ जाता है बल्कि कठिन राहों में अकेले आगे बढ़ना भी मुश्किल लगने लगता है. ऐसे समय में ज्यादातर लोग दोबारा शादी करने का विचार करते हैं. मगर अकसर दूसरी या तीसरी शादी करने से पहले व्यक्ति के मन में थोड़ी असमंजस की स्थिति होती है क्योंकि उसे पता नहीं होता है कि इस शादी का परिणाम क्या होगा. उसे डर रहता है कि कहीं पहले की तरह यह रिश्ता भी दर्द की सौगात दे कर खत्म न हो जाए.

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