Ectopic Pregnancy: नेहा को सेकंड प्रैगनैंसी के समय हमेशा कमजोरी, उलटी, खाने की इच्छा न होना आदि लगातार हो रहा था. पहले तो उसे लगा कि यह सब प्रैगनैंसी की वजह से है, लेकिन जब यह सब लगातार होने लगा, तो उस ने गाइनोकोलौजिस्ट से संपर्क किया, क्योंकि पहली प्रैगनैंसी में उसे कम समय तक ही असहजता महसूस हुआ था, इस बार कुछ अधिक समय तक परेशानी होने की वजह से उस ने डाक्टर की सलाह से सोनोग्राफी करवाई.
पता चला कि उस की प्रैगनैंसी सही जगह पर नहीं है और 2 जुड़वां बच्चे एक ही यूट्रस में है. ऐसे में बच्चे का सही विकास संभव नहीं और नेहा की सेहत के लिए भी यह प्राण घातक था. इसलिए उसे अबौर्शन का रास्ता अपनाना पड़ा. सही समय पर सही निर्णय से नेहा को गलत प्रैगनैंसी से छुटकारा मिला.
न बनें अंधविश्वासी
यह सही है कि अधिकतर स्त्री गलत प्रैगनैंसी को समझ नहीं पाती और किसी प्रकार की शारीरिक असहजता को सहती जाती है. इस बारे में मुंबई खार की पी. डी. हिंदुजा अस्पताल एवं चिकित्सा अनुसंधान केंद्र की स्त्रीरोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ, डा. रंजना धानु कहती हैं कि यहां नेहा को अपनी प्रैगनैंसी को ले कर इसलिए शक हुआ, क्योंकि उस की पहली प्रैगनैंसी के समय ऐसा कुछ नहीं हुआ था और समय रहते उस ने इलाज करवा लिया, जबकि अधिकतर लड़कियां पहली गर्भधारण से खुश हो जाती हैं और कुछ तो अंधविश्वासी परिवार की प्रैशर में आ कर छिपाती हैं और 3 महीने तक डाक्टर के पास तक नहीं जातीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि किसी की बुरी नजर उन की प्रैगनैंसी पर पड़ जाएगी और गर्भ ठहरेगा नहीं, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता.
गलत गर्भधारण को अधिक देर से अबौर्शन करवाने पर मां की जान को भी खतरा हो सकता है.
असल में गर्भधारण सामान्यरूप से यूट्रस में होता है, जहां अंडाणु और शुक्राणु के मिलने के बाद गर्भवती महिला के शरीर में बच्चे का विकास होता है, लेकिन कभीकभी गर्भ का विकास गर्भाशय के बाहर भी हो सकता है, जो एक रिस्क और खतरनाक स्थिति बन जाती है. इस समय जल्द से जल्द डाक्टर की सलाह बहुत आवश्यक है, ताकि इलाज के बाद फिर से एक अच्छी प्रैगनैंसी हो सके.
आइए, जानते हैं गलत प्रैगनैंसी कहांकहां हो सकती है और कब डाक्टर की तुरंत सलाह जरूरी है:
-फैलोपियन ट्यूब में गर्भवती होना एक खतरनाक स्थिति होती है, जिसे ऐक्टोपिक गर्भावस्था कहा जाता है. जब निषेचित अंडाणु गर्भाशय के बजाय फैलोपियन ट्यूब में इंप्लांट हो जाता है, तो यह गर्भावस्था खतरनाक हो सकती है क्योंकि फैलोपियन ट्यूब गर्भाशय जितनी जगह नहीं दे पाता है और वह फट सकता है. इस स्थिति में महिला को अंदरूनी रक्तस्राव हो सकता है, जो जानलेवा हो सकता है. समय रहते इलाज न किए जाने पर स्त्री की जान भी जा सकती है.
-गर्भाशय के बाहर होने वाली प्रैगनैंसी भी दुर्लभ होती है, लेकिन कभीकभी गर्भाशय के बाहर अंडाशय, पेट या सर्विक्स में भी गर्भ ठहर सकता है. ऐसे केसेज में गर्भ का सही तरीके से विकास नहीं हो पाता और इस के परिणामस्वरूप गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, मसलन गर्भवस्था से पेट में अत्यधिक रक्तस्राव होना, जो जीवन के लिए खतरे का कारण बन सकता है.
-प्लैसेंटा प्रिविया एक स्थिति है, जिस में प्लैसेंटा गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित होता है, जो जन्म के समय समस्या उत्पन्न कर सकता है. यह आमतौर पर गर्भावस्था के दूसरे और तीसरे त्रैमासिक के दौरान पता चलता है, जब गर्भाशय में रक्तस्राव होने लगता है. यह स्थिति खतरनाक हो सकती है और इस की पहचान के लिए अल्ट्रासाउंड परीक्षण की आवश्यकता होती है.
जल्दी अबौर्शन करवाने वाली प्रैगनैंसी
इस के आगे डाक्टर कहती हैं कि ये सभी प्रैगनैंसी की जांच शुरू में एक बार करवा लेनी चाहिए, ताकि किसी भी समस्या का समाधान जल्दी मिले. मां और बच्चे दोनों की जान को बचाया जा सके. इन गर्भावस्थाओं में समस्या इतनी गंभीर हो सकती है कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है. जल्दी अबौर्शन करने वाले प्रैगनैंसी निम्न हैं :
- ऐक्टोपिक गर्भावस्था तब होती है जब गर्भ का अंडाणु गर्भाशय के बाहर, आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में इंप्लांट हो जाता है. इस स्थिति में गर्भ का विकास गर्भाशय में नहीं हो पाता और फैलोपियन ट्यूब का आकार गर्भ के विकास के लिए पर्याप्त नहीं होता है. यदि इस स्थिति का समय रहते इलाज न किया जाए, तो फैलोपियन ट्यूब फट सकता है, जिस से अंदरूनी रक्तस्राव हो सकता है, जो कई बार जानलेवा होने की वजह से जल्दी एबौर्ट करना पड़ता है. अगर गर्भ का आकार छोटा हो और ट्यूब न फटा हो, तो दवाओं से इस का इलाज किया जा सकता है, ट्यूब के फटने पर सर्जरी करनी पड़ती है.
- गर्भकालीन मधुमेह की अवस्था में कई बार शुगर स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो इसे गर्भकालीन मधुमेह कहा जाता है. इस समस्या का इलाज नियमित रूप से किया जा सकता है, लेकिन यदि स्थिति बहुत गंभीर हो और मां के स्वास्थ्य को खतरा हो, जैसेकि प्री-ऐक्लम्प्सिया या अधिक ब्लड शुगर के कारण बच्चे के विकास में समस्या हो, तो कभीकभी गर्भ को समाप्त करने का निर्णय लिया जा सकता है.
- क्रोमोसोमल ऐबनौर्मेलिटी में बच्चे के क्रोमोजोमल दोष (जैसे डाउन सिंड्रोम, अनसेफली या अन्य गंभीर जन्म दोष) हो सकते हैं. यदि बच्चे के दोष बहुत गंभीर हों और उस का लाइफ थ्रैटनिंग हो, तो डाक्टर गर्भवती महिला की गर्भ को समाप्त करने का विकल्प दे सकते हैं. इस निर्णय में डाक्टर और परिवार की सलाह और काउंसलिंग बहुत महत्त्वपूर्ण होती है. अगर बच्चा मां की जीवन के लिए खतरा है, तो गर्भ को जल्द समाप्त करना एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है.
- कभीकभी गर्भ का प्लैसेंटा गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित होता है, तो बच्चे के जन्म के समय बहुत ब्लीडिंग का कारण बन सकता है. यदि स्थिति बहुत गंभीर हो और अन्य उपायों से स्थिति में सुधार न हो सके, तो कई बार गर्भ को समाप्त करने का निर्णय लिया जाना अच्छा होता है.
- गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में अगर गर्भवती महिला की स्थिति बहुत गंभीर हो, जैसेकि गंभीर दिल की बीमारी, गुरदे की समस्या या अन्य चिकित्सा जटिलताएं, तो गर्भ को समाप्त करना एक अच्छा विकल्प होता है, क्योंकि इस से मां की जान को खतरे से बचाया जा सकता है, इस स्थिति में डाक्टर पूरी तरह से स्त्री के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेते हैं.
- बहु गर्भावस्था भी एक जटिल प्रैगनैंसी होती है. यह अधिकांश आईवीएफ गर्भधारण बहुभ्रूणीय गर्भावस्था से जुड़े हुए होते हैं. इस अवस्था में स्त्री को प्रीएक्लेंपसिया, ऐक्लेंपसिया, प्लैसेंटा प्रीविया और मधुमेह भी होने का खतरा रहता है.
गलत प्रैगनैंसी के लक्षण
प्रैगनैंसी अधिकतर सामान्य और स्वस्थ होती हैं, लेकिन कुछ गर्भावस्थाएं उच्च जोखिम वाली होती हैं, जिन में यदि उचित देखभाल और उपचार नहीं किया जाए, तो मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.
कुछ लक्षण निम्न हैं, जिसे नजरअंदाज कभी न करें :
-गर्भवती होने के बावजूद पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द हो रहा हो, हलका रक्तस्राव हो रहा हो और मासिकधर्म पूरी तरह से बंद न हुआ हो, तो यह ऐक्टोपिक गर्भावस्था के संकेत हो सकते हैं.
-गर्भावस्था के 20 सप्ताह बाद उच्च रक्तचाप के लक्षण दिखने पर डाक्टर से संपर्क करें. प्री-ऐक्लेंपसिया के लक्षणों में हाथों और पैरों में सूजन, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, धुंधली दृष्टि और सिर में भारी दर्द शामिल हो सकते हैं. यह स्थिति गंभीर हो सकती है और इस से मिरगी जैसे संकट उत्पन्न हो सकते हैं.
-प्रैगनैंसी के दौरान अत्यधिक वजन बढ़ने या शारीरिक कमजोरी का सामना होने पर भी डाक्टर की सलाह अवश्य लें. यह स्थिति बच्चे और मां दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है, खासकर अगर शुगर लेवल नियंत्रित न किया गया हो.
-गर्भावस्था के दौरान अचानक बिना दर्द के ब्लीडिंग होना प्लैसेंटा प्रिविया का संकेत हो सकता है.
-महिला को अचानक पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द या भारी रक्तस्राव का अनुभव होना भी चिंता का विषय हो सकता है, इस स्थिति में मिसकेरिज होने का खतरा रहता है.
-गर्भवती स्त्री का 1 महीने में 3 किलोग्राम से अधिक वजन बढ़ जाना.
– धुंधली दृष्टि, आंखों में दर्द या अंधेरे में अधिक आराम की आवश्यकता महसूस होना आदि प्री-ऐक्लेंपसिया का लक्षण हो सकता है.
-गर्भावस्था के दौरान सांस लेने में कठिनाई भी गंभीर स्थिति हो सकती है और यह गर्भकालीन मधुमेह या अन्य जटिलताओं का संकेत हो सकता है.
-गर्भ में बच्चे की हलचल में कमी महसूस हो, तो भी यह चिंता का कारण हो सकता है, ऐसे में तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि बच्चे की सेहत की जांच की जा सके.
इस प्रकार सही प्रैगनैंसी को आप तभी समझ सकते हैं, जब आप ने शुरू से डाक्टर की सलाह लिया हो, क्योंकि एक स्वस्थ गर्भधारण ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे कर आप के जीवन में खुशियां ला सकता है.
Ectopic Pregnancy
