Breastfeeding : स्तनों का संबंध केवल स्त्री से ही क्यों जोड़ा गया है? वह इसलिए कि बिना स्तन के स्त्री संपूर्ण नहीं. स्तनों के बिना स्त्री का व्यक्तित्व अधूरा है. बेशक महिला स्तन पुरुषों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं अर्थात यौन आकर्षण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हैं लेकिन जब कोई स्त्री मां बनती है तो उस की सारी ऊर्जा स्तनों तक जाती है. जब तक उस के स्तनों तक उस की उर्जा नहीं पहुंचती तब तक वह मां नहीं बनती. महिला के स्तन स्त्रीत्व और मातृत्व का प्रतीक होने के साथसाथ महिला के समग्र स्वास्थ्य का महत्त्वपूर्ण अंग भी होते हैं.

स्त्री के स्तन धनात्मक ध्रुव एवं पुरुष के स्तन ऋणात्मक ध्रुव हैं. एक पुरुष स्त्री से विवाह करता है ताकि उसे पत्नी मिले लेकिन एक स्त्री पुरुष से विवाह करती है ताकि वह मां बन सके. उस का मौलिक रुझान बच्चा प्राप्त करना ही होता है. बिन मां बने उस का पूरा अस्तित्व ही खो जाता है.

प्रजनन प्रणाली का महत्त्वपूर्ण अंग

पुरुष और महिला दोनों में ही स्तन होते हुए भी महिला स्तनों में उभार होता है. ये प्रजनन प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं जो शिशु के स्तनपान के लिए दूध का उत्पादन करते हैं. इन में दूध उत्पादन के लिए दूधग्रंथियां होती हैं. महिला स्तन प्रजनन तंत्र से जटिल रूप से जुड़े होते हैं.

मगर पश्चिमी देशों की देखादेखी हमारे देश में भी बच्चों को सीधे स्तनों से दूध न पिलाने का फैशन हो गया है जोकि बहुत खतरनाक है. इस का अर्थ मानें तो स्त्री कभी अपनी सृजनात्मकता के केंद्र पर नहीं पहुंच सकेगी. जब एक पुरुष किसी स्त्री से प्रेम करता है तो वह उस के स्तनों को प्रेम कर सकता है. लेकिन उन्हें मां नहीं कह सकता. मां तो केवल स्त्री का बच्चा ही कहेगा न.

प्रकृति ने स्त्री को स्तन दिए हैं मां बन कर बच्चे का भरणपोषण करने के लिए लेकिन आज की स्त्री किराए की कोख की सुविधा के चलते प्रथम तो स्वयं मां ही नहीं बनना चाहती और अगर मां बनती भी है तो बच्चे को स्तनपान कराने की इच्छा नहीं रखती क्योंकि अधिकतर स्त्रियां सोचती हैं कि स्तनपान कराने से उन की फिगर खराब हो जाएगी. ऐसी सोच रखने वाली मांएं न तो अपनी फिगर मैंनटेन कर पाती हैं और न ही बच्चे के साथ पूरी तरह भावनात्मक रूप से जुड़ पाती हैं. उस पर मां और बच्चे को बीमारियां होने की भी संभावना अधिक रहती है.

क्या आप जानते हैं कि स्तनपान बच्चे के लिए कितना आवश्यक है?

स्तनपान पहले 6 महीने तक बच्चे को आवश्यक भरपूर पोषक तत्त्व प्रदान करता है एवं उस के बाद जब बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करते हैं तब भी स्तनपान से बच्चे को पूर्ण पोषण मिलता है.

स्तन के दूध में ऐंटीबौडी होते हैं जो रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और संक्रमण से बचाते हैं.

स्तन का दूध पचाने में आसान विकल्प है जिस से बच्चे को उलटी या दस्त नहीं लगते.

स्तनपान शिशु के दिमाग का विकास बहुत अच्छे से करता है.

स्तन का दूध अस्थमा, ऐलर्जी, मधुमेह तथा मोटापा जैसी अनेक बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है. बीमारियों के कम होने के कारण शिशुओं के अस्पताल में भरती दर में कमी तथा शिशु मृत्यु दर में कमी.

मां का दूध विटामिन, खनिज और ऐंटीऔक्सिडैंट का अनूठा स्त्रोत है.

इस से कार्बोहाइड्रेट, लैक्टोज, प्रोटीन और विटामिन की सही मात्रा प्राप्त होती है

गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों का वजन बढ़ जाता है. ऐसे में स्तनपान स्त्री को फिर से गर्भावस्था के पहले के शारीरिक वजन पर लाने में मददगार साबित होता है.

स्तनपान से स्तन कैंसर दर कम होती है.

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