महिलाओं को पेड पीरियड लीव यानी मासिक धर्म के दौरान छुट्टी मिलनी चाहिए या नहीं, इस पर संसद में कल सवाल पूछा गया. महिला और बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने इस विचार को.खारिज करते हुए कहा है कि सरकार इस तरह के किसी भी पेड लीव की तरफ नहीं सोच रही है. स्मृति ईरानी के अनुसार यह महिलाओं की जिंदगी का हिस्सा है और इस को हमें दिव्यांगता की तरह नहीं देखना चाहिए. राज्यसभा में सांसद मनोज कुमार झा ने संसद में पेड पिरियड लीव को लेकर सवाल पूछा था.

स्मृति ईरानी ने कहा है कि अगर महिलाओं को पीरियड के दौरान छुट्टी दी गई तो इस से महिलाओं के प्रति भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि मासिक धर्म को लेकर जो हाइजीन की बहस है उस की अहमियत को स्मृति ईरानी ने स्वीकार किया.

स्मृति ईरानी ने कहा कि एक मासिक धर्म वाली महिला के रूप में, मासिक धर्म एक बाधा नहीं है. यह महिलाओं की जीवन यात्रा का एक स्वाभाविक हिस्सा है. हमें उन मुद्दों का प्रस्ताव नहीं करना चाहिए जहां महिलाओं को समान अवसरों से सिर्फ इसलिए वंचित किया जाता है क्योंकि कोई व्यक्ति जो मासिक धर्म के दायरे में नहीं आता है, वह उस के प्रति एक विशेष दृष्टिकोण रखता है.

केंद्रीय मंत्री और एक्ट्रेस स्मृति ईरानी खुद किसी जमाने में एक स्ट्रगलर मोडल थीं. कुछ समय पहले स्मृति ने अपना 25 साल पुराना एक वीडियो शेयर किया था. यह एक ऐड वीडियो था जो फेमस सेनेटरी नैपकिन ब्रांड का था. इस में एक्ट्रेस बड़ी ही बेबाकी से पीरियड्स के बारे बोलती नजर आ रही हैं. वीडियो शेयर करते हुए स्मृति ने बताया था कि यह उनके करियर का पहला बड़ा ऐड वीडियो था. लेकिन इस तरह का प्रोजेक्ट उस वक्त किसी मॉडल के करियर को खत्म कर सकता था. स्मृति ने हिम्मत दिखाई क्योंकि उन की नजर में यह जागरूकता बढ़ाने वाला ऐड था.

पेड पीरियड लीव का कांसेप्ट महिलाओं को कमजोर दिखाएगा

ब्रिटेन, चीन, जापान, ताइवान और जांबिया समेत कुछ ऐसे देश हैं जहाँ पेड पीरियड लीव की सुविधा है. मगर देखा जाए तो सही में इस की आवश्यकता नहीं है. छुटी की मांग का सपोर्ट करने महिलाओं को यह समझना चाहिए कि छुट्टी की मांग करना एक तरह से उन को कमजोर दिखाना है. यह साबित करना है कि वे पुरुषों की तरह रेगुलर ऑफिस जा कर काम नहीं कर सकतीं. घर में रहने और घर के कामों में ही उस की दुनिया सिमट जानी चाहिए क्योंकि वह इसी के लायक हैं.

यही नहीं अगर स्त्रियों को पैड लीव मिलती है तो इसका मतलब है कि नियोक्ता भविष्य में  महिलाओं के देख पुरुषों को प्रेफरेंस देंगे क्योंकि कहीं न कहीं अगर एक महिला यदि तीन दिन पेड लीव ले रही है तो उस की उत्पादकता में कमी आएगी. नियोक्ता अपना लाभ पहले देखेंगे और इसका असर महिलाओं के रोजगार पर पड़ेगा. उनके आगे बढ़ने के अवसरों में अप्रत्यक्ष रूप से कमी आ सकती है.

झिझक क्यों

सेनेटरी नैपकिन खरीदने के मामले में अक्सर देखा जाता है कि स्त्रियां बहुत झिझकती हैं. मेडिकल स्टोर पर जाकर कई बार एक लड़की यह देख कर खड़ी रह जाती है कि वहां काफी भीड़ है. उनके जाने के बाद धीमी सी आवाज में दुकानदार से नैपकिन मांगती है. कई बार लड़कियों के दोस्त या भाई नैपकिन खरीदने से साफ इनकार कर देते हैं क्योंकि इस मामले में उन्हें भी हिचकिचाहट रहती है. दुकानदार भी नैपकिन को जल्दी से काली पॉलिथीन या लिफ़ाफ़े में डाल कर देता है. इन बातों से यही जाहिर होता है कि सेनेटरी नैपकिन खरीदना बहुत ही छिपाने वाली बात समझी जाती है जबकि हमें समझना होगा कि यह हाइजीन की चीज है. साफ सफाई की बात है. जैसे एक बच्चे के लिए हम डायपर खरीदने जाते हैं या जैसे कोई लड़का अपने लिए सर दर्द या पेट दर्द की दवा लेने आता है वैसे ही एक लड़की अगर अपने लिए पैड  खरीद रही है तो इसमें छिपाने की क्या बात है? पीरियड कोई बीमारी या मुसीबत नहीं. यह तो आप को मातृत्व का सुख देने का जरिया है. यह सभी महिलाओं को होता है.

दरअसल धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने लोगों के जेहन में यह बात बिठा रखी है कि पीरियड्स के दौरान स्त्रियां अपवित्र हो जाती हैं. उन्हें पूजा घर या किचन से बेदखल कर दिया जाता है. यही बेतुकी, रूढ़िवादी सोच महिलाओं की परेशानियों का सबब है. इसी सोच की वजह से इस बात को छिपाया जाता है.

महिलाओं को या लड़कियों को सेनेटरी नैपकिन या फिर पीरियड्स के बारे में बात करने से भी हिचकिचाना नहीं चाहिए. अक्सर ऑफिस में देखा जाता है कि अगर किसी लड़की को पीरियड्स आ जाए तो वह जाहिर नहीं करती. सब से छिपाती है. पैड चेंज करने जा रही है तो भी यह बात अपनी सहेलियों को भी नहीं बताती. सब से छिपा कर पैड को जल्दी से जींस के पॉकेट में डाल कर या फिर रुमाल में छिपा कर ले जाती है. अगर उन्हें दर्द हो रहा है तो भी जेनरली वह इस बारे में अपनी कुलीग से बात नहीं करती. ऐसे ही गुमसुम सी बैठी रहती हैं. इससे कई बार उन के परफॉर्मेंस को लेकर कोई सीनियर टोक भी देता है कि तुम्हें आज काम करने में मन नहीं लग रहा है? दोस्त पूछने लगते हैं कि तुम मुझसे नाराज क्यों हो?

ऐसा नजरिया उचित नहीं.  दूसरों से खुल कर अपनी हालत बताएँ. सामने वाला जितना हो सकेगा आप की मदद करने और बातों में मशगूल रखने का प्रयास करेगा ताकि आप को ज्यादा तकलीफ महसूस न हो.

महिलाओं को पैड लीव नहीं चाहिए बस कुछ सुविधाएं चाहिए

जाहिर है महिलाओं को पैड लीव नहीं चाहिए. महिलाओं के लिए अगर सुविधाएं देनी है तो पीरियड्स के समय साफ सफाई और सुरक्षा की सुविधा देनी चाहिए. पैड लीव्स के बजाए यह ज्यादा जरूरी है कि महिलाएं जहां काम करने जा रही है वहां उनके लिए एक अलग पैड चेंजिंग रूम होने चाहिए. सार्वजनिक स्थलों पर भी पैड चेंजिंग रूम होने चाहिए जहां महिला आसानी से पैड चेंज कर सके. क्योंकि अगर वह नैपकिन चेंज कर रही है तो उसे कुछ सुविधाओं की जरूरत होती है, जैसे कपड़े उतार कर रखने के लिए जगह, पेड रखने की जगह, बदलने के बाद उसे फेंकने के लिए अलग डस्टबिन होना चाहिए जिसे सामान्य कूड़े में मिलाने की जरूरत नहीं है.

पैड चेंजिंग रूम के अलावा लड़कियों को कुछ और सुविधाएं जैसे आरामकुर्सी, एक छोटी सी जगह जहाँ वह कुछ देर आराम कर ले आदि मिलें तो ज्यादा फायदेमंद होगा. साथ ही जहाँ वह काम करने या पढ़ने जाती है अगर वहां कंपाउंड के अंदर या आसपास मेडिकल स्टोर की उपलब्धता भी जरुरी है, जहाँ से वह अचानक जरुरत पड़ने पर पैड खरीद सके.

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