Genz: काफी समय पहले एक गाना आया था, सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है. गाने की पंक्तियां आज के उन युवा वर्ग को पूरी तरह समर्पित है जिन्होंने सुकून और आराम की जिंदगी बिताने के लालच में, आधी से ज्यादा जिंदगी पैसा कमाने की दौड़ में कब गुजार दी ये खुद उनको ही नहीं पता चला.

भविष्य की चिंता में वर्तमान का सुकून खोते जा रहा युवा वर्ग, पैसा कमाने और कैरियर बनाने के पीछे इस कदर दौड़ रहा है कि सुबह से शाम कब होती है और शाम से रात कब होती है, दिन कब महीनों और सालों में बदल जाते है उनको खुद पता नहीं चलता.

अगर देखने जाएं तो पहले सहूलियतें कम थी, मौके कम थे लेकिन जीवन में सुकून था, घर परिवार दोस्तों से मिलने के लिए समय निकल ही आता था. लेकिन आज  ऑफिस में काम का प्रेशर, ऑफिस तक पहुंचने के लिए घंटो का सफर, ट्रेन और बस में धक्के खाते हुए समय पर औफिस पहुंचने की मजबूरी ने इंसान को मशीन बना दिया है, मुंबई हो या दिल्ली, बंगलौर हो या कोलकाता, रास्ते पर भारी ट्रैफिक के चलते एक आम इंसान के लिए ट्रेन बसों में सफर करते हुए समय पर ऑफिस पहुंचना किसी जंग जीतने से कम नहीं है.

ऐसी मुश्किल से भरी जिंदगी जीते जीते कब 30 से 40 साल पार हो जाते हैं पता ही नहीं चलता, ऐसे में वह पैसा तो कमा लेते हैं, काफी हद तक एक मुकाम भी हासिल कर लेते हैं, महंगा मोबाइल या बाकी आराम की सहूलियत भी पा लेते हैं, लेकिन इन सब चक्करों में शांति का जीवन या सुकून कही खो जाता है.

अगर कुछ बचता है तो भविष्य की चिंता महंगे सामानों के लिए लिए गए बैंक लोन की किश्तों का डर, आज के नाजुक माहौल में जहां कुछ भी हो सकता है वहां नौकरी छूट जाने का डर 30 से 40 उम्र के युवा वर्ग को बीमारियों से घेर लेता है, इसी डर के तहत युवा वर्ग पैसा तो कमा लेता है लेकिन इस सुखसुविधा को खोने का डर उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर बीमार कर देता है, ऐसे में जहां एक समय में एक उम्र के पड़ाव में जाने के बाद आदमी को बीमारियां घेर लेती थी, वहीं अब 30-40 की उम्र के युवा वर्ग को हाइपरटेंशन, डिप्रेशन, पीसीओडी, ओसीडी, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां से ग्रस्त होना आम बात हो गई है.

ऐसे टेंशन भरे माहौल में रिलैक्स पाने के लिए यही युवा वर्ग सिगरेट, शराब, ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थ का सेवन शुरू कर देता है, हालात कुछ ऐसे हो जाते हैं कि बिना नशे के जीवन और दोस्तो की पार्टी अधूरी लगती है , क्योंकि नशीले पदार्थ का सेवन कुछ समय के लिए ही सही दिमाग को शांति सुकून और खुशी महसूस करा देता है.

कुछ समय के लिए ही सही नशे में डूबा युवा वर्ग अपना टेंशन भूल जाता है, इसलिए आज के समय में जवान लड़केलड़कियों के बीच नशा करना, सिगरेट या ड्रग्स लेना आम बात हो गई है, बस फर्क इतना ही है जो युवा जितने ज्यादा पैसे कमाता है वह उसी हिसाब से नशा करता है, वह अपने आप को मानसिक तौर पर खुशी और सुकून दिलाने की कोशिश करता है.

दुख की बात तो है , लेकिन सच भी है कि पहले के मुकाबले आज के युवा वर्ग में नशा करने की संख्या ज्यादा बढ़ गई है सिर्फ लड़के ही नहीं लड़कियां भी अपने टेंशन दूर करने के लिए नशे का सहारा ले रही है, ताकि आगे की लड़ाई लड़ने के लिए अपने आप को मानसिक तौर पर टेंशन और प्रेशर झेलने के लिए तैयार कर सके, ऐसे में भले ही कुछ समय के लिए दुख दर्द दूर हो जाते हैं लेकिन ज्यादा समय तक नशीली चीजों का सेवन शरीर पर धीरे धीरे गलत असर छोड़ने लगता है, और हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, डायबिटीज, जैसी भयानक बीमारियां आम युवा वर्ग में तेजी से देखने को मिल रही हैं.

ऐसे में बहुत जरूरी है कि आज का युवा वर्ग को भले ही जीवन में सुकून मिलने में समय लगे, लेकिन अपने जीवन में संयम लाने की पूरी कोशिश करें, पैसा कमाना या मेहनत करना गलत नहीं है , लेकिन पैसा कमाने की होड़ में अपने शरीर पर अत्याचार ना करें, सोच समझ कर फैसले ले, भविष्य की चिंता में वर्तमान को न खोए, और पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में वही फैसले में जो आपकी सेहत और दिल और दिमाग के लिए सही हो, क्योंकि पैसा कमाना या कैरियर बनाना जितना महत्वपूर्ण है, उससे कहीं ज्यादा जरूरी है शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना, क्योंकि जान है तो जहांन है.

पैसा नाम और शोहरत आने जाने वाली चीज, लेकिन अच्छी सेहत आपको लंबी उम्र तक ले जाएगी, और आप बुढ़ापे में भी फिट एंड फाइन रहेंगे.

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