आज अर्चना औफिस से घर जल्दी आ गई. फटाफट कपड़े बदले, इंटरनैट औन किया और हैदराबादी बिरयानी की रैसिपी ढूंढ़ निकाली. अनिमेश की फैवरेट डिश जो थी. अर्चना ने चावल भिगोए और मसाले डाल कर चिकन तैयार किया. अब बस कुकर में डाल कर सीटी लगाने की देर थी.

उस ने अनिमेश को फोन लगाया. घंटी बजी पर अनिमेश ने फोन नहीं उठाया. अर्चना ने घड़ी देखी, शाम के 6 बज रहे थे. सोचा, काम में उल  झे होंगे, बिरयानी बन जाए उस के बाद फिर से फोन करूंगी. फिर सब कुछ कुकर में डाल सीटियों का इंतजार करने लगी.

आज से पहले अर्चना ने चाय और मैगी के अलावा कुछ नहीं बनाया था. पढ़ाई और नौकरी के चक्कर में यह सब सीखने का समय नहीं मिल पाया था, न ही खाना बनाने में उस की कोई खास रुचि थी. पर अनिमेश के लिए ये सब करना उसे अच्छा लग रहा था.

अर्चना ने सोचा कि कुछ और रैसिपीस चैक की जाएं. चैक करतेकरते उसने कई स्वीट डिशेज जैसे, गाजर का हलवा, गुलाबजामुन और खीर की रैसिपीस पढ़ डालीं और सेव भी कर लीं. लेकिन इस चक्कर में वह कुकर की सीटियां गिनना ही भूल गई. बिरयानी की तरफ ध्यान तो उस का तब गया, जब कुछ जलने की बू आई. जल्दीजल्दी उस ने गैस बंद की, कुकर का ढक्कन हटाया पर बिरयानी जल गई थी.

सारी मेहनत बेकार. अर्चना रोंआसी हो आई. पर हार मानना उस ने सीखा नहीं था. पूरी प्रक्रिया फिर से दोहराई. इस बार ज्यादा चौकन्नी हो कर किचन से हिली ही नहीं. आखिरकार बिरयानी बन गई. सब करतेकरते साढ़े 7 बज गए.

अर्चना ने अनिमेश को दोबारा फोन लगाया. इस बार भी मोबाइल की घंटी बजती रही पर कोई जवाब नहीं मिला. अर्चना ने औफिस फोन लगाया, तो रिसैप्शनिस्ट ने बताया कि अनिमेश को निकले आधा घंटा हो चुका है.

अर्चना ने अनुमान लगाया कि अनिमेश ड्राइव कर रहे होंगे, इसलिए फोन नहीं उठाया होगा. औफिस से घर आने में 45 मिनट लगते हैं. अनिमेश पहुंचते ही होंगे. अर्चना ने अपनी फैवरेट क्रौकरी निकाली, कैंडल भी और पीछे रोमांटिक गाने चला दिए. रोमांटिक डिनर की पूरी तैयारी हो गई थी. वह अनिमेश का इंतजार करने लगी, लेकिन साढ़े 8 बज गए पर अनिमेश नहीं पहुंचे. अर्चना को अब थोड़ी चिंता हुई.

फिर से अनिमेश को फोन किया तो अनिमेश ने इस बार फोन उठाया और जल्दीजल्दी में बोला, ‘‘यार बिजी हूं अभी…घर लेट आऊंगा…तुम खाना खा लेना, बाय.’’

इतना कह कर उस ने फोन काट दिया तो अर्चना का मूड खराब हो गया. दुख भी हुआ कि अनिमेश ने उसे बोलने का मौका ही नहीं दिया. उस से पूछा तक नहीं कि उस ने फोन क्यों किया था.

उधर अनिमेश को जरा भी अंदाजा नहीं था कि अर्चना इतनी दुखी है. उस का सारा ध्यान तो अपने टैनिस मैच पर था. पहला मैच वह अपने ही औफिस के जूनियर से हार गया था. स्टेट लेवल चैंपियन, एक नौसिखिए से हार गया, यह बात अनिमेश से बरदाश्त नहीं हो रही थी और आज दूसरा मैच था. इस मैच में अनिमेश ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और जीत भी गया था. पर जैसे ही जाने को हुआ, जूनियर ने अपने साथ कौफी पीने के लिए उसे रोक लिया. अनिमेश मना नहीं कर पाया. फिर अपनी जीत अर्चना के साथ सैलिब्रेट करने के इरादे से वह घर चला. इधर घर पर अर्चना ने खाना नहीं खाया था. कुछ करने में मन भी नहीं लग रहा था. गाने बंद कर दिए थे और सोफे पर लेट गई थी.

घर पहुंचते ही अनिमेश ने अर्चना को गेम के बारे में बताना शुरू कर दिया. अपनी जीत की खुशी में उस ने ध्यान ही नहीं दिया कि अर्चना का मूड खराब है. अनिमेश ने उसी ऐक्साइटमैंट में उस से पूछा, ‘‘खाना खा लिया?’’

बिना कोई जवाब दिए अर्चना ने अनिमेश के लिए खाना लगाया और बैडरूम में चली गई. जब अर्चना ने दरवाजा जोर से बंद किया तब अनिमेश का ध्यान डाइनिंग टेबल पर गया. अब उसे सम  झ आया कि अर्चना ने रोमांटिक डिनर का प्लान बनाया था और उस के देर से आने की वजह से उस का मूड खराब था.

अनिमेश ने प्लेट में अर्चना के लिए खाना निकाला और कमरे का दरवाजा खटखटा कर बोला, ‘‘सौरी यार, मु  झे पता होता कि तुम ऐसा कुछ प्लैन कर रही हो तो मैं जल्दी आ जाता.’’

गुस्से में अर्चना अंदर से ही चिल्लाई, ‘‘बताने के लिए ही फोन किया था. पर तुम्हें मेरी बात सुनने की फुरसत कहां है…मु  झ से ज्यादा तो तुम्हारा टैनिस मैच इंपौर्टैंट है.’’

‘‘अरे यार ऐसा नहीं है. तुम क्यों बात का बतंगड़ बना रही हो?’’ कहते हुए अनिमेश ने दरवाजा खोला.

अर्चना बोली, ‘‘शाम से तुम्हारे लिए बिरयानी बनाने में लगी थी, लेकिन तुम्हें क्या? मैं यहां परेशान हो रही थी और तुम मजे से टैनिस खेल रहे थे.’’

अनिमेश ने बात संभालने की कोशिश की, ‘‘अरे तो तुम्हें इतना परेशान होने कि क्या जरूरत थी? हम होटल से मंगा लेते.’’

‘‘और रोज जब तुम्हारी मम्मी फोन कर के पूछती हैं कि बहू आज क्या बनाया खाने में, तब मैं क्या कहा करूं?’’

‘‘यार, अब मम्मी कहां से आ गईं बीच में?’’

‘‘ठीक है, नहीं लाती बीच में. तुम सम  झोगे भी नहीं. तुम लड़कों पर तो शादी के बाद कोई प्रैशर होता नहीं है. उम्मीदें तो हम लड़कियों से ही होती हैं.’’

‘‘तुम से मैं ने कहा था क्या इतनी मेहनत करने को?’’

‘‘सही है, तुम ने नहीं कहा था. मैं ही पागल थी जो तुम्हारे लिए कुछ करना चाह रही थी. उस की तारीफ करना तो दूर…खैर तुम खा लो मु  झे भूख नहीं है,’’ कह कर अर्चना करवट बदल कर सो गई.

अनिमेश की सम  झ में नहीें आ रहा कि वह क्या करे? बिरयानी टेस्टी दिख रही थी, भूख भी लगी थी. सोचा, अगर खा लेता हूं तो अर्चना कल ताना जरूर देगी कि मैं तो भूखी सो गई थी और तुम मजे से बिरयानी खा रहे थे. और अगर नहीं खाता हूं तो कल सुबहसुबह ही सुनना पड़ेगा कि मैं ने इतनी मेहनत से बनाया और तुम ने चखा भी नहीं.

थोड़ी देर उल  झन में पड़े रहने के बाद वह चुपके से बाहर गया और बिरयानी खा ली. बहुत अच्छी बनी थी. अनिमेश को एहसास हुआ कि अर्चना ने वाकई बहुत मेहनत की थी. उस ने फैसला किया कि वह कल से शाम को घर जल्दी आ जाया करेगा.

अगली सुबह उस ने अर्चना की बिरयानी की तारीफ की और अपने घर जल्दी आने के फैसले के बारे में बताया तो अर्चना का गुस्सा कुछ कम हुआ.

अब अनिमेश शाम को औफिस से सीधा घर आता. अर्चना किचन में कुछ नया ट्राई करती और अनिमेश वीडियो गेम खेलता. लेकिन अभी

1 हफ्ता भी नहीं बीता था कि दोनों में फिर लड़ाई हो गई. अनिमेश को वीडियो गेम में तल्लीन देख कर अर्चना उस से बोली, ‘‘जब वीडियो गेम ही खेलना होता है, तो घर आते ही क्यों हो?’’

अनिमेश बोला, ‘‘एक तो तुम्हारे लिए अपना फैवरेट गेम छोड़ दिया, फिर भी तुम नाराज हो रही हो. तुम औरतों का न कुछ भी सम  झ में नहीं आता. अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं? मैं तुम्हारे ही हिसाब से चल रहा हूं फिर भी तुम खुश नहीं हो. खाना नहीं बनाना तो मत बनाओ, इतना चिड़चिड़ाओ मत.’’

अर्चना को अचानक एहसास हुआ कि जिस चिकचिक, खिटपिट से उसे चिढ़ थी वही उस की जिंदगी का हिस्सा बनने लगी थी. उसे चिकचिक करने और एकदूसरे की कमियां गिनाने वाली जिंदगी नहीं चाहिए थी, यही सोच कर उस ने कोई प्रतिवाद नहीं किया. उसे तो बस अनिमेश का समय और साथ चाहिए था. लेकिन इस तरह लड़ कर नहीं. रात भर सोचती रही कि कहां क्या गलत हो गया? ठीक तो करना ही होगा.

अगली शाम को जानबू  झ कर वह अनिमेश के आने के बाद घर आई. अनिमेश रोज की तरह वीडियो गेम खेल रहा था. उस ने गेम से नजरें हटाए बिना पूछा, ‘‘कैसा था आज का दिन?’’

अर्चना को उस का नजरें उठा कर भी न देखना बुरा तो लगा फिर भी उस ने अपने स्वर को सयंत किया और बोली, ‘‘बहुत थक गई हूं,

1 कप चाय मिलेगी?’’

अनिमेश थोड़ा अचकचा गया. अर्चना ने कभी उस से पानी भी नहीं मांगा था. फिर भी ‘‘हांहां बिलकुल,’’ कहते हुए वह एकदम से खड़ा हो गया और किचन की तरफ बढ़ा. फिर थोड़ा सकुचाते हुए बोला, ‘‘लेकिन मु  झे तो चाय बनानी आती ही नहीं.’’

अर्चना मुसकराए बिना नहीं रह सकी, ‘‘कोई बात नहीं मैं बताती हूं, तुम बनाओ,’’ वह बोली.

अनिमेश उस मुसकराहट के लिए कुछ भी कर सकता था. उस ने चाय बनाई. चाय फीकी थी पर जितने प्यार से उस के लिए बनाई थी, उस ने अर्चना की सारी थकान दूर कर दी. फिर अनिमेश ने जैसे ही गेम का रिमोट उठाया, उस ने देखा कि अर्चना ने गेम को 2 प्लेयर्स मोड पर सैट कर दिया था.

अनिमेश चिढ़ाते हुए बोला, ‘‘तुम हार जाओगी. मैं ऐक्सपर्ट हूं इस गेम में.’’

शुरुआत के 2 गेम अर्चना हारी. तीसरे में उस ने अनिमेश को अच्छी टक्कर दे दी. फिर तो एक के बाद एक गेमों का सिलसिला चल निकला. 9 बज गए तो खाने की फिक्र हुई. अर्चना ने ़कुकर में चावलदाल चढ़ाया, तो अनिमेश भी पीछेपीछे आया. ‘‘कुछ मदद कर दूं?’’ वह बोला, तो अर्चना ने सब्जियां काटने के लिए उस की ओर ऐसे बढ़ाईं जैसे कोई चैलेंज दे रही हो.

अर्चना की स्पीड बेहतर थी. अनिमेश नौसिखिया था, लेकिन खेलखेल में खाना कब बन गया दोनों को पता भी नहीं चला.

‘‘आज बहुत दिन बाद एक मजेदार शाम बिताई है,’’ कहते हुए अनिमेश ने अर्चना को अपनी ओर खींच लिया.

अर्चना मुसकराते हुए बोली, ‘‘कल अपने जूनियर और उस की वाइफ को मिक्स्ड डबल्स के लिए बुलाओ.’’

‘‘लेकिन उस की वाइफ तो स्टेट लेवल प्लेयर है. मेरे जूनियर को उसी ने सिखाया है.’’

‘‘तुम बुलाओ तो सही. उस ने स्टेट खेला है तो मैं ने नैशनल.’’

अनिमेश चौंकते हुए बोला, ‘‘तुम ने पहले क्यों नहीं बताया?’’

अर्चना ने छेड़ा, ‘‘डरती थी कि कहीं तुम्हारा मेल ईगो हर्ट न हो जाए.’’

‘‘अरे, नाऊ वी आर ए टीम…ईगो के लिए बीच में जगह कहां है?’’ कहते हुए अनिमेश ने अर्चना को अपनी बांहों में कस लिया.

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