बी कौम औनर्स की पढ़ाई कर रही 23 साल की निष्ठा तिवारी के साथ घटी घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है. महिला सशक्तीकरण के बीच इस तरह की घटनाएं घरपरिवार और समाज को सचेत करती हैं कि लड़कियों को अपनी सुरक्षा का खुद ध्यान रखना पड़ेगा. जैसेजैसे लड़कियां सशक्त हो रही हैं वैसेवैसे उन के खिलाफ अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं. पुलिस, कानून और समाज से पहले लड़कियों को अपनी सुरक्षा खुद करनी पड़ेगी. इस के लिए उन्हें मानसिक रूप से जागरूक होना पड़ेगा. बौयफ्रैंड हो या बैस्ट फ्रैंड के इमोशन में पड़ कर कोई फैसला लेने से पहले सावधानी बरतनी होगी.

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की ही सदर कोतवाली निवासी 23 साल की निष्ठा तिवारी बीकौम औनर्स की पढ़ाई करने लखनऊ आई

थी. यहां की बीबीडी यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया. उस के पिता संतोष तिवारी यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक में सीनियर मैनेजर के रूप में काम करते हैं. निष्ठा तिवारी कुछ समय तक कालेज

के होस्टल में रही. इस के बाद होस्टल छोड़ कर 2 महीने पहले ही पारस नाथ सिटी में किराए पर रहने लगी.

यहां निष्ठा के साथ 2 लड़कियां और रहती थीं. 4 दिन पहले ही निष्ठा तिवारी अपने घर से 25 दिन की छुट्टी बिता कर लखनऊ आई थी. गणेश उत्सव चल रहा था. गणेश उत्सव में हिस्सा लेने की बात कह कर निष्ठा अपने दोस्त आदित्य पाठक के दयाल रैजीडैंसी स्थित फ्लैट पर पहुंच गई. वहां दोस्तों के साथ पार्टी चल रही थी. इसी दौरान गोली लगने से उस की मौत हो गई.

अस्पताल में छोड़ भाग गए दोस्त

पुलिस ने जब छानबीन शुरू की तो पता चला कि गोली जानबूझ कर मारी गई थी. इस के बाद गंभीर हालत में घायल निष्ठा को उस के दोस्त लोहिया अस्पताल ले गए. लोहिया में छात्रा और उस के परिवार के बारे में लिखापढ़ी करा कर दोस्त भाग लिए. डाक्टरों ने निष्ठा को मृत घोषित कर दिया. सुबह करीब 3 बजे हौस्पिटल स्टाफ ने पुलिस को सूचना दी.

पुलिस ने निष्ठा तिवारी के पिता को फोन पर यह सूचना दी. हरदोई से लखनऊ पहुंचे पिता ने चिनहट थाने में उस के दोस्त आदित्य पाठक पर हत्या का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस ने आरोपी आदित्य को गिरफ्तार कर लिया.

निष्ठा तिवारी को जिस फ्लैट में गोली लगी, वह पुलिसकर्मी हिमांशु श्रीवास्तव का था. इस में आदित्य पाठक किराए पर रहता है. किचन में खाने का सामान और दारू की बोतलें मिलीं जिस से पता लगा कि यहां पार्टी हुई थी. इसी दौरान किसी बात पर विवाद पर गोली चलने से युवती की मौत हो गई.

अपराधी किस्म के दबंग दोस्तों से रहें दूर

निष्ठा के पिता संतोष तिवारी कस कहना है, मेरी बेटी को धोखे से गोली नहीं लगी, उस की हत्या हुई है. पढ़ने वाले बच्चों के पास पिस्टल कैसे पहुंची? इस से साफ है कि आदित्य पाठक क्रिमिनल माइंडेड है, उस ने मेरी बेटी को किसी गलत इरादे से मार डाला.

आदित्य पिछले 7 दिनों से निष्ठा को इंस्ट्राग्राम पर मैसेज कर के परेशान कर रहा था, जिस की शिकायत बेटी ने की थी. उस के बाद उस का नंबर ब्लौक करने को कहा था. पता होता कि वह बेटी को अपनी बातों में फंसा या धमका कर अपने फ्लैट पर ला कर मार देगा तो मैं उसे घर से ही नहीं आने देता.’’

एडीसीपी पूर्वी लखनऊ अली अब्बास ने बताया कि छात्रा की गोली लगने से मौत हुई है. जांच और दोनों के इंस्ट्राग्राम के मैसेज से सामने आया है कि इन लोगों ने पिछले 5 दिनों में ही मिलनाजुलना शुरू किया था. हालांकि दोनों की कई महीने पहले अपने कौमन फ्रैंड के माध्यम से मुलाकात हुई थी. कुछ अलग किस्म की जानकारी में यह बात सामने आ रही कि बाथरूम में वीडियो बनाने को ले कर हुए विवाद में गोलीकांड हो गया.

आदित्य ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह काफी दिनों से निष्ठा को आतेजाते देखता था. इसी दौरान पहचान दोस्ती में बदली. उस के बाद इंस्ट्राग्राम पर मैसेज के बाद पिछले हफ्ते ही मिलना शुरू हुआ.

आदित्य मूलरूप से बलिया का रहने वाला है. इलाके में दबदबा बनाने और रंगदारी वसूलने के लिए पिस्टल लगा कर घूमता था. वह रंगदारी के मामले में करीब 3 माह बाद जेल से 31 अगस्त को ही छूट कर आया था.

आदित्य ने पुलिस को बताया, ‘‘जब रात को दोस्तों के साथ फ्लैट पर पहुंचा तो निष्ठा वहीं थी. उस की रूम पार्टनर अमीषा पेपर खत्म होने के चलते घर चली गई. वहीं दूसरी पार्टनर कीर्ति डेंगू के चलते घर गई है. इसी दौरान निष्ठा ने अलमारी में रखी पिस्टल देख ली और उस से खेलने लगी. पिस्टल छीनने के दौरान गोली चल गई.’’

अगर आदित्य की बात को सही मान लिया जाए तो इन लोगों को निष्ठा को अस्पताल में छोड़ कर भागना नहीं चाहिए था. इस के साथ ही साथ घटना के तुरंत बाद निष्ठा के घर वालों को सूचना देनी चाहिए थी.

लड़कियों के सामने बढ़ रही चुनौतियां

पढ़ाई, कोचिंग और जौब करने के दौरान लड़कियों का घर से दूर रहना कोई नई बात नहीं है. पहले लड़कियां केवल होस्टल में ही रहती थीं. वहां सुरक्षा व्यवस्था होती है. समयबेसमय आनेजाने पर रोकटोक होती है. इस के अलावा कई होस्टल में खानेपीने की सुविधाएं अच्छी नहीं होती है. इस के अलावा होस्टल में घरपरिवार के लोग आनेजाने पर रह नहीं सकते. ऐसे में कई बार लड़कियां किराए के फ्लैट ले कर रहती हैं.

इन का किराया क्व10 से क्व12 हजार के करीब होता है, जिस में एकसाथ 2 या फिर 3 लड़कियां रह लेती है. जिस से यह बजट में आ जाता है.

कई बार लड़कियां यहां आजादी का लाभ उठाने लगती हैं. वे अपनी सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रखतीं और गलत संगत में पड़ जाती हैं. सोशल मीडिया के जरीए वे बाहरी लड़कों के संपर्क में आ जाती हैं जो पहले फ्रैंडलिस्ट में जगह बनाते हैं और फिर बैस्ट फ्रैंड और बौयफ्रैंड बन जाते हैं. लड़कियां अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना इन के इमोशन में पड़ जाती हैं. इस के बाद कई बार इन्हें धोखा मिलता है.

जरूरी है अपना बचाव

असिस्टैंट प्रोफैसर डाक्टर जयंती श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘महिलाओं और लड़कियों ने आर्थिक बराबरी हासिल कर ली है. आज वे उच्च शिक्षा हासिल कर रहीं, नौकरी कर रहीं, दूर शहरों में अकेले रह रहीं, अपने परिवार का बोझ उठा रही हैं.

मगर अब लड़कियों को अपनी सुरक्षा की चिंता करनी है क्योंकि वे समाज में हर जगह काम कर रहीं. उन पर तमाम लोगों की निगाहें हैं. ऐसे में यह जरूरी जान लें कि कौन सी नजर कैसे उन्हें देख रही है? कहीं भी आनेजाने से पहले यह जरूर सोचें कि आप कितना सुरक्षित हैं? अगर अचानक वहां असमान्य हालत पैदा हो जाएं तो खुद को कैसे बचाएंगी?’’

आंख बंद कर के भरोसा न करें. कहीं भी जा रही हों कितनी ही गोपनीय जगह पर जा रही हों इस बात को हमेशा अपने करीबी लोगों के साथ शेयर करें. किस के साथ जा रही हैं यह भी बताएं. जहां पार्टी हो और लड़कों की ही संख्या हो वहां कभी भी न जाएं. भले ही आप का दोस्त कितना ही भरोसेमंद क्यों न हो.

जब लड़के गु्रप और नशे में रहते हैं तो अपराध की संभावना और साहस हमेशा बढ़ जाता है. दोस्त की अपराधिक छवि हो तो उस से दूर रहने में ही भलाई होती है. अगर सवधानी नहीं बरतेंगी तो अपनी जान से हाथ धोना पडे़गा. बदनामी होगी. घरपरिवार को रोने के लिए छोड़ जाएंगी. दूसरी लडकियों पर बंदिशें बढ़ेंगी जिस से लड़कियों का आगे बढ़ना मुशिकल हो जाएगा.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...