Hill Station Trip : औली हो या मनाली, लेह हो या दार्जिलिंग, मसूरी हो या कश्मीर पहाड़ों में जाने की बात ही दिल में नई उमंगें भर देती है. जब आप बर्फीले इलाकों में जा रहे होते हैं तो जोश कुछ अलग ही होता है. आप सोचते हैं कि कैसे पहाड़ों पर जा कर वहां बर्फ के गोले बना कर एकदूसरे पर फेंक कर खेलेंगे, खूबसूरत फोटो लेंगे, टैंट लगा कर रात को आसमान निहारेंगे, ऐडवैंचर स्पोर्ट्स का आनंद लेंगे, कैंपफायर के साथसाथ गानाबजाना आदि करेंगे.
मगर सच तो यह है कि जब आप इन जगहों पर कुछ तैयारी के बिना जाते हैं तो ट्रिप तकलीफदायक भी हो सकता है. पहाड़ों पर किसी भी तरह का कोई प्रैडिक्शन नहीं चलता. चाहे वह मौसम से जुड़ा हो, स्नो फाल से जुड़ा हो या भूस्खलन संबंधित हो. यानी पहाड़ों पर जाने का मतलब कही न कहीं अपनेआप में ही बड़ा रिस्क है. कभी मौसम बदलने से आप बीमार हो जाते हैं तो कभी पहाड़ पर चढ़ते समय सांस फूल जाती है या पैर दर्द करने लग जाते हैं. फिर अगर बारिश और आ जाए तो आप की यात्रा ऐसी बिगड़ जाती है कि आप को वापस उस जगह जाने के नाम से ही चिढ़ हो सकती है.
सही तैयारी न हो तो कई दफा ट्रैकिंग या ऐडवैंचर करते वक्त आप के साथ कुछ गलत भी हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि आप पहाड़ों पर घूमने और ऐडवैंचर करने जाते समय कुछ बातों का खयाल रखें और कुछ तैयारी कर लें.
तो चलिए जर्नी से पहले और इस के दौरान याद रखने की इन बातों पर ध्यान देते हैं:
पहाड़ी इलाकों में आप कहीं भी जा रहे हों यह तो सम झ ही लें कि कही न कहीं थोड़ाबहुत पैदल तो चढ़ना ही होगा. ऐडवैंचर का मजा लेना है तो और भी ज्यादा फिटनैस की जरूरत होगी. इसलिए इस बात के लिए मानसिक एवं शारीरिक रूप से तैयार रहें.
पैदल ट्रैक के दौरान आप के पैरों मे दर्द न हो और आसानी से ट्रैक कर लें इस के लिए यात्रा से कम से कम 20 दिन पहले से आप को 5-7 किलोमीटर चलने की आदत डालनी होगी ताकि शरीर पहाड़ों पर पैदल चलने के लिए आसानी से तैयार हो सके.
आप को एक ऐक्स्ट्रा छोटा खाली बैग हमेशा साथ में पैक कर के ले जाना चाहिए क्योंकि जब आप किसी स्थान पर घूमोगे तो बड़े बैग को तो आप होटल में रखोगे. पहाड़ों पर कभी भी बारिश शुरू हो सकती है इसलिए छोटे बैग (बैगपैक) में एक जोड़ी ऐक्स्ट्रा कपड़े, मैडिसिन, रेनकोट या छतरी आदि डाल कर बैग को अपने साथ दिनभर रखें ताकि बारिश में भीगने या बीमार होने की स्थिति में यह सामान काम आ जाए.
पहाड़ी यात्रा पर हमेशा अपने साथ ऐक्स्ट्रा मौजे, गरम कपड़े, मफलर, फर्स्ट एड किट, टौर्च, ऐक्स्ट्रा शू लेस, डायरीपेन, कैश कुछ पासपोर्ट साइज फोटो, आईडी कार्ड की कुछ फोटोकौपी, छाता, ग्लूकोस पाउडर, मार्कर, छोटी कैंची, बिस्कुट, नमकीन, चौकलेट्स, रेनकोट, सनग्लास, कैमरे की ऐक्स्ट्रा बैटरी, ऐक्स्ट्रा मैमोरी कार्ड, हैंड ग्लव्स, गरम पानी की बोतल, रस्सी, सूईधागा, सिक्के, प्रिंटेड टिकट्स आदि चीजें जरूर अपने साथ रखें.
अगर आप फ्लाइट से सीधा अधिक ऊंचाई पर जा रहे हैं (दिल्ली से लेह) तो अपने साथ डायमौक्स टैबलेट जरूर रखें पर इन का उपयोग डाक्टर के बताए अनुसार ही करें.
नए जूते पहन कर यात्रा पर न चले जाएं. उन्हें थोड़े दिन पहन कर फिर यात्रा पर ले जाएं. जूते भी बढि़या कंपनी के खरीदें ताकि वे कहीं फटें न या कहीं ठोकर लगने से पैर की उंगलियां चोटित न हों और बिना फिसले पहाड़ी इलाकों पर अच्छे से चल सकें.
अपने साथ उलटी की गोलियां एवं कपूर की डिब्बी जरूर रखें. औक्सीजन की कमी महसूस होने पर कपूर सूंघते रहना चाहिए.
ध्यान रहे बैकपैक एक अच्छी कंपनी का ट्रैक बैग हो नहीं तो ट्रैक के समय आप इसे ज्यादा समय तक उठा नहीं पाएंगे और आप को बैक पेन शुरू हो जाएगा.
यात्रा प्लानिंग में हमेशा एक दिन ऐक्स्ट्रा बचा कर रखें ताकि कोई चीज किसी कारण देखने से छूट जाए तो बचे हुए एक दिन में उसे कवर कर सकें.
सफर में सनग्लास का साथ होना जरूरी है. एक तो आप के फोटो काफी आकर्षक आएंगे दूसरा आप की आंखे स्नो ब्लाइंडनैस जैसी समस्या से बच जाएंगी. अगर आप दिनभर बर्फ में बिना सनग्लास के घूमेंगे तो निश्चित ही आप की आंखों को नुकसान पहुंचेगा.
गरम कपड़े रखना न भूलें. इन की बड़ी लिस्ट है. सब से पहले आप को जरूरत रहेगी थर्मल कपड़ों की. इन से काफी हद तक आप सर्दी से लड़ पाओगे. इस के साथ ही आप को अच्छी क्वालिटी के आकर्षक जैकेट की की जरूरत रहेगी. दस्ताने और सौक्स के कई सारे पेयर आप को चाहिए होंगे. सिर को ढकने के लिए मंकी कैप, स्कार्फ, मफलर ये चीजें आप के सिर को ठंडी बर्फीली हवाओं से बचाएंगी. कपड़े 1 या 2 दिन के ज्यादा ही रखें क्योंकि पहाड़ों में कपड़े गीले हो गए तो आसानी से सूखेंगे नहीं.
कभी पहाड़ों पर घूमने जाएं तो आप के पास सनस्क्रीन होना चाहिए. इस का एसपीएफ 30 या उस से ऊपर होना चाहिए. कमरे से बाहर निकलते ही रोज सुबह इसे चेहरे पर अच्छी तरह लगा लेना चाहिए. इस से आप के चेहरे की रक्षा होगी, चेहरा फटेगा नहीं और कालापन नहीं आएगा.
जब करना हो ऐडवैंचर
ऐडवैंचर स्पोर्ट्स बहुत रोमांचकारी होते हैं. उस रोमांच के बारे में सोचें जब आप पैराग्लाइडिंग करते हुए चट्टान से ऊपर उठ कर हवा में तैरते हैं, राफ्टिंग करते समय पानी में उतरते हैं या ऊंचे पहाड़ों पर ट्रैक करते हैं. इन सभी रोमांच का अनुभव खूबसूरत हो इस के लिए पहले से सावधानीपूर्वक योजना और तैयारी की आवश्यकता होती है. इन में सब से जरूरी है अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देना.
ड्रैस का चुनाव
प्रत्येक खेल के लिए कपड़ों की अपनी अलगअलग जरूरतें होती हैं. ज्यादा ऊंचाई वाली ट्रैकिंग के लिए तापमान में उतारचढ़ाव को संभालने के लिए लेयर्ड ड्रैस का होना जरूरी है जबकि स्कूबा डाइविंग और सर्फिंग के लिए वेटसूट से कोई सम झौता नहीं किया जा सकता.
सेफ्टी गियर्स
सुरक्षा गियर का उपयोग करें. मसलन, हैलमेट, हार्नेस, लाइफ जैकेट और घुटने या कुहनी के गार्ड सुरक्षित ऐडवैंचर तय करते हैं. सुरक्षा गियर पहनने से कभी सम झौता न करें, भले ही यह असुविधाजनक लगे.
स्टैमिना बढ़ाएं
रौक क्लाइंबिंग, राफ्टिंग और स्कीइंग जैसे ऐडवैंचर स्पोर्ट्स में कोर और ऊपरी शरीर की ताकत की जरूरत होती है. वेट ट्रेनिंग, बौडी वेट ऐक्सरसाइज और कोर वर्कआउट को शामिल करने से मदद मिल सकती है.
ब्रीदिंग ऐक्सरसाइज करें
ऊंचाई पर या पानी के नीचे की गतिविधियों जैसे स्कूबा डाइविंग में सांस पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है. गहरी सांस लेने की तकनीक सीखना या नियंत्रित सांस लेने का अभ्यास करना बहुत फायदेमंद हो सकता है. शारीरिक तैयारी से आप चोटों से बच पाते हैं और कठिन परिस्थितियों में सहज बने रहते हैं.
वैदर पर रहे नजर
मौसम की स्थिति किसी ऐडवैंचर स्पोर्ट्स को सफल या असफल बना सकती है. उदाहरण के लिए तेज हवाओं में पैराग्लाइडिंग खतरनाक है और बारिश में चट्टानों पर चढ़ना लगभग असंभव है.
ट्रैकिंग के लिए एरिया समझें
अगर आप ट्रैकिंग या कैंपिंग कर रहे हैं तो जान लें कि आप को किन जानवरों का सामना करना पड़ सकता है. कुछ क्षेत्रों में भालू या सांप जैसे वन्यजीव होते हैं. ऐसे में यह जानना महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि कैसे प्रतिक्रिया करनी है.
जब ज्यादा हाइट पर जाएं
यदि आप अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जा रहे हैं जैसेकि किसी पर्वतीय ट्रैक पर तो ऊंचाई से होने वाली बीमारी और औक्सीजन के स्तर में कमी के लिए तैयार रहें. बहुत जल्दी चढ़ाई करने से दिक्कतें आ सकती हैं. यहां तक कि फिट लोगों को भी. धीरेधीरे चढ़ना, हाइड्रेटेड रहना और अपने शरीर को एडजस्ट होने का समय देना बहुत बड़ा अंतर ला सकता है.
ऊंचाई पर होने वाली बीमारी के लक्षणों में सिरदर्द, मतली और सांस लेने में तकलीफ शामिल है. यदि आप इन में से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं तो रुकना और अपने शरीर को एडजस्ट होने का समय देना आवश्यक है.
हाइड्रेटेड रहें
ऊंचाई पर ट्रैकिंग करने से आप जितनी जल्दी सोचते हैं उस से कहीं ज्यादा तेजी से डिहाइड्रेट हो जाते हैं. भरपूर पानी पीने से सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्या से बचा जा सकता है.
जानें कि कब लौटना है
खतरनाक परिस्थितियों में खुद को बहुत ज्यादा पुश करना उचित नहीं है. ऐडवैंचर स्पोर्ट्स का मतलब है मौजमस्ती करना और अपनी सीमाओं का सम्मान करना. ऐडवैंचर स्पोर्ट्स शारीरिक चुनौतियों के साथसाथ मानसिक चुनौतियों से भी जू झते हैं. ऊंचाइयों, गहरे पानी या तेज बहाव का सामना करना डरावना हो सकता है लेकिन मानसिक मजबूती आप को इन डरों से निबटने में मदद करेगी.
जब करनी हो ट्रैकिंग
पहाड़ों पर ट्रैक करते वक्त हमेशा ट्रैकिंग स्टिक या छड़ को साथ रखें. छड़ी के सपोर्ट से ट्रैक करने में कई जगह आसानी हो जाएगी.
हमेशा अपने हर बैग में अपना विजिटिंग कार्ड रखें या मार्कर से अपने बैग पर अपना कौंटैक्ट नंबर लिख दें. बैग कही भूल जाने के केस में शायद कोई आप के छोड़े हुए नंबर पर कौल कर आप को वापस पहुंचा दे.
अपने साथ हमेशा कोई भी मौस्किटो रेपेलैंट क्रीम जैसेकि ओडोमास रखें. सपोज करो आप कही जंगल में कैंप में रहे और रातभर मच्छर आसपास घूमते रहे तो आप की नींद भी खराब होगी और अगला दिन भी. आप इसे अपने हर सफर पर साथ रखें. कभीकभी होटल के किसी कमरे में आप ने कुछ देर रात को खिड़की खोली और फिर कुछ मच्छर कमरे में आ गए तो भी आप की नींद खराब होनी है. ऐसे केस में ओडोमौस काम आएगी.
अगर आप किसी खतरनाक ट्रैक के लिए निकल रहे हैं और वह भी सर्दियों या मौनसून में तो याद रखें सर्दियों में स्नोफाल और मौनसून में भूस्खलन के कारण आप को कहीं पर भी 1 या 2 दिन फंसे रहना पड़ सकता है. ऐसे मौसम में अगर आप स्ट्रिक्ट शैड्यूल बना कर रिटर्न की फ्लाइट या ट्रेन बुक कराते हैं तो हो सकता है आप पहाड़ों में फंस जाने के कारण उस दिन ट्रेन या फ्लाइट का सफर मिस कर दें. सर्दियों और मौनसून में अपने तय किए कार्यक्रम में 1 या 2 दिन हमेशा ऐक्स्ट्रा रखें या रिटर्न जाने के लिए बुकिंग सेफ जोन में पहुंच कर ही करें.
रात को अपने मोबाइल की बैटरी, पावर बैंक, कैमरे की बैटरी को हमेशा गरम कपड़े की कुछ मोटी लेयर में लपेट कर बैग के अंदर बीच में दबा कर रखें क्योंकि रात को ज्यादा ठंड के
कारण बिना इस्तेमाल किए ही आप के हर डिवाइस की बैटरी तेजी से कम होती रहेगी. अगर आप इन्हें खुला रख देंगे तो रातभर में आप के हर डिवाइस की बैटरी पूरी डिस्चार्ज हो जाएगी.
लोअर ऐप्टिट्यूड से हायर ऐप्टिट्यूड पर आने का सफर अगर फ्लाइट से हो रहा है तो फ्लाइट से उतरने से पहले ही अपने शरीर को पूरा ढक लें. काफी लोग दिल्ली से लेह तक 1 घंटे में ही फ्लाइट से आ जाते हैं और ऐप्टिट्यूड में 1 घंटे में ही इतने बड़े चेंज को उन का शरीर झेल नहीं पाता और वे लेह में ही बीमार पड़ जाते हैं और तत्काल वापस दिल्ली की फ्लाइट से लेह छोड़ देते हैं.
दवाइयां/मैडिकल किट साथ ले कर चलें. अगर आप किसी रैग्युलर दवा को रोज ले रहे हैं तो कोशिश करें यात्रा के दिन के हिसाब से सारी दवा अपने साथ ले कर चलें. कम से कम 5 दिन की दवा आप ऐक्स्ट्रा अपने साथ रखें. यह मान कर चलें कि आप की दवा पहाड़ों पर भी केवल बड़े शहरों में मिल सकती है पर ट्रैक या छोटे औफ बीट गांवों में नहीं. इसलिए एक छोटी मैडिकल किट हमेशा साथ रखें जिस में सर्दी, बुखार, दस्त, अपच, गैस, दर्द, उलटी आदि की दवा साथ रखें. चोट लगने की स्थिति में कोई क्रीम, पैरासिटामोल, गरम पट्टी, रुई, छोटी कैंची तो साथ होनी ही चाहिए. इलैक्ट्रौल, ओआरएस, ईनो के कुछ पैकेट भी मैडिकल किट में होने चाहिए.
ट्रैकिंग या बर्फ वाले रास्ते काफी फिसलन भरे होते हैं. अगर आप सामान्य जूते पहन कर चलोगे तो फिसल कर हड्डियां तुड़वा बैठोगे. इसलिए आप को अपने साथ मजबूत और बढि़या क्वालिटी के ट्रैकिंग शूज रख लेने चाहिए. अगर आप लंबे विंटर ट्रैक पर जा रहे हैं तो एक जोड़ी जूते ऐक्स्ट्रा आप के पास होने चाहिए. जूते वाटरप्रूफ हों तो सब से बढि़या बात है.
हमेशा अपने साथ एक ऐक्स्ट्रा मोबाइल रखें. ट्रैक के दौरान आप का मोबाइल अगर कहीं खो गया तो कम से कम ऐक्स्ट्रा मोबाइल से फोटोग्राफी कर पाओगे. आप का फोन अगर गिर गया और स्क्रीन पूरी टूट गई तो इस ऐक्स्ट्रा फोन में सिम डाल कर काम चला सकते हैं. इस में आप औफलाइन मैप और गाने डाल कर भी रख सकते हैं ताकि मुख्य फोन की बैटरी बिना कम किए इस फोन से गाने वगैरह सुन सकते हैं. मुख्य फोन की स्टोरेज फुल होने पर डाटा इस में ट्रांसफर कर सकते हैं.
एक सीटी हमेशा साथ रखें. अगर कभी अनजान पहाड़ों पर अकेले फंस जाएं और हैल्प के लिए चीखते हुए गला खराब हो जाए तो सीटी बजाएं. पहाड़ों पर वैसे भी सीटी की आवाज आते ही लोकल लोग अलर्ट हो जाते हैं.
ट्रैक के दौरान पानी ज्यादा पीएं. कोई पेयपदार्थ रास्ते में मिले तो पहले उसे प्राथमिकता दें. ट्रैक से पहले पूरा पेट भर कर खाना न खाएं.
सही औप्शन चुनें
जब ऐडवैंचर स्पोर्ट्स की बात आती है तो हरेक ऐडवैंचर में शारीरिक मजबूती, जोखिम सहने का हौसला और आवश्यक कौशल की जरूरत होती है.
अपनी रुचियों और सहजता के स्तर के अनुसार स्पोर्ट्स डिसाइड करें. अगर आप ऊंचाई पर सहज हैं तो राक क्लाइंबिंग या पैराग्लाइडिंग आप के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है. अगर आप को पानी पसंद है तो राफ्टिंग या सर्फिंग पर विचार करें.
यह भी देखें कि आप की फिटनैस का स्तर क्या है. कुछ ऐडवैंचर स्पोर्ट्स शारीरिक रूप से कठिन होते हैं जिन में सहनशक्ति और ज्यादा ताकत की आवश्यकता होती है, जबकि कुछ जैसे हौट एअर बैलूनिंग शारीरिक रूप से कम कठिन होते हैं. फिर भी रोमांचकारी होते हैं. स्कूबा डाइविंग जैसी कुछ गतिविधियों के लिए खास स्थानों की यात्रा की आवश्यकता हो सकती है.
याद रखें सही खेल का चयन आप की सुरक्षा के साथसाथ आप की व्यक्तिगत सुविधा और रुचि से भी संबंधित होता है. जोखिमों के बारे में भी जानें. भले ही रोमांच से आकर्षित हो रहे हों लेकिन संभावित जोखिमों और खतरों के बारे में जागरूक होना भी उतना ही आवश्यक है. उदाहरण के लिए रौक क्लाइंबिंग के लिए आप को लीड फाल और रोप बर्न के बारे में सम झना होगा जबकि सर्फिंग के लिए धाराओं और ज्वार के बारे में जानकारी की आवश्यकता होती है.