खूबसूरत और हंसमुख महिमा मकवाना टीवी और फिल्म अभिनेत्री है, उन्होंने मुख्य रूप से हिंदी टीवी सीरियल में काम कर अपनी पहचान बनाई है.  महिमा का टीवी इंडस्ट्री में डेब्यू, शो ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ साथ हुआ है, जिसके बाद महिमा कई टीवी सीरियल्स रिश्तों का चक्रवयूह, मरियम खान और शुभारम्भ जैसे टीवी धारावाहिक में काम कर चुकी हैं.

साल 2017 में महिमा ने सबसे पहले तेलुगु फिल्म ‘वेंकटपुरम’ से अपना डेब्यू किया था. महिमा का बचपन मुंबई में ही गुजरा और उनकी पढ़ाई भी मुंबई में  हुई. महिमा जब 5 महीने की थी, तब उनके पिता का निधन हो गया था. उन्होंने बाल कलाकार के रूप में अभिनय शुरू किया है. महिमा और उनके बड़े भाई को उनकी मां ने परवरिश की, जो एक सोशल वर्कर रही.

करियर की शुरुआत

महिमा ने बचपन में ही टीवी की दुनिया में काम करना शुरू कर दिया था. दरअसल, सबसे पहले वह मिले जब हम तुम और बालिका वधू में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आई थीं. हालांकि, महिमा ने बतौर एक्ट्रेस सीरियल मोहे रंग दे से टीवी की दुनिया में डेब्यू किया था. महिमा को सफलता सीरियल ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ से मिली, जिसके बाद वह घर-घर में पहचानी जाने लगीं. इसके अलावा वह सीआईडी, आहट, मिले जब हम तुम और झांसी की रानी में नजर आ चुकी हैं.

बड़े पर्दे पर महिमा ने तेलुगू फिल्म वेंकटपुरम से फिल्म डेब्यू किया था. इसके बाद वह शॉर्ट फिल्म टेक 2 में नजर आईं. वेब सीरीज की दुनिया में भी महिमा अपना नाम रोशन कर चुकी हैं. सबसे पहले वह रंगबाज सीजन 2 में नजर आई थीं. इसके बाद उन्होंने फ्लैश में भी काम किया. इसके अलावा उन्होंने सलमान खान की फिल्म अंतिम: द फाइनल ट्रुथ से बॉलीवुड डेब्यू किया था, जो कमोवेश सफल रही. उनकी वेब सीरीज शोटाइम को लोगों ने काफी पसंद किया. उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी जर्नी के बारें में बात की, आइए जानें.

राह नहीं थी आसान

टीवी से फिल्मों में आना महिमा के लिए आसान नहीं था. वह कहती है कि जब आपका चेहरा बार-बार टीवी पर दिखने लगता है तो टाइपकास्ट होना स्वाभाविक होता है, लेकिन कठिन परिश्रम करने से उसमें सफलता मिलती है. इसमें जरूरी होता है, छोटा या बड़ा मौका मिलना, क्योंकि बिना मौके के आप कुछ भी प्रूव नहीं कर सकते. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है. फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ में सिर्फ 15 मिनट का चरित्र था, लेकिन मैंने उसे अच्छा कर दिखाया और दर्शकों ने पसंद किया.

मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ और इंडस्ट्री से न जुड़े होने की वजह से थोड़ी मुश्किलें आती है, लेकिन धीरज रखकर और शांत रहकर आपको मौके की तलाश करते रहना पड़ता है, हालांकि ये बहुत कठिन होता है, पर नामुमकिन भी नहीं होता. धर्मा प्रोडक्शन के साथ इस सीरीज में काम करना मेरे लिए अच्छी बात रही है. जब काम नहीं था तो मेरे मन में भी कई बार नकारात्मक विचार आते थे, कि मेरा फिल्मी करियर सफल होगा या नहीं, लेकिन मैंने निगेटिव बातों से निकलकर सकारात्मक सोच बनाए रखी.

रखना पड़ता है विश्वास

महिमा आगे कहती है कि खुद पर हमेशा विश्वास रखना पड़ता है और ये कठिन होता है. फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ, साल 2021 में रिलीज हुई थी, उसके बाद अब मुझे इस अच्छी सीरीज का काम मिला. मेरी जर्नी को अगर मैं देखती हूं, तो मैंने वर्ष 2011 से टीवी पर अच्छी शुरुआत की थी, तब से लेकर आज तक बहुत समय बीत गया है, जब मैँ खुद को कुछ सफल मान रही हूं, लेकिन इन 3 सालों में खुद को व्यस्त रखना काफी मुश्किल था.

जब मैँ टीवी पर काम कर रही थी, तो लगातार व्यस्त रहती थी. पहली फिल्म के बाद मैंने कई फिल्मों के लिए शूट किया भी था, लेकिन रिलीज नहीं हुई, ऐसा कई बार हुआ भी कि ऑडिशन दिया, सब कुछ सही था, लेकिन अंत में भूमिका किसी दूसरे को मिल गई, मैं कुछ कर नहीं सकती थी. तभी शोटाइम सीरीज आ गई, फिर मैंने खुद पर काम किया. असल में टीवी पर काम करने पर पूरी लाइफ प्रोफेशन बन जाती है, निजी जिंदगी खत्म हो जाती है. फिल्म में काम करते वक्त समय काफी होता है और उसे सही तरह से बिताने के लिए सोचना पड़ता है.

काम पर अधिक ध्यान

आलोचकों का महिमा के जीवन में अधिक प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि वे उनके हिसाब से फिल्म की कहानी को जज करते है. महिमा का कहना है कि एक फिल्म को बनाने मे सालों का समय लगता है, ऐसे में आलोचक उसे बिना ध्यान रखे, अपनी राय रख देते है. मैँ उस बारें में अधिक नहीं सोचती और उस फिल्म को अपनी नजरिए से देखना पसंद करती हूं. रिव्यू हमेशा पर्सनल होते है और किसी को टारगेट करना ही उनका काम होता है. मेरी फिल्म अंतिम: द फाइनल ट्रुथके बारें में काफी लोगों ने मेरे काम की तारीफ की मुझे अच्छा लगा, क्योंकि इससे मैं अपने काम को लेकर सबके बीच जांची गई. इसका फायदा मैँ तब मानती हूं, जब मेरे काम से दूसरे अधिक प्रोजेक्ट मुझे करने को मिले.

बदली है जिंदगी

पहले और आज की महिमा में काफी बदलाव आया है, वह कहती है कि आज की महिमा धैर्यवान हो चुकी है.पहले अगर कुछ नहीं होता था तो बहुत गुस्से में आ जाती थी. 24 साल की उम्र में मैँ अभी भी बहुत कुछ सीख रही हूं. मैं अभी हर चीज को स्वीकार करना सीख रही हूं, जो मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. इसके अलावा मैं अभी भी वही मिडल क्लास लड़की हूं, जो मां से हमेशा डांट खाती है, क्योंकि वह बहुत स्ट्रिक्ट है.

वित्तीय रूप से मैं थोड़ी सफल हूं, मैं अभी भी परिवार की अकेली कमाने वाली हूं. मैंने अपनी पिता को 9 साल की उम्र में खोया है. मेरी जिम्मेदारी है, वित्तीय रूप से इंडस्ट्री में कभी भी कोई सुरक्षित नहीं होता, आज काम है, तो कल का पता नहीं होता. ये सही है कि कई बार पैसे के लिए भी सही काम न होने पर भी कर लेना पड़ता है और मुझे इसे स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं. इंडस्ट्री आसान नहीं है, यहां सही काम मिलना बहुत कठिन होता है.

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