Love Story: बेबाकी से कहूंगी नवल भैया मुझे अच्छे लगते हैं. भैया सभी कहते हैं उन्हें, इसलिए मुझे भी कभीकभी कहना पड़ जाता है. वैसे वे यहां किसी के भैया नहीं लगते.
नवल और उन के पिताजी का सोनेचांदी और हीरों का बहुत बड़ा शोरूम है यहां रायपुर शहर में.
मुझ सहित गोल्ड विभाग में 10 कर्मचारी हैं, चांदी का ऊपरी मंजिल पर और हीरों का व्यापार तीसरी मंजिल पर है. हरेक मंजिल में 10-10 कर्मचारी हैं. नवल और उन के पिताजी नीचे यानी सोना विभाग में गल्ले पर रहते हैं लेकिन नवल ऊपरनीचे आतेजाते रहते हैं.
हमारे मैनेजर हैं शशांक भैया जो शायद नवल भैया के कोई दूर के रिश्तेदार हैं, बाकी और भी 2 मैनेजर हैं अलगअलग विभाग में. इन के अलावा गार्ड आदि अलग से हैं ही.
2 साल पहले नवल की जब 28 साल की उम्र में शादी हुई तब मेरी उम्र 20 की थी और मु झे यहां नौकरी जौइन किए बस 6 महीने ही हुए थे. सभी कर्मचारी नवल की शादी में गए थे. मैं भी गई थी जितना संभव हुआ सजीधजी. एकमात्र लहंगा जो मेरे पास था उसे पहन. तब नवल को देख कर मैं दिल हार गई थी.
पहले भी देखा करती थी, अच्छे तो लगते ही थे लेकिन शादी के वक्त उन की स्मार्टनैस और बौडी पर नजर गई तो मैं मन ही मन चारों खाने चित हो गई.
नवल की बीवी पाकिस्तान के सिंध प्रांत से थी. गोरी तो खूब थी लेकिन 6 फुट के नवल के साथ खड़ी 5 फुट की उन की बीवी दिव्या काफी ठिगनी लग रही थी. मन ही मन पता नहीं क्यों मैं ने अपना भी आकलन कर लिया.
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