Body Shaming : असल में खूबसूरती 2 प्रकार की होती है. एक वह जो कुदरती होती है, जो हमें अपने मांबाप के अच्छे दिखने की वजह से उन के जीन्स के जरीए हम प्राकृतिक रूप से ही खूबसूरत हो जाते हैं. मगर यह खूबसूरती कुछ समय की होती है क्योंकि अगर हम उम्र के साथसाथ मोटे होते जाते हैं और जवानी में मुंहासों की वजह से अगर चेहरे पर दागधब्बे पड़ जाएं तो यह प्राकृतिक खूबसूरती को भी नष्ट कर देते हैं.
जैसे कि लड़कियां कम उम्र में कितनी खूबसूरत और कोमल होती हैं. लेकिन वही लड़कियां कुछ सालों बाद शादी, बच्चा होते ही बेडौल सी हो जाती हैं, शादी के बाद यही लड़कियां अपने ऊपर पूरा ध्यान देना बंद कर देती हैं और जो प्राकृतिक खूबसूरती होती है वह जाती रहती है. इस के अलावा अक्ल और मेहनत कर के जो लड़कियां अपनेआप को खूबसूरत बनाती हैं वे आत्मविश्वास से भरी होती हैं.
अपनेआप को खूबसूरत बनाना भी एक कला है, जिस में आत्मविश्वास, अपने लुक्स और शारीरिक रखरखाव पर कड़ी मेहनत कर के साधारण सी दिखने वाली लड़कियां भी बेहद खूबसूरत नजर आने लगती हैं. उसे अक्ल से पैदा की गई खूबसूरती कहते हैं. इस में हम अपने शरीर को अच्छा बनाने के लिए तनमनधन से जुट जाते हैं. ऐसी खूबसूरती हमेशा टिकी रहती है. मेहनतमशक्कत से संवारी गई खूबसूरती हमें समाज में एक मुकाम भी दिलाती है.
मेहनत और आत्मविश्वास जरूरी
यह खूबसूरती साबित करती है कि अगर एक आम लड़की भी चाहे तो वह अपनेआप को खूबसूरत बना कर मिस वर्ल्ड, मिस यूनिवर्स का खिताब तक जीत सकती है. सुष्मिता सेन और प्रियंका चोपड़ा इस बात का उदाहरण हैं जो मध्यवर्ग की सांवली रंगत वाली लड़कियां थीं. ये न तो बहुत ज्यादा खूबसूरती थीं और न ही अपनेआप को खूबसूरत बनाने के लिए उन के पास ढेर सारा पैसा था. मगर अपनी बुद्धिमत्ता, मेहनत और आत्मविश्वास के साथ न सिर्फ ये खूबसूरती की मिसाल बनीं बल्कि मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड का खिताब जीत कर हिंदुस्तान का नाम भी रोशन किया.
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