Genz Career Planning: आज के युवाओं को आजादी इतनी प्यारी होने लगी है कि वे अकसर आजादी का मूल ही भूल जाते हैं. आजादी का मतलब सिर्फ अपनी मनमानी करना, बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ना या आंख बंद कर मस्ती में फिरना नहीं होता बल्कि अपने विचारों को विस्तृत और प्रगतिशील करना होता है. अपनी योग्यता को निखारना और अपने भविष्य के लिए गंभीर मनोस्थिति अपनाना कार्यबद्ध होने से है.
कहीं तो आज के जैन जेड किशोर अवस्था से ही अपनी योग्यता को पहचान, उस पर मेहनत कर नाम कर रहे हैं तो कहीं और कुछ अपने लक्ष्य से भटक रहे. जो समय उन्हे अपनी पढ़ाई, कला आदि में लगाना चाहिए उस समय को वे सोशल मीडिया में गुमराह हो कर नष्ट कर रहे.
बहुत से युवा जितनी जानकारी टैक्नोलौजी या किसी वायरल ट्रेंड की रखते हैं, वहीं आम दुनियादारी की नहीं. न परिवार, सरकार व समाज में अपनी भूमिका की और न ही वे इस बात को महत्त्व देते हैं. वे यह नहीं समझते कि उन्हें अपना पूरा जीवन इसी दुनिया की भागदौड़ में निकालना है. इसलिए उन्हें बदलते दौर के साथ वर्तमान और भविष्य दोनों के उतारचढ़ाव के लिए हर रूप से तैयार रहना चाहिए.
इसे नाकार नहीं सकते कि जैन जेड समाज का भविष्य है और इस भविष्य को उज्ज्वल और दृढ़ बनाने के लिए हमें वर्तमान में अपनी भागीदारी निभानी पड़ेगी. अब वह भागीदारी मांबाप, भाईबहन बन कर निभाएं या एक सलाहकार बन कर अपनी इसी जैन जेड के लिए हम भी कुछ सलाह देना चाहेंगे:
अपना पैशन पहचाने: बहुत से युवा जीवन के कई वर्ष निकाल लेते लेकिन उन्हें अपना पैशन या वह कार्य या कला नहीं जान पाते जिस में उन की योग्यता उभर कर बाहर आ सके, जिस पैशन को अपना कर वे आंतरिक व भौतिक दोनों सुख प्राप्त कर सकें.
मैंटर या गुरु का चुनाव: हमारी योग्यता जितनी हमारी मेहनत पर टिकी है उतनी ही एक उत्तम गुरु या मैंटर के मार्गदर्शन पर भी. जिस तरह अशोक एक शक्तिशाली योद्धा थे लेकिन चाणक्य की छाया में वे एक सम्राट बन गए. उन की तरह अपनी सफलता के लिए हमें एक गुरु की आवश्यकता होती है. अब वे गुरु हमारे टीचर्स हों, मांबाप हो या कोई सलाहकार.
अपनी गलतियों या फेल्योर से सीखना: बहुत से युवा गलती होने पर या अपने परिश्रम में सफल न होने पर निराश हो पीछे हट जाते है, जबकि ऐसे समय में उन्हें धैर्य रखना चाहिए और बचपन में सुनाई चींटी के संघर्ष की कहानी याद करनी चाहिए कि किस तरह वह अपने रास्ते में आती हर रुकावट को पार करती है और अपने लक्ष्य तक पहुंचती है.
उचित संगत: हम हमेशा से सुनते आ रहे हैं कि हमें अपनी संगत का चुनाव सूझबूझ से करना चाहिए. हमारे दोस्तों, सहभागियों के स्वभाव का असर हमारे हावभाव पर भी पड़ता है. अगर हमारी संगत परिश्रमी हो तो हम साथ मिल कर एकदूसरे के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता कर सकते हैं नहीं तो गलत संगत दोनों की ही हानि करेगी.
स्किल्स को निखारें: आज समय उतनी तेजी से नहीं भाग रहा जितनी तेजी से टैक्नोलौजी बढ़ और बदल रही है. इसलिए युवाओं को चाहिए कि अपनी स्किल्स को निखारने और डैवलप करने के लिए हमेशा तैयार रहें.
फाइनैंस का ज्ञान: यहां हमारा अर्थ फाइनैंस की किसी डिप्लोमा या डिगरी से नहीं बल्कि आम ज्ञान से है अर्थात कोई अपनी आर्थिक स्थिति और कमाए गए धन के बारे में कितना ज्ञान रखता है? युवाओं को अपनी कमाई, अपनी जरूरतें, खर्च इन सब का ज्ञान होना चाहिए क्योंकि वे ही अपने भविष्य और अपने परिवार के भविष्य का, उन की आर्थिक जरूरतों, सुखसुविधाओं व मैडिकल जरूरतों का बीड़ा उठाने वाले हैं.
बजट, बचत: युवाओं को फाइनैंशल बजट का 50-30-20 रूल का ज्ञान होना चाहिए. यह रूल बहुत कारगर और आसान भी है जो यह कहता है कि आप की कमाई का 50% आप की जरूरत व आर्थिक आवश्यकताओं पर खर्च होना चाहिए, 30% आप की इच्छाओं पर और 20% आप की बचत या इनवैस्टमैंट पर इस रूल को अपना वे कई फुजूल खर्चों से बच सकते हैं और अपनी कमाई का सही इस्तेमाल कर सकते हैं.
इनवैस्टमैंट की समझ: इनवेस्टमैंट करने से पहले यह जानना जरूरी है कि इनवैस्टमैंट की कहां जाए? आखिर अपने पैसे के साथ कौन जोखिम लेना चाहेगा. युवाओं को चाहिए कि जिस किसी चीज में वे निवेश करना चाहते हैं पहले उस के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें. अपना जोखिम, लाभ, उस की शर्तें व नियम इन सब की जानकारी हासिल कर के ही निवेश करें क्योंकि यह निवेश वे भविष्य के लिए ही कर रहे हैं और यही निवेश उन्हे कई बार आपातकालीन स्थितियों में सहायता देता है.
फाइनैंशियल एडवाइस: हमारी जैन जेड बहुत सी चीजों और लोगों से प्रभावित हो कर उन से तरहतरह के एडवाइस ले रही है जैसे बौडी बिल्डिंग, स्किन केयर, रिलेशनशिप, स्टाइलिंग और बहुत कुछ तो उन्हें अपनी लिस्ट में फाइनैंशियल एडवाइस भी जोड़ लेनी चाहिए. आखिर लिस्ट में लिखी बाकी चीजों को पूरा तो पैसे से ही किया जा सकता है. जहां वे सोशल मीडिया पर ऐंटरटेनमैंट इन्फ्लुएंसर को फौलो कर करे हैं वहीं वे फाइनैंशियल इन्फ्लुएंसर से भी क्यों न जुड़ें जो उन्हें कई तरह के एडवाइस फ्री में दे सकते हैं, साथ ही फाइनैंशियल एडवाइस सिर्फ ऐक्सपर्ट ही नहीं बल्कि अपने घर व समाज के बड़ेबूड़े से भी मिल सकती है.
सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल: सोशल मीडिया प्लेटफौर्म एक सिक्के की तरह है जो अच्छा और बुरा दोनों पहलू लिए हुए है. एक तरफ तो युवा इस का इस्तेमाल कर के नाम और काम दोनों में सफल हो रहे वहीं दूसरी तरफ इस की बनावटी दुनिया में मुखौटे पहने चेहरों के चमकीले झूठ में डूब कर अपना जीवन नष्ट कर रहे हैं. ऐसे प्लेटफौर्म पर ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें देख कर वे गुमराह हो रहे हैं इसलिए उन्हें चाहिए कि इन्हीं प्लेटफौर्म्स का सही इस्तेमाल कर उन लोगों से जुड़ें जो सच में गुणी, सफल और शालीन व्यक्तित्व वाले हैं. उन लोगों से इंसपायर हों. उन से मार्गदर्शन मांगे और अपने जीवन में सफल बनें.
मदद मांगने में हिचक नहीं: बहुत से युवाओं को किसी भी तरह की मदद मांगने में बहुत संकोच या शर्म महसूस होती है. उन्हें इस प्रकार की सोच से बाहर निकल अपनी परेशानी साझा करनी चाहिए ताकि उस पर समय से कदम उठा उसे दूर किया जा सके. उन्हें यह याद रखना चाहिए कि मदद मांगने से वे छोटे नहीं हो जाते और न ही किसी से कम बल्कि एकदूसरे की मदद करना अपने ही आत्मविश्वास को बढ़ाता है.
ट्रैवल टू लर्न: युवाओं को ट्रैवल करना बहुत पसंद है लेकिन क्या ट्रैवल सिर्फ मौजमस्ती के लिए होता है? नहीं. किसी जगह ट्रैवल करना वहां सिर्फ घूमना नहीं हुआ बल्कि वहां के रहनसहन, बोली, भाषा, कल्चर, कला, वहां के इतिहास का ज्ञान अर्जन के लिए बहुत अच्छा रास्ता है. कई बार इसी तरह से प्राप्त ज्ञान का सही उपयोग कर बहुत लोग जीवन में सफल बन जाते हैं.
सैल्फ केयर: सैल्फ केयर से हमारा अर्थ सिर्फ त्वचा की सुंदरता बढ़ाने से नहीं बल्कि हर रूप से अपनी सुंदरता और आत्म के विकास से है. युवाओं को अपने रूप के साथ मनमस्तिष्क और अपनी सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए. आजकल की भागदौड़ और बेढंगे लाइफस्टाइल से उन्हें न ही पूरी रैस्ट मिल पा रही है और न ही पोषण. याद रहे कि स्वस्थ रह कर ही जीवन का आनंद लिया जा सकता है क्योंकि स्थूल व बीमार शरीर न ही कोई कार्य कर सकता और न ही मौज, इसलिए अपनी जीवनशैली या लाइफस्टाइल में सुधार लाना चाहिए.
बी थैंकफुल: आभार शब्द हमें इतना भारी लगने लगा है कि हम दूसरों के प्रयत्नों, उन की मदद या अच्छे स्वभाव के प्रति आभार नहीं दिखा पाते. यह बरताव आज के युवाओं में अधिक देखा जाता है. वे न अपने मांबाप के प्रति थैंकफुल हैं, न ही अपने गुरुओं के प्रति. उन्हें यह लगता है कि ये सब अपना कर्तव्य निभा रहे और इस कर्तव्य के लिए उन का आभार व्यक्त करना फुजूल की बात है. वे यह भूल जाते कि जब वे किसी और का आभार या धन्यवाद नहीं करेंगे तो कोई और भी उन के किए गए प्रयासों व मेहनत के लिए न थैंक्स कहेगा और न ही अहमियत देगा.
वैल्यू ऐंड कंसीडर हैल्दी रिलेशनशिप: रिलेशन चाहे मांबाप से हो, भाईबहन या किसी दोस्त से आज की पीढ़ी उस की वैल्यू भूल सी गई है. उस के लिए हर रिश्ता या तो कोई फौरमैलिटी निभाना है या फिर कैजुअल रहना बन गया है. वह रिश्तों के प्रति गंभीर नहीं. Genz Career Planning