खुबसूरत, हंसमुख और स्पष्टभाषी अभिनेत्री शालिनी पांडे ने तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों से अभिनय की शुरुआत की हैं. उनकी तेलगू फिल्म अर्जुन रेड्डी उनकी पहली सफल फिल्म रही, जिससे उन्हें अभिनय इंडस्ट्री में जगह मिली. उन्होंने तमिल फिल्में भी की है. उनकी हिंदी फिल्म जयेशभाई जोरदार है, जिसमे उन्होंने मुद्रा पटेल की भूमिका निभाई है.

शालिनी ने अपने करियर की शुरुआत मध्यप्रदेश के जबलपुर के एक थिएटर ग्रुप से की थी. उन्होंने 2017 में विजय देवरकोंडा के साथ तेलगू फिल्म अर्जुन रेड्डी से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की. इसमें उन्होंने तेलगू भाषा न जानते हुए भी अपनी डबिंग खुद की. फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और और उन्हें बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस तेलगू फिल्म का अवार्ड मिला. इसके बाद वह 2018 में हिंदी फिल्म मेरी निम्मो में एक कैमियो भूमिका में दिखाई दीं. अभी वह कई वेब सीरीज और फिल्मों में काम कर रही है. उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बात की आइये जाने उनकी कहानी उनकी जुबानी. नई प्रोजेक्ट के बारें में शालिनी का कहना है कि अभी एक प्रोजेक्ट की शूटिंग चल रही है. एक कम्पलीट हो चुकी है, जो अगले साल रिलीज होगी.

मिली प्रेरणा

एक्टिंग में आने की प्रेरणा के बारें में शालिनी का कहना है कि मेरे परिवार में कोई भी अभिनय फील्ड से नहीं है. अधिकतर इंजिनियर है, लेकिन मैं जबलपुर की हूँ, इसलिए मेरे परिवार की इच्छा थी मैं अच्छी पढ़ाई कर लूँ और मुझे याद भी नहीं है कि किस क्षण मुझे लगा कि मुझे अभिनय ही करना है, लेकिन थोड़ी बड़ी होने पर, थिएटर से जुड़ने पर महसूस हुआ कि मुझे अभिनय करना पसंद है, ये मुझे ख़ुशी देती है. केवल एक ही नहीं बल्कि किसी की भी परफॉरमेंस को करने की इच्छा होती थी. स्कूल में कभी किसी फ्रेंड ने भी नहीं कहा कि मैं एक्ट्रेस जैसी दिखती हूँ या एक्टिंग कर सकती हूँ, क्योंकि तब मैं स्पोर्ट्स में काफी रूचि रखती थी. पढाई में ध्यान भी तब कम था. कॉलेज के दौरान मुझे एक्टिंग का अनुभव हुआ, इससे पहले मैं बहुत झल्ली थी.

 

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मुश्किल था समझाना  

शालिनी कहती है कि पेरेंट्स को मैंने मजाक – मजाक में अभिनय करने की बात कहती थी और उन्होंने भी सीरियस नहीं लिया, कॉलेज के लास्ट इयर में मैंने अपने पिता को कहा था. परिवार में कोई भी इस क्षेत्र से नहीं है, इसलिए मुझे कैसे क्या करना है, इस बारें में भी जानकारी नहीं थी. इतना पता था कि मुंबई जाकर रहना पड़ेगा और काम के लिए संघर्ष करना पड़ेगा. मैंने उनसे 2 साल मांगे ताकि मैं शहर और काम को समझ सकूँ. इससे पहले मैं कभी भी जबलपुर से बाहर नहीं निकली थी.

मेरे पिता ने बहुत ही ख़राब रिएक्शन दिया. उनकी सोच थी कि मैं हायर एजुकेशन के लिए बाहर जाऊं या फिर कैंपस सिलेक्शन में बैठकर जॉब ले लूँ, लेकिन मैंने किसी भी जॉब में नहीं बैठी. इसलिए कोई आप्शन अब नहीं रहा. पिता बहुत अधिक नाखुश हुए. उनके हिसाब से मुझे इंजिनियर बनना था, लेकिन मैंने वह नहीं किया. बहुत मनाया पर उन्होंने नहीं माना काफी ड्रामा वाली स्टोरी रही. इसके बाद मैंने खुद घर छोड़ने का प्लान बनाया क्योंकि माँ भी पिता की बात को सही ठहरा रही थी. मेरी माँ अब मान चुकी है. अगर मैं तब नहीं निकलती तो इंडस्ट्री में नहीं आ सकती थी और मुझे इंजिनियर की पढ़ाई में मन भी नहीं था. घर से निकलने के बाद मुझे आजादी मिल रही थी और मैं हमेशा से थोड़ी टॉमबॉय जैसी ही थी. पिताजी कैसे भी मान ही नहीं रहे थे, फिर मैंने एक झूठा जॉब एप्लीकेशन मंगवाई और मुंबई काम के बहाने आ गई. मुंबई आकर मैंने ईमेल कर दिया कि मैं वापस नहीं आ रही हूँ और मैंने उन्हें  जॉब की बात झूठी कही थी. फिर मैंने पेरेंट्स के साथ कुछ समय तक बात भी नहीं किया, लेकिन अब सब ठीक हो चुका है.

 

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मिला ब्रेक

वह आगे कहती है कि मैं एक ऑडिशन ग्रुप में शामिल थी और जब मुंबई आ रही थी, तो किसी का कॉल मेरे लिए फिल्म अर्जुन रेड्डी के लिए था. निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा मेरे फेसबुक पिक्चर्स को देखकर मुझसे बात करना चाह रहे थे. मुंबई आकर मैं उनसे मिली और उस फिल्म को मैंने किया. मुझे संघर्ष नहीं लगा, क्योंकि मैं एक्टिंग करना चाह रही थी, पहली बार घर से बाहर निकली थी, जो मुझे मिला, सब कुछ मैंने अकेले किया, लाइफ की पूरी डिसिजन मैं खुद ले पा रही थी, ये सब मेरे लिए काफी एन्जॉय करने वाला था. मुंबई आने के 8 महीने बाद फिल्म शुरू हो गई थी. मुझे याद है कि उस समय मेरे पास बहुत कम पैसे थे, साइनिंग अमाउंट जो बहुत थोड़ी सी थी, उसी से मैंने अपना खर्चा चलाया. पिता ने मुझे कुछ भी पैसे नहीं दिए थे, मेरे पास जो पैसे थे उसे लेकर मैं आई थी. यहाँ आकर थिएटर ग्रुप के दोस्तों ने मुझे हेल्प किया, वे आज मेरे परिवार की तरह है. मैं बहुत लकी रही.

मिली सफलता  

शालिनी का कहना है कि फिल्म अर्जुन रेड्डी के बाद मैं साउथ में चली गई कई फिल्में की. हैदराबाद  और चेन्नई गई, लेकिन मुझे मुंबई आकर हिंदी फिल्म करना था, इसलिए यहाँ आ गई और यहाँ काम कर रही हूँ. अर्जुन रेड्डी फिल्म से मुझे सफलता मिली और लोगों ने मेरे काम को पहचाना. मुंबई में भी उसका फल मिला. हिंदी फिल्म जयेशभाई जोरदार भी मेरी अच्छी फिल्म रही. मुझे कैमरे के सामने रहना पसंद है. अलग भूमिका निभाना अच्छा लगता है. मेरी माँ मेरी मेरी कामयाबी से खुश है. पिता भी अब पसंद करने लगे है.

 

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ठगों से पड़ा पाला

कास्टिंग काउच के बारें में पूछने पर वह कहती है कि पहली बार साउथ की अच्छी फिल्म की टीम मिली थी, जो मेरे लिए एक लक की बात रही. इसके अलावा मैं स्पष्टभाषी हूँ, किसी को कुछ कहने से परहेज नहीं करती . अगर कोई चीज मुझे पसंद नहीं तो मैं ‘ना’ कहना जानती हूँ. लोग कहते है कि कास्टिंग काउच है और वह होता होगा, लेकिन मुझे सामना नहीं करना पड़ा. कुछ ऐसे ठगी मिले है, जिन्होंने पैसे ठग लिए है, लेकिन बाक़ी बातों को मैं खुद ही सम्हाल लेती थी. यही वजह थी कि मेरे पेरेंट्स भी मुझे इस इंडस्ट्री में आने नहीं देना चाहते थे. मेरी एजेंसी भी इस बात का ध्यान रखती है और मुझे प्रोटेक्ट करती है.

अन्तरंग दृश्य

शालिनी की ड्रीम बहुत बड़ी है. वह हंसती हुई कहती है कि मैं अधिक से अधिक काम करना चाहती हूँ. सबकुछ करना है. सभी अच्छे डायरेक्टर के साथ काम करना चाहती हूँ. वेब सीरीज में इंटिमेट सीन्स को करने में भी कोई समस्या नहीं. इसमें मैं शूट करने के तरीके, निर्देशक का विजन, मेरी सोच आदि सभी की चर्चा करने के बाद ही मैं करने में सहज हो सकती हूँ. मैं बहुत वोकल हूँ और अगर किसी सीन्स की अल्टरनेटिव नहीं है, तो करने में कोई हर्ज़ नहीं. मैं डायरेक्टर की एक्टर हूँ. कही भी अगर मुझे किसी अभिनय को करने में अगर सहजता नहीं है, तो मैं उसे नहीं करना चाहती और मुझे ना कहने में भी कोई एतराज नहीं. मैं किसी भी बात को कहने में शर्माती नहीं. शाहरुख़ मेरा लव है, उनके साथ काम करने की बहुत इच्छा है. मैं एक बार उनसे मिली हूँ और उनका चार्मिंग फेस मुझे बहुत पसंद है.

खुद करती हूँ समाधान

शालिनी लाइफ में लो फेज आने पर उसका समाधान वह खुद ही खोज लेती है. उनका कहना है कि मेरे पास दो रेस्क्यू किये हुए डॉग्स है, दोनों हमेशा मुझे खुश रखते है. मैं कभी अकेला महसूस नहीं करती. बड़ी डॉग एजे और छोटी का नाम वीजे है. इसके अलावा मुझे दोस्तों के साथ ट्रेवल करना, किताबे पढना आदि पसंद हूँ. मैं मन में किसी के बारें में गुस्सा नहीं पालती, उसे भूल जाना बेहतर समझती हूँ.

 

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फैशन और फ़ूड

फैशन समय के साथ समझ में आया है. असल में फैशन पैसे से ही आती है. जब आप कमाने लगते है तो आप फैशन को समझने लगते है. मैं मूडी हूँ, इसलिए समय के अनुसार ही कपडे पहनना पसंद करती हूँ. मैं वेजिटेरियन हूँ और अलग – अलग डिशेज को ट्राई करना पसंद करती हूँ.

वित्तीय आत्मनिर्भर होना जरुरी

किसी को भी लाइफ में अच्छी जिंदगी बिताने के लिए वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होने की जरुरत है, जिससे आप अपनी आज़ादी को खुद ही ला पाते है. ये आत्मनिर्भरता पिता, पति या किसी के पास रहने पर भी होना जरुरी है. ये हर महिला के पास होना जरुरी है. पैसा हमेशा ही खुशियों को पास ला सकती है. इसमें पैसे के साथ आपका जुड़ाव और उसका प्रयोग आप कैसे करें वह व्यक्ति पर निर्भर करता है.

 

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