एक अच्छे घर के सपने के लिए लाखों लोग अपना घर सोसायटियों में ले रहे हैं जहां सुरक्षामनचाहे लोगकुछ सार्वजनिक सुविधाएं और एक स्टेटस मिलता है. शहरों के बाहर खेती की जमीनों पर तेजी से मकान उग रहे हैं. लोन की सुविधा पर युवा जोड़े अपना आशियाना खोज रहे है. आरवीआई (रिजर्व बैंक औफ इंडिया) की रिपोर्ट के अनुसार जनवरीमार्च 2023 में घरों की बिक्री 21.6 ‘ बढ़ी और साथ ही घरों पर बकाया लोन बढ़ कर 19,36.428 करोड़ रुपए हो गया.

अपनेआप में यह सुखद बात है कि लोग अपना मकान ले रहे हैं पर अफसोस यह है कि वे बचत पर नहीं ले रहे लोन पर ले रहे हैं. लोन पर लिए मकान का मतलब बौंकर के अपने घर में 24 घंटे मेहमान की तरह रखना जो करता कुछ नहीं है सिर्फ खाता है और गुर्राता है. उस ने मकान दिलवायां तो वह मकान मालिक से ज्यादा गुर्राता है और ज्यादा खाता है क्योंकि एक भी ईएमआई में देर हुई नहीं कि पीनल इंट्रस्ट चालू हो जाता है जो घरों में बैठे इस मेहमान को खूखांर और जानलेवा तक बना देता है.

यदि सामान्य बैंक के कम इंट्रस्ट वाले लोन की इंस्टालमैंट नहीं चुका पाओ तो बाजार से ज्यादा इंट्रस्ट पर लोन लेना पड़ता है. जैसेजैसे अच्छे मकानों की तमन्ना बढ़ती जा रही है वैसेवैसे ज्यादा इंट्रस्ट वाले लोन भी बढ़ रहे हैं और अब कुल होम लोन का 56.1 का 56.1 प्रतिशत हो गया है.

अपना फ्लैट एक अच्छी ग्रेट्ड सोसायटी में होना एक अच्छा सपना है पर जिस तरह से सरकारबिल्डरप्रौपर्टी एजेंट और बैंक आम ग्राहक को लूटते है. उस से यह सपना टूटने में देर नहीं लगती. सभी शहरों में हजारों बिङ्क्षल्डगों में ताले लगे फ्लैट दिख जाएंगे जो अलाट तो हो गए हैं पर पूरा पैसा न देने पर उन का पौजेशन नहीं दिया गया.

सरकार ने रेस नाम की एक संस्था बनाई है जो बिल्डरों पर लगाम लगा कर यह भी पुलिस थाने और अदालत जैसे हो गई है जहां शिकायत हल नहीं की जाती टाली जाती हैसाल दर साल और इस दौरान बुक किए फ्लैट पर इंट्रस्ट बढ़ता रहता है और भटकते रहते हैं.

सोसायटी में रहने की तमन्ना के लायक अभी देश की इकोनौमिक हालत नहीं हुई है. देश अभी भी गरीबों का देश है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहे अमेरिका जा कर ढींग कर आए कि पिछले 10 सालों में अर्थव्यवस्था 10वें से 5वें स्थान पर पहुंच गई है. प्रति व्यक्ति आय के पैमाने पर 2015 से 2022 में आय 1600 डौलर प्रति व्यक्ति से 400 डौलर बढ़ कर 2000 डौलर हुई जबकि इसी दौरान वियटनाम जैसे पिछड़े देश में 2055 से बढ़ कर 3025 डौलर और ङ्क्षसगापुर जैसे समृद्ध देश में 59112 डौलर से बढ़ कर 69.896 डौलर हो गई है.

हम सभी अपने घर अफौर्ड नहीं कर सकते. यह साफ है. कुछ ही ऐसे चतुर हैं जो या तो मांबाप के मकाए पैसे पर या किसी तरह के भागीदार हो कर होमलोन चुकता कर पाने की स्थिति में है.

 

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