आजकल एक ऐसी माँ बहुत चर्चा में है जिसने अपने 4 साल के बेटे को ही मौत के घाट उतार दिया. सुचना सेठ एक पढ़ी लिखी महिला है जो की एक कम्पनी की सीईओ हैं 2010 में उसकी शादी वेंकट रमन के साथ हुई और 2019 में उन्हें एक बेटा हुआ. उसके बाद से इनके रिश्ते में अनबन रहने लगी और इन दोनों का 2020 में तलाक हो गया।कोर्ट ने रमन को बच्चे  से हफ्ते में एक बार मिलने   की परमिशन भी दी. लेकिन सुचना इस बात से इस  कदर  नाखुश थी कि उसने अपने मासूम  बच्चे को ही अपनी नफरत का शिकार बना लिया और उसको मौत के घाट उतार दिया. सुचना का कहना था की उसके बच्चे की शकल वेंकट से बहुत मिलती थी जिस कारण उसे बहुत गुस्सा आता था.अब  सोचने  वाली बात यह है कि एक माँ अपने मासूम से बच्चे का कत्ल कैसे कर सकती है. साइकोलॉजी के अनुसार अगर हम इस केस पर नजर डालते हैं तो तलाक के बाद रिश्ते में उतार चढ़ाव इसका एक कारण हो सकता है तलाक भावनात्‍मक रूप से तो भयानक होता ही है, समाजिक रूप से भी लोगों को भीतर तक तोड़ कर रख देता  है कभी कभी यह इस कदर  हावी हो जाता है  कि  मेन्टल हेल्थ पर असर पड़ने लगता है सिकोपेथी  के अनुसार किसी अनहोनी से बचने के लिए जरूरी है कि इन बातों का ध्यान रखें जिससे आप सुरक्षित और खुशहाल जीवन जी सकें.

 

तलाक के बाद ना सिर्फ पार्टनर से ही रिश्ता टूटता है बल्कि कभी कभी  परिवार व समाज से भी रिश्ता खराब हो जाता है जिससे तलाक शुदा होने का दंश तो व्यक्ति झेलता ही है साथ में अकेलेपन का शिकार भी होने लगता है लेकिन तलाक का अर्थ सब कुछ खत्म होना नहीं बल्कि  जीवन कि नई शुरुवात भी होता है और वो आप पर निर्भर करता है कि आप खुद को मजबूत बनाना चाहते हैं या कमजोर. अगर आप अपने जीवन को सुखद बनाना चाहते हैं तो यह लेख आपको बहुत कुछ पाने में लाभकारी सिद्ध होगा.

खुद को जाने

तलाक के बाद का आपका व्यवहार या तलाक से पहले का आपका रविया यदि बदल रहा है तो आप खुद  के बारे में अध्ययन करें क्योंकि अपने बदलते व्यवहार को हम अच्छी  तरह से जान सकते हैं वरना अपने किसी दोस्त या नजदीकी रिश्तेदार  से भी पूछ सकते हैं और अपने मन कि बातों को भी किसी ना किसी के साथ शेयर अवश्य करें.

हिम्मत बढ़ाए

यदि आपके बच्चे हैं तो उन्हें अपनी कमजोरी ना बनाए बल्कि अपनी हिम्मत बनाए क्योंकि कई बार लोगो के ताने, बच्चे के सवाल (आपके तलाक के बारे में ), या आपके पार्टनर से मिलती हुई बच्चे कि आदत या शकल आपकी शादी से मिले ज़ख्म को कुरेद सकते हैं तो ऐसी परिस्थिति में आपको सेहजता के साथ खुद को संभालना होगा व अपने बच्चे के दिमाग़ में भी सकरात्मक सोच के साथ अपने लिए स्नेह  बढ़ाना होगा जिससे समय रहते वो आपकी कड़वी यादों को भुलाने में मदद भी करेगा.

सकरात्मकता में बढ़ोतरी करें

किसी भी कठिन समय को सही तरीके से सिर्फ और सिर्फ सकरात्मक सोच से ही जीता जा सकता है। कई बार हालत इस कदर हावी हो जाते हैं कि अकेला व्यक्ति मानसिक तनाव के चलते गलत कदम उठाने कि तरफ बढ़ने लगता है फिर चाहे ख़ुदकुशी हो या जिससे वह नफरत करता है उसको दर्द देने कि फिराक में।ऐसे में हमें सकरात्मकता के साथ हलात पर काबू करना होगा यदि जरूरत पड़े तो समय रहते सायकाट्रिस्ट को दिखाएं या कॉउंसलिंग कराएं जिससे आपको अपनी सोच बदलने में सहायता मिलेगी. क्योंकि आपका एक गलत कदम ना जाने कितनी जिंदगी खराब कर सकता है.

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